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कहीं आफिस की देन तो नहीं है ‘स्पांडिलाइटिस’?

सब केटगॉरी : सेहत  Jan,29,2020 05:36:59 PM
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�कहीं आफिस की देन तो नहीं है ‘स्पांडिलाइटिस’?

आज की आधुनिक जीवनशैली ने कई शारीरिक पेरशानियों और बीमारियों को बढ़ावा दिया है। जिसमें कुछ बीमारियां तो ऐसी हैं जो कि ऑफिस में बैठने के कारण पनपती हैं। इसमें कमर और गर्दन का दर्द सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। इसका मुख्य कारण है स्पांडिलाइटिस। स्पांडिलाइटिस गर्दन और रीढ की हड्डी को ज्यादा प्रभावित करती है। आखिर स्पांडिलाइटिस है क्या? स्पांडिलाइटिस रीढ़ की हड्डी से संबंधित रोग है। इस रोग में रीढ़ की हड्डी में सूजन आ जाती है। स्पांडिलाइटिस दो यूनानी शब्दों स्पांडिलतथा आइटिससे मिलकर बना है। स्पांडिल का अर्थ है हड्डीवाला यानी वटिब्रल तथा आइटिसका अर्थ सूजन होता है अर्थात् रीढ़ की हड्डी में सूजन की शिकायत को ही स्पांडिलाइटिस कहा जाता है। इस रोग से पीड़ित अंग को दाएं-बाएं और उपर-नीचे करने में काफी दर्द होता है। साथ ही कुछ देर बैठने या खड़े रहने पर ही सुइ सा चुभने वाला दर्द महसूस होने लगता है।

 

कारण

दरअसल आफिस में गलत तरीके से बैठने से, एक ही पोस्चर में लगातार काम करने से और गर्दन को एक ही अवस्था में कई घंटों तक रखने से ये बीमारी आदमी को जल्द ही अपना शिकार बना लेती है। दरअसल आफिस में काम करते समय सब झुककर या आड़ा-तिरछा होकर बैठते हैं जिससे इस परेशानी को बढ़ावा मिलता है। खासकर कंप्यूटर या टेबल पर झुक कर लंबे समय तक काम करने से गर्दन और कमर प्रभावित होती है। नियमित रूप से व्यायाम नहीं कर पाना भी एक महत्वपूर्ण कारण है। इससे बचने के लिये अच्छे पोस्चर में काम करना एवं लगातार व्यायाम करना आवश्यक है। काम करने के वक्त हर आधे घंटे पर 5 मिनट का ब्रेक अवश्य लेना चाहिए। शरीर के अंगों को मूवमेंट देने से शरीर का तनाव कम हो जाता है और इस तरह इस परेशानी को होने से रोका जा सकता है। सिर झुकाकर काम करने वाले लोगों के इस रोग से ग्रसित होने की संभावना अधिक होती है। जो लोग कंप्यूटर पर टाइपिंग का काम करते हैं, उनके सर्वाइकल स्पांडिलाईटिस से ग्रसित होने की संभावना अन्य लोगों से अधिक होती है। जो लोग भारी बोझ उठाने और उतारने का काम करते हैं उनको भी कंधे व कमर का स्पांडिलाइटिस रोग होने की संभावना होती है।

 

 लक्षण

इस बीमारी में पीठ दर्द के साथ कंधे, गर्दन में दर्द, मूवमेंट करने में पीड़ा, सूजन, कोई चीज उठाते समय दर्द, हाथ पैर में झुनझुनी, सिर में भारीपन या चक्कर आना, लेट कर आराम करने के बाद तुरंत उठते वक्त चक्कर आना या नशीलापन महसूस होना इत्यादि लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को सिर का दर्द, चक्कर आना, पैर या हाथ में दर्द, चुभन या सुन्न होने की शिकायत हो सकती है। स्पांडिलाइटिस से आमतौर पर 30-50 साल के आयु वर्ग के लोग अधिक ग्रस्त होते हैं। लेकिन आज के वक्त में 20-30 की उम्र के लोगों को भी ये परेशानी बहुत होने लगी है। इसके इलाज में देरी या लापरवाही करने से शरीर को नुकसान पहुंचता है। कुछ समय के बाद इसके कारण शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित होने लगते हैं।

 

रोकथाम 

गर्दन एवं कमर की स्पांन्डिलाइटिस को शुरूआत में व्यायाम, दर्द नाशक दवाएं, बेल्ट इत्यादि से ठीक किया जा सकता है। अगर बीमारी अधिक बढ़ जाती है तो फिर जांच इत्यादि कराना चाहिए और कुछ प्रतिशत लोगों में ऑपरेशन कराना भी आवश्यक हो जाता है, खासकर उन लोगों में जिन्हें नसों या स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव पड़ने की वजह से कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं। लेकिन इस बीमारी से ग्रसित होने की संभावना वाले लोग थोड़ा सजग होकर इस रोग से अपना बचाव कर सकते हैं। रोग के प्रारंभ में चिकित्सक के परामर्श अनुसार कुछ विशेष प्रकार का व्यायाम करके इस रोग पर नियंत्रित पाया जा सकता है। कई लोगों को व्यायाम से हमेशा के लिए रोग से मुक्ति मिल जाती है।

 

स्पांडिलाइटिस के कारण आस-पास की नसों में दर्द या सूजन के फैल जाने की स्थिति में न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेना आवश्यक होता है क्योंकि न्यूरोलॉजिस्ट ही जांच के बाद बता सकता है कि नसों में दर्द या सूजन मांशपेशियों के रोग के कारण है या नहीं दर्द किसी भी प्रकार का हो, अच्छी देखभाल से दर्द में कमी आती है। कभी कभी दर्द हमेशा के लिए दूर हो जाता है। गर्दन को आराम देने के लिए सर्वाइकल कॉलर पहनना चाहिए।

 

हमें खुद से कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जैसे कुर्सी का आकार कमर और पीठ को सहारा देने वाला होना चाहिये। ज्यादा देर तक बैठने वाले कामों में थोड़े-थोड़े समय में उठकर थोड़ा घूमना चाहिए जिससे पीठ की रीढ़ पर दबाव कम हो सके। कोई भारी चीज को गलत तरीके से उठाने की गलत आदत के कारण स्पांडिलायटिस की पीड़ा उत्पन्न होती है इसलिए अपने वजन और शक्ति के अनुसार ही कार्य करना चाहिये

 

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