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पीएडी के हाई रिस्क पर स्मोकर्स द- स्टेंट से संभव है उपचार

सब केटगॉरी : सेहत  Jan,31,2020 03:43:51 PM
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पीएडी के हाई रिस्क पर स्मोकर्स द- स्टेंट से संभव है उपचार

डॉक्टर प्रदीप मुले, हेड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट, फोर्टिस हॉस्पिटल, वसंत कुंज

                                                                                                                                      

परिधीय धमनी रोग एक आम संचार समस्या है जिसमें सिकुड़ी हुई धमनियां अंगों में रक्त के प्रवाह को कम करती हैं। पैरों को पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं मिल पाता है जिससे आदमी दिनभर चलने की क्षमता को खोने लगता है। यह अन्य परेशानियों के लक्षणों का कारण बनता है, जिसमें विशेष रूप से चलते वक्त पैरों में दर्द शुरू हो जाता है जो कुछ मिनटों के आराम के बाद गायब हो जाता है लेकिन फिर से चलने पर व्यक्ति को पुना: दर्द महसूस होने लगता है।

पीएडी के क्या कारण हैं?

एथेरोस्क्लेरोसिस - एक ऐसी स्थिति जहां फैट धमनी की दीवारों पर डिपोजिट होने लगता है, जिससे लुमेन सिकुड़ जाता है जो रक्त प्रवाह कम होने का कारण बनता है। आमतौर पर, नसों में सूजन, अंग की चोट, असामान्य शारीरिक रचना या धमनी पर दबाव पड़ने वाली मांसपेशियां, या रेडिएशन एक्सपोजर आदि, परिधीय धमनी रोग का कारण बनते हैं। पीएडी के जोखिम को बढ़ाने वाले अन्य कारक निम्नलिखित हैं –

·         धूम्रपान

·         डायबिटीज

·         मोटापा (30 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स)

·         हाई बल्ड प्रेशर

·         हाई कोलेस्ट्रॉल

·         परिधीय धमनी रोग का पारिवारिक इतिहास, हृदय रोग या स्ट्रोक

·         होमोसिस्टीन का उच्च स्तर, एक प्रोटीन कॉमपोनेन्ट जो टिशू के निर्माण और रखरखाव में मदद करता है।

जो लोग धूम्रपान करते हैं या जिन्हें मधुमेह है, उनमें परिधीय धमनी रोग विकसित होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है।

 

संबंधित समस्याएं क्या हैं?

·         गंभीर लिम्ब इस्कीमिया – यह गंभीर स्थिति खुले घाव जो ठीक नहीं होते, चोट या पैर में इंफेक्शन जिससे टिशू मर जाती है आदि के साथ शुरू होती है।

·         स्ट्रोक और हार्ट अटैक – एथेरोस्क्लेरोसिस जो परिधीय धमनी रोग के संकेतों और लक्षणों का कारण बनता है, हृदय और मस्तिष्क में रक्त प्रवाह करने वाली नसों में भी विकसित हो सकता है।

           

क्या हैं लक्षण?

·         क्लॉडिकेशन - कुछ गतिविधियों जैसे चलने या सीढ़ियां चढ़ने के बाद जांघ, कुल्हे या पैर के निचले हिस्से की मांसपेशियों में दर्दनाक ऐंठन होना।

·         पैर की सुन्नता या कमजोरी, पैर या पैर की उंगलियों के घाव जो लंबे समय से ठीक नहीं हो पा रहे।

·         पैर के निचले हिस्से में ठंड लगना, खासकर दूसरी तरफ की तुलना में

·         पैरों के रंग में बदलाव

·         पैरों के बालों का झड़ना या कम गति से बढ़ना

·         पैरों की उंगलियों के नाखूनों के बढ़ने की गति धीमी होना

·         पैरों में नाड़ी का न होना या नाड़ी का कमजोर होना

·         पुरुषों में स्तंभन दोष

 

यदि परिधीय धमनी रोग बढ़ता है, तो दर्द आराम करने या लेटने पर भी हो सकता है। यह दर्द इतना तीव्र हो सकता है कि इससे आपकी नींद भी खराब सकती है।

 

शुरुआती जांच से संभव है उपचार

शारीरिक जांच - डॉक्टर आपकी धमनी के संकुचित भाग के नीचे कमजोर या अनुपस्थित पल्स की जांच करता है। ये पल्स आपकी धमनियों पर आवाज़ करती है जिसे स्टेथोस्कोप के साथ सुना जा सकता है। स्थिति की जांच करने के लिए निम्नलिखित परीक्षण किए जा सकते हैं –

 

·         एंकल-ब्रेकियल इंडेक्स (एबीआई) - यह आपके हांथ के बल्ड प्रेशर से आपके टखने के बल्ड प्रेशर की तुलना करता है।

·         अल्ट्रासाउंड - डॉपलर अल्ट्रासाउंड नसों के माध्यम से रक्त के प्रवाह का मूल्यांकन करता है और बंद या संकुचित धमनियों की पहचान करता है।

·         एंजियोग्राफी – नसों में डाई (कंट्रास्ट मटीरियल) इंजेक्ट करके, डॉक्टर एक्स-रे इमेजिंग या मैगनेटिक रेज़ोनेन्स एंजियोग्राफी (एमआरए) या कम्प्यूटराइज्ड टोमोग्राफी एंजियोग्राफी (सीटीए) जैसी इमेजिंग तकनीकों का उपयोग करके, धमनियों में रक्त के प्रवाह को देख सकते हैं।

 

·         कैथेटर एंजियोग्राफी एक अधिक फैलने वाली प्रक्रिया है जिसमें धमनी के माध्यम से प्रभावित क्षेत्र में डाई को इंजेक्ट किया जाता है। इस प्रकार की एंजियोग्राफी सबसे अच्छा विजुएलाइजेशन देती है जिससे सही जांच और उपचार संभव हो पाता है।

 

इसका इलाज कैसे किया जाता है?

·         मेडीकेशन – बल्ड क्लॉट को रोकने और रक्त के प्रवाह में सुधार करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। वासोडिलेटर्स के उपयोग से, बल्ड प्रेशन को कम करना (130/80 मिमी एचजी के तहत), कोलेस्ट्रॉल के स्तर (<100 मिलीग्राम/ डीएल) को कम करना और दर्द और अन्य लक्षणों को नियंत्रित करना ही अहम लक्ष्य बन जाता है।

·         थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी – अगर बल्ड क्लॉट किसी धमनी को ब्लॉक कर रहा है तो डॉक्टर इसे तोड़ने के लिए प्रभावित धमनी में क्लॉट डिज़ॉल्विंग ड्रग इंजेक्ट कर सकते हैं।

·         एंजियोप्लास्टी - इस विधि का आमतौर पर शॉर्ट सेग्मेंट ब्लॉक के मामलों में इस्तोमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में, एक छोटी कैथेटर को नसों के जरिए प्रभावित धमनी में लगाया जाता है, जहां कैथेटर की नोक पर एक छोटा गुब्बारा धमनी को फिर से खोलने और धमनी की दीवार में रुकावट को खत्म करने के लिए फुलाया जाता है। रक्त प्रवाह को बढ़ाने के लिए धमनी में एक स्टेंट डाला जाता है।

·         बाईपास सर्जरी – यह बंद या संकुचित धमनी के लाँग सेग्मेंट के मामले में किया जाता है। एक ग्राफ्ट बाईपास शरीर के किसी अन्य भाग या आर्टीफिशियल कपड़े से बनी नसों का उपयोग करके बनाया जाता है।

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