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एक्सटरनल काउंटर पल्सेशन : दिल का हाईटेक इलाज संभव

सब केटगॉरी : आर्टिकल  Jan,19,2020 05:03:15 PM
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�एक्सटरनल काउंटर पल्सेशन : दिल का हाईटेक इलाज संभव

एक्सटरनल काउंटरपल्सेशन सिस्टम धमनियों में होने वाली रुकावट को आसानी से दूर किया जा सकता है। धमनियों से अवरोध् हटते ही, हृदय और शरीर में रक्तका प्रवाह बढ़ जाता है। अभी अभी देश में आई इस थेरेपी की मदद से दिल के रोगियों का इलाज बिना किसी चीड़-फाड़ व बिना किसी दवा के किया जाता है। इस चिकित्सा को अमरीका, जर्मनी व चीन सहित सभी विकसित देशों में मान्यता मिली है।
आज भारत के शहरी लोग जहां एक भागदौड़ भरी जिंदगी जीने को विवश हो गये हैं, वहीं हृदय संबंधी रोगों से मरने वाले लोगों की संख्या में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है। आज सच्चाई यह है कि 40 वर्ष से कम आयु के पुरूषों में हर चौथा व्यक्ति हृदय संबंधी किसी न किसी समस्या से ग्रस्त है। निश्चित रूप से धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, डायबटीज आदि इस बढ़ती समस्या के प्रमुख कारण हैं। लेकिन इस समस्या से तब तक नहीं निपटा जा सकता जब तक कि आम जनता में उस समस्या के प्रति जागरुकता न पैदा की जाये। दरअसल भारतीय उपमहाद्वीप में निवास करने वाले लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर उतने जागरुक नहीं है, जितने कि विकसित देशों के लोग हैं। इसका एक मुख्य कारण शिक्षा का अभाव भी है।
अब यह साफ  तौर पर प्रदर्शित किया जा चुका है कि भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों में जन्म से ही कुछ ऐसे तत्व पाये जाते हैं जिनके कारण उनमें हृदय रोगों की संभावनायें काफी अधिक होती हैं। हाल ही में किये गये एक वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया कि एशियाई व भारतीयों लोगों का खून दुनिया के अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा गाढ़ा होता है, जिसकी वजह से रक्तवाहनियों और धमनियों में वसा आदि के जमने की संभावना बढ़ जाती है और आगे चलकर यही समस्या अस्थिर एंजाइना, दिल के दौरों और आकस्मिक मौत का कारण बनती है।
हृदय रोग भारत जैसे देश के लिये निश्चित रूप से एक बेहद गंभीर चिंता का विषय है। पिछले कुछ समय से भारतीय लोगों में, विशेषकर 40 वर्ष से कम आयु के लोगों में हृदय रोगों में हुई बेतहाशा वृद्धि ने इस समस्या को और भी गंभीर बना दिया है। निश्चित रूप से इस समस्या ने देश के चिकित्सा वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र की ओर अधिकाधिक ध्यान केंद्रित करने को विवश किया है। हाल ही के कुछ सालों में हृदय रोगों के उपचार के लिये कई अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धतियां ईजाद की गई। मगर महंगी होने या फिर रोगी का शत प्रतिशत स्वास्थ्य सुधार सुनिश्चित न कर पाने के कारण यह पद्धतियां भारत में ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो गई हैं। लेकिन अब लोगों को हृदय रोग आपरेशन पर होने वाले खर्चों की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि हृदय रोग का ईलाज अब बिना आपरेशन के संभव है। इसके लिये एक्सटरनल काउंटर पल्सेशन नाम की तकनीक हृदय रोगियों के लिये एक बहुमूल्य साबित हो सकती है।
एक्सटरनल काउंटर पल्सेशन चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान रोगी के घुटनों, निचली जांघों, ऊपरी जांघों और नितम्बों पर एक तीन सेटों वाली नरम पट्टी कंप्रेसिव बांधी जाती है और ये पट्टियां नियमित रूप से फैलती और सिकुड़ती रहती हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान ये पट्टियां जांघों और नितम्बों पर दबाव डालते हुए डायस्टोलिक कोरोनरी पर फ यूजन दबाव को बढ़ाती है जिसके चलते हृदय पर पडऩे वाले दबाव में कमी आती है। यह उपचार प्रक्रिया काफी सरल और सहज है। रोगी को यह चिकित्सा दिन में केवल एक घंटे के लिये दी जाती है और कुल मिलाकर 7 सप्ताहों में 35 घंटे तक यह प्रक्रिया चलती है। रोगी को चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान न तो बेहोश करने की आवश्यकता पड़ती है और न ही उसे किसी अन्य प्रकार की दवाइयां दी जाती है। पूरी प्रक्रिया के दौरान रोगी काफी सहज अनुभव करता है, वह किताब पड़ सकता है, टीवी देख सकता है और यहां तक कि एक दूसरे के साथ हंसबोल सकता है।
डा. एस.एस. सिबिया
निदेशक
सिबिया मेडिकल सेंटर
लुधियाना 

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