डा.अनुजा सिंह ,आई वी एफ विशेषज्ञ
इंदिरा आईवीएफ हॉस्पिट पटना
भागदौड़ और आधुनिकता से भरी इस जिंदगी में माइक्रोवेव तकनीक जीवनशैली का अहम हिस्सा बन चुकी है। अक्सर गृहिणियां माइक्रोवेव ओवन में अपने परिवार के लिए कुछ न कुछ पकाती रहती हैं और नौकरीपेशा लोग भी ऑफिस से देर रात लौटने पर इसमें भोजन गर्म करके खाते हैं। क्या आप जानती हैं कि भोजन को प्लास्टिक के डिब्बे में रखकर माइक्रोवेव ओवन में पकाने पर आपको या आपके गर्भस्थ शिशु को बांझपन, मधुमेह, मोटापे की समस्या और कैंसर (कर्क रोग) होने का बड़ा खतरा है। दरअसल, विभिन्न अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने पाया है कि प्लास्टिक डिब्बे में भोजन को रखकर माइक्रोवेव ओवन में पकाने या गर्म करने पर उच्च रक्तचाप की समस्या पैदा हो सकती है। इससे प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है, मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को नुकसान पहुंचता है और दूसरे तरह के कई भयावह दुष्प्रभाव सामने आते हैं। दरअसल, माइक्रोवेव ओवन में प्लास्टिक बर्तन के गर्म होने पर उसमें मौजूद रसायनों का 95 प्रतिशत तक रिसाव होता है।
आइए जानते हैं, क्या होता है जब माइक्रोवेव में प्लास्टिक गर्म होता है?
प्लास्टिक के बर्तनों को बनाने के लिए औद्योगिक रसायन बिस्फेनोल ए का इस्तेमाल किया जाता है। इस रसायन को सामान्य तौर पर बीपीए के नाम से जाना जाता है। इस रसायन का सीधा संबंध बांझपन, हार्मोनों में बदलाव, कैंसर की बढ़ोतरी से है। यह लैगिंक लक्षणों में बदलाव लाता है, यानी यह पुरुषोचित गुणों को भी कम करता है। यह मस्तिष्क की संरचना को नुकसान पहुंचाने, उग्रता, सक्रियता और मोटापा बढ़ाने का भी काम करता है। पशुओं पर भी इस रसायन के दुष्प्रभाव नजर आते हैं। ध्रूवीय भालू, हरिण, व्हेल और दूसरे जानवरों समेत पशुओं की कई प्रजातियों में इससे वृषण कैंसर, जननांगों में विकृति, कम शुक्राणु गणना और बांझपन जैसी समस्याएं पैदा करता है।
प्लास्टिक में पीवीसी, डाइऑक्सिन और स्टाइरीन जैसे कैंसरकारी तत्व पाए जाते हैं, जिनका सीधा संबंध कैंसर से है।
चौंकाने वाला सच यह है कि जब प्लास्टिक के बर्तन में भोज्य पदार्थों को रखकर माइक्रोवेव ओवन में पकाया जाता है तो प्लास्टिक के पात्र में मौजूद रसायन, ओवन की गर्मी से पिघल कर खाद्य पदार्थ पर अपना असर छोड़ते हैं। भोजन गर्म होने पर प्लास्टिक के गर्म बर्तन से निकलने वाले रसायनों के संपर्क में आता है और दूषित हो जाता है। रसायनों से दूषित इस भोजन को खाने से कैंसर, बांझपन होने के अलावा मस्तिष्क और प्रजनन तंत्र की सामान्य कार्यप्रणाली प्रभावित होने का खतरा रहता है। ये विषाक्त पदार्थ उच्च रक्तचाप के लिए उत्तरदायी उन कारणों में से एक हैं, जो हृदयरोग, हृदयघात और मृत्यु की भी वजह बनते हैं।
माइक्रोवेव में सुरक्षित कौन सा प्लास्टिक है?
माइक्रोवेव में किसी भी तरह का प्लास्टिक सुरक्षित नहीं है। कम हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह की प्लास्टिक में डिसोनोनील फेथलेट (डीआईएनपी) और डायसोसिल फेथलेट (डीआईडीपी) जैसे विषाक्त पदार्थों का इस्तेमाल होता है, जो दूसरे विषैले फेथलेट की तुलना में शरीर के प्रजनन तंत्र को कम नुकसान पहुंचाते हैं। इतना ही नहीं, डीआईएनपी और डीआईडीपी का संबंध भी उच्च रक्तचाप से है। इसलिए भोजन को पकाने के लिए गैस का चूल्हा या तंदूर का इस्तेमाल करना अधिक सुरक्षित है।
क्या माइक्रोवेव का इस्तेमाल सुरक्षित