बाग़ीचे में फल और सब्ज़ी उगाना पहले से ही पर्यावरण के अनुकूल माना गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये जलवायु परिवर्तन को रोकने की लड़ाई में एक कारगर हथियार भी साबित हो सकता हैं.
बांग्लादेश में रह रहे एक समुदाय के अनुभव से तो यही पता चलता है. जलवायु परिवर्तन पर शोध कर रहे वैज्ञानिक हमेशा से ये आगाह करते आए हैं कि जलवायु परिवर्तन से फसलों को उगाने और उनमें पाए जाने वाले पोषक तत्व प्रभावित होते हैं.
हाल ही में बांग्लादेश के सिल्हट प्रांत के एक समुदाय ने भी यही अनुभव किया. उनके भोजन और आय के स्रोत वाली धान की खेती अपने समय से पूर्व बारिश होने की वजह से तबाह हो गई.
सिल्हट प्रांत के उत्तरी पूर्व क्षेत्र में बाढ़ से प्रभावित होने वाली ज़मीन अप्रैल 2017 में बारिश की चपेट में आ गई थी जबकि किसान बारिश की उम्मीद दो महीने बाद की कर रहे थे. ऐसे में उनकी पूरी धान की फसल का बर्बाद हो जाना बेहद चिंताजनक था.
इस पर जर्मनी की बर्लिन और पॉट्सडैम में जलवायु प्रभाव अनुसंधान पर काम कर रही प्रोफेसर ज़बीना गाब्रीष कहती हैं, "ये कितना ग़लत है क्यूंकि ये लोग जलवायु परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं और यही जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव झेल रहे हैं."