हममें से अधिकतर
लोग चेहरे, जबड़े और नाक के आसपास की जगह पर हो रहे दर्द को सामान्य समझकर नजरअंदाज़
कर देते हैं। ऐसा करना बहुत ही खतरनाक हो सकता है इसलिए ऐसे लक्षणों को अनदेखा
करने की गलती बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। इस गंभीर दर्द में कई बार चुभन और
इलेक्ट्रिक शॉक जैसा महसूस हो सकता है, जो भविष्य में मस्तिष्क की गंभीर समस्या का
कारण बन सकता है। यह दर्द आमतौर पर चेहरे के निचले हिस्से और जबड़े में होता है,
जबकी कई बार यह दर्द नाक और आँखों के आसपास की जगह को भी प्रभावित करता है। यह
दर्द माथा, गाल और निचले जबड़े में फैली ट्रिगेमिनल नर्व की साखाओं में गड़बड़ी के
कारण होता है, जो आमतौर पर चेहरे के एक तरफ सीमित रहता है।
ट्रिगेमिनल
नर्व क्या है?
ट्रिगेमिनल
नर्व मस्तिष्क
में मौजूद 12 क्रेनियल नर्व में से 5वीं नर्व होती है, जो चेहरे के भावों और
संवेदनशीलता के लिए जिम्मेदार होती है। इस नर्व की 3 साखाएं मस्तिष्क के बाएं ओर
मौजूद होती हैं और 3 साखाएं दाएं ओर मौजूद होती हैं, जिससे चेहरा भावों को महसूस करने
योग्य बन पाता है।
ट्रिगेमिनल
न्यूरेल्जिया- प्रिवेलेंस
हालांकि यह
समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन आमतौर पर यह समस्या 50 से अधिक उम्र के
लोगों में ज्यादा होती है। दी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसॉडर एंड
स्ट्रोक के अनुसार, ट्रिगेमिनल न्यूरेल्जिया पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक
होता है। यह समस्या लोगों में आनुवांशिक तौर पर ज्यादा फैलता है, जिससे समान खून
के कारण परिवार की सभी पीढ़ियों को इसका शिकार होना पड़ता है। इसके जोखिम के कारण
उच्च रक्तचाप और मल्टिपल स्क्लेरोसिस हैं।
यह
दर्द क्यों होता है?
जब मस्तिष्क में मौजूद स्वस्थ नसें या धमनियां और ट्रिगेमिनल
नर्व किसी कारणवश आपस में मिल जाती हैं, तब इस दर्द का अनुभव होता है। इस नर्व पर
झटका लगने के कारण मस्तिष्क के अंदर की नसों पर दबाव पड़ता है, जिससे वहां पर दर्द
का एहसास होता है। ट्रिगेमिनल न्यूरेल्जिया के अन्य कारणों में नर्व के ट्यूमर और
मल्टिपल स्क्लेरोसिस पर दबाव शामिल है, जो माइलिन के कवर को हानि पहुंचाता है। युवाओं में इस समस्या का कारण मल्टिपल
स्क्लेरोसिस हो सकता है।
कैसे
करें समस्या की पहचान?
अधिकतर मरीजों के अनुसार, उन्हें बिना किसी कारण अचानक ही दर्द का अनुभव
होता है। कुछ मरीजों का यह भी कहना है कि उन्हें इस दर्द का अनुभव कार एक्सीडेंट,
मुंह पर चोट या मोच लगने या डेंटल सर्जरी के बाद हुआ। इन मामलों में यह साफ जाहिर
होता है कि समस्या पहले से विकसित हो रही थी लेकिन इसके लक्षण डेंटल प्रक्रिया के
साथ दिखना शुरू हुए।
शुरुआत में यह दर्द ऊपरी या निचले जबड़े में महसूस होता है, जिससे कई
मरीजों को लगता है कि उन्हें दांत संबंधी समस्या है। कुछ मरीज अपने डॉक्टर से
संपर्क कर रूट कैनाल ट्रीटमेंट करवाते हैं, जिसके बाद भी उन्हें कोई फायदा नहीं
मिलता है। ट्रीटमेंट के बाद भी दर्द में राहत न मिलने के बाद उन्हें समझ आता है कि
यह दांत संबंधी समस्या नहीं है। दुर्भाग्य से कई मरीज अपना दांत निकलवाने के बाद
न्यूरोसर्जन से संपर्क करते हैं।
विभिन्न प्रकार के दर्द के लक्षण ट्रिगेमिनल
न्यूरेल्जिया के लक्षणों से लगभग मिलते-जुलते हैं। आमतौर पर, इसमें गाल और दांत
में दर्द के साथ सिरदर्द, गर्दन दर्द और कंधों में दर्द होता है। इस अवस्था को ‘माइग्रेन मिमिक’ के
नाम से बुलाते हैं क्योंकि इसके और माईग्रेन के लक्षण एक जैसे होते हैं। अर्नेस्ट
सिंड्रोम फेशियल लिगामेंट में चोट के कारण होता है, जो खोपड़ी से लेकर निचले जबड़े
तक फैला होता है। इस दौरान चेहरे, सिर और गर्दन में दर्द होता है। ओसिपिटल न्यूरेल्जिया
में सिर के आगे और पीछे की ओर दर्द होता है, जो कई बार चेहरे तक भी फैल सकता है।
इसका
निदान कैसे किया जाता है?
मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि
यह समस्या ट्यूमर के कारण हो रही है या मल्टिपल स्क्लेरोसिस
के कारण हो रही है। जबतक कारण स्पष्ट नहीं हो जाता, तबतक यह नहीं बताया जा सकता है
कि फेशियल नर्व में क्या गड़बड़ी है। इस नर्व के पास वाली रक्त वाहिका को एक अच्छी
गुणवत्ता वाली एमआरआई की मदद से भी देखना मुश्किल होता है। कुछ जांचों की मदद से
फेशियल डिसॉडर के अन्य कारणों की पहचान की जा सकती है। ट्रिगेमिनल न्यूरेल्जिया का
निदान सामान्यतौर पर मरीज द्वारा बताए गए लक्षणों के अनुसार किया जाता है।
मिनिमली
इनवेसिव ट्रीटमेंट- साइबरनाइफ एम6
यदि उचित मेडिकेशन के बाद भी इस समस्या से राहत नहीं मिलती है तो डॉक्टर
सर्जरी की सलाह देते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में की जाने वाली माइक्रोवस्कुलर
डिकम्प्रेशन, स्टेरोटेक्टिक रिज़ोटॉमी जैसी सर्जिकल प्रक्रियाओं के लिए एक उचित
विशेषज्ञ की जरूरत होती है क्योंकि इसमें चीर-फाड़ की आवश्यकता पड़ती है। जबकी
साइबरनाइफ एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है, जो ट्रिगेमिनल
न्यूरेल्जिया के मरीजों के
लिए एक वरदान साबित हुई है। इस एडवांस प्रक्रिया में एक छोटे से चीरे से ही काम बन
जाता है और खर्च भी कम लगता है।
साइबरनाइफ रेडिएशन सर्जरी, बाद की मुश्किलों को कम कर देती है। हालिया
इमेजिंग तकनीक और कंप्युटर एसिस्टेड रोबोटिक सिस्टम के इस्तेमाल के साथ, इस
प्रक्रिया में रेडिएशन की हाई फ्रीक्वेंसी वाली किरणों को हर तरफ से समस्या वाली
जगह पर भेजा जाता है, जिससे स्वस्थ कोशिकाओं को किसी प्रकार का नुकसान नहीं
पहुंचता है। इसके अलावा साइबरनाइफ एम6 रेडिएशन की जगह को बराबर तरीके से देख और
बदल सकता है, जिससे रेडिएशन की किरणें सीधा समस्या वाली जगह पर असर करती हैं।
इस प्रक्रिया के दौरान, रोबोट का हाथ धीरे-धीरे मरीज के आसपास घूमता है,
जिसे मरीज बिल्कुल महसूस नहीं कर पाता है। यह सिंगल सेशन आधे घंटे तक चलता है, जिसके बाद
मरीज को अस्पताल से जल्द ही डिस्चार्ज कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से
सुरक्षित है, जिसमें दर्द न के बराबर होता है और सर्जरी के बाद की मुश्किलें भी न
के बराबर होती हैं। लगभग 80% मामलों में मरीज सिंगल ट्रीटमेंट के बाद ही ठीक हो जाते हैं और 2 महीनों
के अंदर सामान्य दिनचर्या शुरु कर पाते हैं। वहीं लगभग 10%
मरीजों को सर्जरी के तुरंत बाद ही दर्द से राहत मिल जाती है।