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बीसीपीबीएफ. द कैंसर फाउंडेशन द्वारा ष्सेवन सिस्टरर्स कैंसर अपडेट 2019ष् का आयोजन उत्तर पूर्वी भारà¤

सब केटगॉरी : सेहत  Jan,31,2020 03:02:58 PM
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�बीसीपीबीएफ. द कैंसर फाउंडेशन द्वारा ष्सेवन सिस्टरर्स कैंसर अपडेट 2019ष् का आयोजन उत्तर पूर्वी भारà¤

शिलांगरू त्रिपुरा कैसल ने आज दिल्लीए मुंबई और सात उत्तर पूर्वी राज्यों ;असमए मेघालयए मिजोरमए त्रिपुराए अरुणाचल प्रदेशए मणिपुरए नागालैंडद्ध से आए प्रमुख कैंसर विशेषज्ञोंए रणनीतिकारोंए प्रशासकोंए उद्योग नेताओं के बीच आधुनिक तकनीकों के बारे में बातचीत की।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ रवि मेहरोत्राए डॉ अमल कटकीए डॉक्टर डीण्वीण् थप्पाए श्री अशोक बाजपेयी जैसे प्रख्यात नेताओं ने किया।

आयोजन अध्यक्षए डॉक्टर फिरोज पाशा के अनुसार इस कार्यक्रम का लक्ष्य फेफड़ोंए स्तन यकृतए पेरिटोनियमए मस्तिष्क और बचपन के कैंसर के निदान और उपचार के क्षेत्र में विकास फैलाना है ताकि यहां के असहाय मरीजों को वो जीवनदान मिल सके जो देश के बाकी क्षेत्रों के मरीजों को मिल रहा है। शिलांग के प्रमुख चिकित्सा पेशेवरों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और आम जनता को इन बीमारियों के बारे में जागरुक करने की कोशिश की।


न्यूरो.ऑन्कोलॉजी के विकासए बाल चिकित्सा कैंसर में परिणामों की बेहतरीए ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर के उपचार और प्रेशराइज्ड इंट्रा पेरिटोनियल एरोसोल थेरेपी के उपयोग जैसे कई विषयों पर दिए गए लेक्चर इस इवेंट के मुख्य आकर्षण का कारण बने। 

बीसीपीबीएफ. द कैंसर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉक्टर समीर कौल का कहना है किए श्ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं की मृत्यु और अन्य बढ़ते हुए रोगों का प्रमुख कारण है। जेनेटिकल कैंसर के मामलों में कैंसर जीन के फैलने के चांसेस लगभग 10ः ज्यादा होते है जबकि अभी भी 90ः मामले छोटे.मोटे होते हैं। यदि एक महिला को 40 वर्ष की आयु के भीतर स्तन कैंसर का पता चलता है तो उनमें ओवेरियन और ब्रेस्ट कैंसर दोनों के लिए जोखिम का खतरा दोगुना हो जाता है। कैंसर के विकास का खतरा तब भी बढ़ जाता है जब 60 साल से कम उम्र की महिलाओं में ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर होता है। इस कैंसर में एस्ट्रोजन रिसेप्टर्सए प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टर्स और मानव एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर की कमी होती है।श् 


ग्लोबोकैन 2018ए भारत द्वारा प्रदान किए गए हाल के आंकड़ों के अनुसारए 2018 में कैंसर के नए रोगियों की संख्या में 3ः की वृद्धि हुई थी और मृत्यु दर 30ः दर्ज की गई थी। पिछले 5 सालों में कुल प्रचलित मामलों में लगभग 80 हजार रोगियों के मामलों में मृत्यु दर लगभग 40ः तक रही है।

बीसीपीबीएफ. द कैंसर फाउंडेशन की महासचिव सुश्री मृदुल अरोड़ा कहा कहना है कि श्हमारा प्रयास है कि हम भारत में अपने डॉक्टरों और रोगियों के लिए सर्वश्रेष्ठ वैश्विक कैंसर अनुसंधान के लाभ लेकर आएं और साथ ही दिल्ली में राष्ट्रीय कैंसर नीति निर्माताओं की जरूरतों और आकांक्षाओं को जमीनी स्तर पर पूरा कर सकें।श्

लीडिंग फाउंडेशन थिंक टैंक एंड पेसेंट एडवोकेट 2004 से भारत में आर्थिक रूप से असहाय कैंसर रोगियों को मदद प्रदान करती आ रही है।






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