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ई-सिगरेट: धूम्रपान करने का एक वैकल्पिक मार्ग, नॉनस्मोकर्स भी हो रहे शिकार

सब केटगॉरी : सेहत  Feb,01,2020 09:17:21 PM
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�ई-सिगरेट: धूम्रपान करने का एक वैकल्पिक मार्ग, नॉनस्मोकर्स भी हो रहे शिकार

 

नई दिल्ली: भारत में सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) पर बैन लगाने के लिए केंद्र सरकार की हाल की सलाह के बावजूद, ई-सिगरेट और हुक्का अभी भी देश के प्रमुख मेट्रो शहरों में आसानी से उपल्बध हैं।

28 अगस्त 2018 को केंद्र सरकार ने सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को एक एडवाइसरी जारी की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलिवरी सिस्टम (ईएनडीएस), ई-सिगरेट, हीट-नॉट-बर्न डिवाइस, वेप, ई-शेटा, ई-निकोटीन हुक्का और अन्य डिवाइसेस जैसे कि निकोटीन वितरण को उपलब्ध कराने वाली डिवाइसेस न तो बेची (ऑनलाइन बिक्री सहित) जा सकें, न तो उनको बनाया या उनका व्यापार किया जा सके और न ही उनका विज्ञापन हो सके।

कंज्यूमर वॉइस जो 'जागो ग्राहको जागो' के तहत काम करने वाले अग्रणी उपभोक्ता संगठन में से एक है, के द्वारा किए गए एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार यह स्पष्ट हो गया है कि सही गाइडलाइन्स के अभाव में, ई-सिगरेट का कारोबार अनियंत्रित रहा है और ऐसे उत्पादों का बड़े पैमाने पर विरोध भी किया जा रहा है। इसके अलावा ई-सिगरेट आसानी से ऑनलाइन पोर्टल से खरीदी जा सकती हैं, जिन्हें रिचार्ज सहित घर पर डिलीवर किया जाता है।

सर्वेक्षण में पता चला, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) और बैंगलोर (कर्नाटक) में बैन के बावजूद ई-सिगरेट आसानी से उपलब्ध थे।

कंज्यूमर वॉइस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, श्री आशिम सान्याल का कहना है कि, सर्वेक्षण से पता चला है कि विभिन्न राज्यों में ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर कई ब्रांडों के साथ-साथ ई-सिगरेट आसानी से उपल्बध है। कई फ्लेवर्स में उपलब्ध और ट्रेंडी होने के कारण, यह कई युवाओं और गैर-धूम्रपान करने वालों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। ये सभी चीजें सीधा-सीधा लोगों को नुकसान पंहुचाती हैं और पारंपरिक सिगरेट के समान ही भयानक हैं। हालांकि कई राज्यों ने ई-सिगरेट पर सही तरीके से प्रतिबंध लगा दिया है और केंद्र सरकार ने भी इसके प्रतिबंध के लिए एडवाइसरी जारी की है, लेकिन इस अस्वास्थ्यकर डिवाइस की मांग को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर इसकी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए जो विशेष रूप से युवाओं को आकर्षित कर रही है।

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