मानव जीवन अत्यंत कठिन होता है। किसी न किसी छोटी-बड़ी
परेशानी से मनुष्य झूझता ही रहता है। इन परेशानियों पर गौर किया जाए तो ज्यादातर
मामलों में मनुष्य खुद के शरीर से ही परेशान रहता है जिसका जिम्मेदार भी वह स्वयं
ही होता है। बदलती जीवनशैली के साथ कैंसर का खतरा इतना बढ़ गया है कि शरीर का कोई
भी अंग कैंसर की चपेट में आ सकता है। इसी में शामिल है पित्ताशय यानी कि गॉलब्लैडर का
कैंसर।
गॉलब्लैडर नाशपाती के आकार का एक छोटा
अंग है जो पेट के दाँयी तरफ होता है। गॉलब्लैडर तरल पदार्थ को लीवर से
निकालकर एकत्रित करता है। इस तरल पदार्थ को पित्त कहा जाता है। पाचन की
प्रक्रिया के वक्त जब भोजन छोटी आँत के पहले हिस्से में प्रवेश करता है तो पित्ताशय
सिकुड़ जाता है और उससे पित्त निकलने लगता है जो भोजन को पचाने में मदद करता है।
पित्ताशय एक उपयोगी अंग है लेकिन यह इतना भी आवश्यक नही है कि इसके बिना जीना
मुश्किल हो जाए। जिन लोगों का पित्ताशय निकाल दिया जाता है, वे
बाद में भी सामान्य जीवन व्यतीत कर पाते है।
गॉलब्लैडर में पथरी या
स्टोन होना आम बात हो चुकी है। नॉर्मल ऑपरेशन से यह ठीक भी हो जाता है पर ज्यादातर मामलों में पथरी के आस-पास के टिशू में सूजन हो जाती है जो ट्यूमर या कैंसर का कारण बन जाती है।
चिंता की बात यह है कि गॉलब्लैडर कैंसर के ज्यादातर मामलों का लेट से पता चलता है जिसके कारण मरीज को बचा पाना मुश्किल हो
जाता है। वैसे तो गॉललब्लैडर का कैंसर आम नहीं होता है लेकिन यह पुरुषों की तुलना
में महिलाओं में अधिक होता है। महिलाओं में एस्ट्रोजेन नाम का हार्मोन अधिक निकलता है जो कोलेस्ट्रॉल की वृद्धि का कारण है। इस
कारण उनमें गॉल ब्लाडर स्टोन और कैंसर दोनों का खतरा ज्यादा होता है।
शुरुआत में गॉलब्लैडर कैंसर के कोई लक्षण
नहीं नजर आते हैं जिसकी वजह से इसका पता तब चलता है जब पथरी का ऑपरेशन हो रहा होता
है। कई बार तो डॉक्टर यह शुनिश्चित करना भूल जाते हैं कि कहीं मरीज को कैंसर का
खतरा तो नहीं है। गॉलब्लैडर कैंसर के लक्षणों में ज्यादातर मामलों में पीलिया देखा
गया है। इसके अलावा
गॉलब्लैडर कैंसर के लक्षणों में कभी-कभी लगातार पेट दर्द भी
शामिल होता है। ये दर्द पेट के ऊपरी दाएं हिस्से होता है। इसके साथ बार-बार उल्टीं होना, गेस की समस्या होना और गॉलब्लैडर में गांठ बनना, ये सभी गॉलब्लैडर
कैंसर के लक्षणों में शामिल हैं।
इस कैंसर से बचने का कोई स्पष्ट उपाय नहीं होता है। हां,
इसे होने से रोका जरूर जा सकता है। अगर वजन को हमेशा नियंत्रण में रखा जाए और
धूम्रपान का सेवन न किया जाए तो गॉलब्लैडर कैंसर से बचा जा सकता है। अगर किसी वजह
से यह कैंसर हो जाए तो समय पर पता चलने पर इसका इलाज संभव है लेकिन इसके इलाज में
देरी हुई तो आदमी की जान भी जा सकती है। आकड़े देखे जाएं तो 90% गॉलब्लैडर का कैंसर पथरी होने के कारण होता है इसलिए यह जरूरी होता है कि इसकी
जांच ठीक से की जाए।
गॉलब्लैडर कैंसर के ज्यादातर मामले देर से
पता चलते हैं, इसलिए इसका पूरा इलाज संभन नहीं है। कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की मदद से रोगी को कुछ वक्त
जीने का मौका जरूर मिल जाता है। डॉक्टर कैंसर के लक्षण पहचानने के लिए आंखों की
जांच करेगा और ब्लड टेस्ट के साथ अल्ट्रासाउंड भी किया जाएगा। इन सारी जांचों के
बाद यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आपको कैंसर है या नहीं। इसके बाद इसकी गंभीरता को
देखते हुए इसका ट्रीटमेंट शुरू किया जाएगा। यदि कैंसर शुरुआती स्टेज पर है तो
सर्जरी के जरिए गॉलब्लैडर को शरीर से बाहर कर दिया जाएगा अन्यथा आदमी के बचने की कोई उम्मीद
नहीं रहती है।