बुलंदशहर,
23 जनवरी, 2020: क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के कारण किडनी की विफलता के
बढ़ते मामलों और इसके बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने के लिए नोएडा स्थित
फोर्टिस हॉस्पिटल ने बुलंदशहर में दिल्ली रोड स्थित शांति दीप हॉस्पिटल में
नेफ्रोलॉजी ओपीडी की विशेष सुविधाओं की शुरुआत की। फोर्टिस हॉस्पिटल द्वारा लिया
गया यह एक खास कदम है, जिससे स्थानीय व आसपास के मरीज हेल्थकेयर की इन सुविधाओं का
आसानी से लाभ उठा सकेंगे।
यह लॉन्च कार्यक्रम बुलंदशहर के अल्का होटल में आयोजित किया गया था, जिसका
संबोधन डॉक्टर अनुजा पोरवाल, वरिष्ठ सलाहकार, नेफ्रोलॉजी व किडनी ट्रांसप्लान्ट
विभाग, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा द्वारा किया गया।
शुरु की गईं ओपीडी सुविधाएं शांति दीप हॉस्पिटल में हर महीने के दूसरे व
चौथे गुरुवार को सुबह 11:30 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक उपलब्ध होंगी। इसके साथ यह भी सुनिश्चित
किया जाएगा कि किडनी के सभी मरीज नियमित रूप से एपॉइंटमेंट बुक करा पा रहा हैं। इन
सुविधाओं की शुरुआत के साथ, अब किसी भी मरीज को दूर शहर की यात्रा करने की
आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
नोएडा स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी व किडनी ट्रांसप्लान्ट विभाग की वरिष्ठ
सलाहकार, डॉक्टर अनुजा पोरवाल ने बताया कि, “किडनी की विफलता
या क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) एक ऐसी बीमारी है, जो धीरे-धीरे बढ़ती है। जब
किडनियां रक्त से विषाक्त तत्वों को साफ करने में सक्षम नहीं रहती हैं, तो इसका
अर्थ यह है कि किडनी फेल हो गई है। हालांकि, यह बीमारी लाइलाज होती है, लेकिन
शुरुआती निदान और समय पर इलाज के साथ बीमारी के बढ़ने व गंभीर होने की गति को धीमा
किया जा सकता है। बुलंदशहर में इन ओपीडी सुविधाओं की शुरुआत के साथ, हमारी टीम
स्थानीय व पड़ोसी शहरों के मरीजों के लिए अपनी सुविधाओं का विस्तार करने का
उद्देश्य रखती है, जिससे लोग आसानी से इन सुविधाओं का लाभ उठा सकें। हेल्थकेयर की
सबसे बेहतरीन सुविधाओं और आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ नोएडा में पहले ही इन सुविधाओं
को उपलब्ध किया जा चुका है।”
पिछले एक दशक में, सीकेडी के मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है और निरंतर
बढ़ती जा रही है। अनुमान के अनुसार, भारत में लगभग 10 फीसदी युवा किसी न किसी
प्रकार की किडनी की बीमारी से ग्रस्त हैं। इसके मुख्य कारणों में डायबिटीज और उच्च
रक्तचाप शामिल हैं, जो सीकेडी के 60 फीसदी मामलों के लिए जिम्मेदार हैं। बढ़ते
मामलों की तेज गति देखते हुए इन बीमारियों की रोकथाम आवश्यक हो गई है, जो केवल
बीमारी की रोकथाम के तरीकों के बारे में जागरुकता, शुरुआती निदान और समय पर इलाज
के साथ ही संभव है।
डॉक्टर अनुजा पोरवाल ने आगे बताया कि, “भारत में आज भी लोग इस बीमारी के बारे में कुछ अधिक नहीं जानते हैं, जिसका
मुख्य कारण जागरुकता में कमी है। यही वजह है कि इस बीमारी के कारण मृत्युदर तेजी
से बढ़ रही है। लोगों को बीमारी की रोकथाम के तरीकों, लक्षणों, शुरुआती निदान व
समय पर इलाज के बारे में जागरुक करना अनिवार्य है। लोगों को यह बताने की आवश्यकता
है कि आज मेडिकल के क्षेत्र में प्रगति के साथ नेफ्रोलॉजी की मदद से इस बीमारी की
रोकथाम संभव है।”
चूंकि, अधिकांश लोगों में किसी प्रकार के लक्षण नहीं नजर आते हैं, इसलिए
बीमारी अंदर ही अंदर गंभीर होती जाती है और फिर मरीज में इस बीमारी की पहचान
एडवांस चरण में होती है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए, हर व्यक्ति के लिए साल
में कम से कम एक रुटीन चेकअप कराना आवश्यक है, जिससे कोई लक्षण न नजर आने के बाद
भी बीमारी की पहचान सही समय पर की जा सके। इस प्रकार हर व्यक्ति एक लंबा और स्वस्थ
जीवन का आनंद ले सकता है।
डॉक्टर पोरवाल ने कहा कि, “कई ऐसी वजह हैं, जिसके कारण व्यक्ति क्रोनिक किडनी डिजीज का शिकार बनता है
और उसके लिए वह खुद जिम्मेदार होता है। इन कारणों में, शराब का अत्यधिक सेवन,
धूम्रपान, शरीर में पानी की कमी, ड्रग्स का सेवन, खराब आहार और पेनकिलर दवाइयों का
अत्यधिक सेवन आदि शामिल हैं। इसलिए हम इस बीमारी के प्रबंधन का उद्देश्य रखते हैं,
जिससे बीमारी के गंभीर होने से पहले ही इसकी रोकथाम हो सके।”