आज के वक्त में हर 5 में से 3 व्यक्ति मोटापे का शिकार हैं। मोटापा दुनिया भर में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है जो अब एक महामारी का आकार ले रही है। अमेरिका की आबादी देखी जाए तो एक तिहाई लोग मोटापे की चपेट में आ चुके हैं। विष्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुमान के अनुसार दुनिया भर में एक बिलियन लोग मोटापे से प्रभावित हैं। किसी व्यक्ति का वजन (किलोग्राम में) उसकी ऊंचाई (मीटर में) के साथ आंका जाता है। इन दोनों का सही माप बीएमआई के जरिए किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति का बीएमआई रेट 30 के बाराबर या उससे अधिक होता है तो वह अत्यधिक मोटापे से ग्रस्त माना जाता है। जबकि यही बीएमआई 40 के बराबर या उससे अधिक हो तो इसे एक बीमारी का रूप माना जाता है।
गठिया समेत कई स्वास्थ्य समस्याओं का सीधा संबंध मोटापे से
जुड़ा हुआ है। यह खास तौर पर घुटनों के पुराने आस्टियो आर्थराइटिस यानि गठिया की
स्थिति को गंभीर करता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति असहज और घातक पीड़ा का अनुभव करता है। मोटापे
के कारण ही पैर शरीर का सारा भार उठाने में अस्मर्थ हो जाते हैं जिससे घुटनों के
जोड़ों में इतना तीव्र दर्द होने लगता है कि पीड़ित को दो कदम चलने में भी अत्यंत
परेशानी होती है। यही गठिया का कारण बनता है। यह माना जाता है कि मोटे लोगों में
वसा उत्तक लेप्टिन नामक हार्मोन बनाता हैं जो कार्टिलेज मेटाबोलिज्म (चयापचय) को प्रभावित करता
है और गठिया का कारण बनता है।
घुटने की पूर्ण अर्थ्रोप्लास्टी (वैक्सीन) करवाने वाले रोगियों में एक बड़ी संख्या मोटापे से ग्रसित लोगों की है। कई सर्जनों का मानना है कि अधिक वजन वाले लोगों पर वैक्सीन का असर कम होता है। कुछ अद्धयनों के अनुसार अत्यधिक मोटापे से ग्रसित लोगों में ट्रांसप्लांट के फेल होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ये भी देखा गया है कि मोटापे के कारण गठिया के ऑपरेशन के परिणाम भी कुछ खास नहीं होते। ऐसे रोगी वैक्सीन आपनाकर दर्द से राहत पा सकते हैं। ऐसे रोगियों की सही जांच और नियमित देखभाल अत्यंत आवश्यक है।
सभी मोटे लोगों (30 से अधिक बीएमआई) में वैक्सीन के परिणामों के कारण
इसका विरोध किया जाता है। मध्यम स्तर का मोटापा वैक्सीन के क्लिीनकल और
रेडियोलॉजिक परिक्षण के परिणामों को प्रभावित नहीं करता है। हालांकि वैक्सीन से वजन
कम करने में भी मदद मिलती है। मोटापे से ग्रस्त रोगियों की जटिलताओं को देखते हुए
वजन सर्जरी के जरिए घटा लेना चाहिए, जो बेरिएट्रिक सर्जरी से संभव हो सकता है।