कईं लोगों की मौत नींद में ही हो जाती है, इनमें से अधिकतर का कारण क्रॉनिक हार्ट फेलियर से उत्पन्न अनियमित धड़कन (अरिधिमिया) होता है। ऐसा बहुत ही कम होता है कि एक स्वस्थ व्यक्ति का हृदय अचानक काम करना बंद कर दे। लगभग 99 प्रतिशत लोगों में उनका शरीर दिल के क्षतिग्रस्त होने के संकेत देता है लेकिन वे इसकी अनदेखी करते हैं। नींद में क्रॉनिक हार्ट फेलियर के मामले उन लोगों में भी देखे जाते हैं जिन्हें हृदय रोग के साथ फेफड़ों के रोग, पलमोनरी हाइपरटेंशन या स्लीप एपनिया होता है। जिन लोगों के हृदय का आकार बढ़ जाता है उनमें भी अक्सर नींद में सोते समय दिल की धड़कने आसामान्य हो जाती है, जिससे क्रॉनिक हार्ट फेलियर की आशंका बढ़ जाती है।
क्या होता है क्रॉनिक हार्ट फेलियर
हृदय के कईं रोग हैं जो लगातार हृदय को क्षतिग्रस्त करते रहते हैं अगर इनका समय रहते उपचार कराया जाये तो क्रॉनिक हार्ट फेलियर (सीएचएफ) की स्टेज तक पहुंचने से बचा जा सकता है। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि लोग शुरूआत में बीमारी की अनदेखी करते हैं और मामूली उपचार कराकर छोड़ देते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि हृदय की सामान्य कार्यप्रणाली कम होती जाती है और ऐसी स्थिति आ जाती है जब हृदय पूरी तरह खराब हो जाता है। अगर 40 साल की उम्र पार करने के बाद नियमित रूप से हृदय का चेकअप कराया जाये तो क्रॉनिक हार्ट फेलियर को रोका जा सकता है। इस बात का ध्यान रखें कि उपचार उन्हीं का होता है जिनका हृदय 65 प्रतिशत से अधिक खराब नहीं हुआ हो।
कारण
हृदय के रोग जैसे हार्ट अटैक, हृदय में छेद, वॉल्व खराब हो जाना, कोरोनरी आर्टरी डिसीज, हृदय की मांसपेशियों का क्षतिग्रस्त हो जाना, मासंपेशियों में सूजन आ जाना, धड़कनें आसामान्य हो जाना। इसके अलावा, डायबिटीज, खराब जीवनशैली, अनुवांशिक कारण, अत्याधिक तनावग्रस्त जीवन व उच्च रक्तचाप के कारण भी यह बीमारी हो सकती है।
लक्षण
कईं लोगों में प्रारंभ में इस रोग के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं लेकिन जैसे-जैसे हृदय की स्थिति खराब होती जाती है स्वास्थ्य खराब होने लगता है। इसके कुछ प्रारंभिक लक्षण है जैसे थकान रहना, पंजों, टखनों और