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जिग तकनीक से होगा अब घुटने का दर्द गायब

सब केटगॉरी : सेहत  Jan,29,2020 05:02:21 PM
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�जिग तकनीक से होगा अब घुटने का दर्द गायब

घुटने, कमर, रीढ़ की हड्डी आदि जैसे दर्द से आमतौर पर लगभग सभी व्यक्ति परेशान रहते हैं। आज दस में से आठ व्यक्तियों को घुटने में दर्द की शिकायत रहती ही है। ऐसे लोगों के पास ज्वांइट रिप्लेसमेंट सर्जरी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं रह जाता है लेकिन सर्जरी का नाम सुनते ही व्यक्ति घबराकर भागने लगता है। आज के समय में यह एक आम समस्या बन गई है जो किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है। पहले यह परेशानी सिर्फ बढ़ती उम्र के साथ ही आती थी लेकिन अब इसकी कोई तय उम्र नहीं रह गई है। पहले इस उपचार के दो विकल्प थे, पहला ज्वांइट रिप्लेसमेंट सर्जरी, दूसरा लंबे समय तक पेन किलर का सेवन करना जो शरीर के लिए कई बार काफी नुकसान देय साबित होता था।


भारत में जिग तकनीक के आने के कारण अब इस समस्या का उपचार करना आसान हो गया है। इस तकनीक के कारण उपचार में खतरे के आसार कम हो जाते हैं साथ ही बिना किसी नुकसान के ठीक होने के चांस भी अधिक होते हैं। ये नई तकनीक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में बड़ा और अच्छा बदलाव लेकर आई है। पहले के समय में जब इस तरह की कोई लाभदायी तकनीक नहीं थी तो सर्जरी करना काफी मुश्किल काम होता था लेकिन आज चिकित्सा विशेषज्ञों ने एडवांस तकनीकों के माध्यम से उस तरह की पुरानी प्रक्रिया को खत्म करने के विकल्प निकाल लिए हैं।


 इस एडवांस तकनीक के जरिए पहले मरीज के घुटने का सिटी स्कैन किया जाता है और फिर सर्जरी के अनुसार मरीज के घुटनों के सही एंगल को जांचा जाता है। इसके बाद मरीज के अनुसार जिग बनाया जाता है जिससे नी-रिप्लेसमेंट करना आसान हो जाता है। इसी वजह से सर्जरी ज्यादा आसान और सुरक्षित हो गई है। अब सर्जरी करने के समय पहले की तुलना में दर्द कम होता है, खून कम बहता है, ऑपरेशन में कम समय लगता है, संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है, दवाइयां कम लगती है और अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती हैं।


कुछ समय पहले इस तकनीक के न होने के कारण लोग सर्जरी के बाद घुटने की फिटिंग की अक्सर शिकायत करते थे और इसी वजह से घुटने की समस्या होने के बावजूद अक्सर सर्जरी करने से बचते थे। टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में रोगी के लिए विशेष तौर पर तैयार किया गया जिग तकनीक खासतौर से मोटे रोगियों के लिए बेहद कारगर है। यह सर्जरी किसी भी उम्र के रोगी के लिए लाभदायक है। यह जीवनशैली से जुड़ी घुटनों की समस्याओं से निजात पाने का कारगर समाधान है।


 अब रोगी बिना किसी डर के सर्जरी करवा सकता है और जिंदगी को घुटने के दर्द से छुटकारा दिला सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 70 साल से ज्यादा उम्र के 40 प्रतिशत लोग घुटने के दर्द ओस्टियोआर्थराइटिस से पीडि़त रहते हैं। जहां तक भारत में इस समस्या से पीडि़त मरीजों का सवाल है तो 2011 के आंकड़ो के अनुसार शहरी आबादी का करीब छह प्रतिशत हिस्सा इस समस्या से पीडि़त है।

 

जिग तकनीक के फायदे

  • सर्जरी में कम खर्च लगता है।
  • रोगी को दर्द कम होता है।
  • रोगियों को कम दवाईयां लेनी पड़ती है।
  • इससे इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है।
  • इस प्रक्रिया में खून का बहाव कम होता है जिससे रोगियों को कम परेशानी होती है।

 घुटने में दर्द का कारण

 घुटने में यदि कोई गड़बड़ी होती है तो वह सही तरह से काम नहीं कर पाता है और दर्द भी शूरू हो जाता है। 65 वर्ष की आयु के बाद अधिकांश लोग घुटने के दर्द से पीडि़त हो जाते हैं। धीरे-धीरे इस दर्द के कारण व्यक्ति विकलांग तक हो सकता है। अब हमारे सेमने सवाल यह है कि आखिर घुटनों में इस घिसाव का कारण क्या है? इसके कई कारण हो सकते हैं। घुटनों संबंधी तकलीफ पचास वर्ष की आयु के आस-पास के व्यक्तियों और खासकर महिलाओं में होती है। इसके कारण उनका वजन ज्यादा बढ़ जाना, उठने-बैठने का गलत तरीका, कमजोर मांस पेशियां आदि हैं। आर्थराइटिस के कारण कई बार घुटने बेकार हो जाते हैं, इस केस में उसके स्थान पर आर्टिफिशियल नी लगा दी जाती है जिसे टोटल नी रिप्लेसमेंटकहते हैं। लेकिन अब इसका स्थान जिग तकनीक ने ले लिया है जिसमें कम समय, कम पैसा और कम परेशानी के साथ एक सुरक्षित उपचार मौजूद है।

 

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