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‘मेक इन इंडिया’ की नई शुरुआत के साथ आँखो के इलाज में सुधार संभव

सब केटगॉरी : विज्ञान  Feb,17,2020 03:14:21 PM
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‘मेक इन इंडिया’ की नई शुरुआत के साथ आँखो के इलाज में सुधार संभव

गुरुग्राम भारत में ऑपथैल्मोलॉजी के क्षेत्र में प्रगति के साथ न सिर्फ आँखों के इलाज के परिणाम बेहतर हुए हैं, बल्कि अंधेपन के मामलों में भी कमी आई है। लेकिन समस्या बस यह है कि आईकेयर सुविधाओं के लिए अभी भी कुछ कानूनी संशोधन लगाने बाकी हैं। एआईओएस द्वारा आयोजित 78वीं एनुअल इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन, देश में टेक्नोलॉजी को जमीनी स्तर पर उपलब्ध कराने के तरीकों पर आधारित रहा।

ऑपथैल्मोलॉजी तेजी से विशेषज्ञता की ओर बढ़ रही है। ऑपथैल्मोलॉजी की इन खास शाखाओं को बढ़ने के लिए सही पर्यावरण की आवश्यकता है। एआईओएस का उद्देश्य नेशनल सब-स्पेशलिटी एसोसिएशन के साथ मिलकर स्पेशलिटी ग्रुप्स की प्लानिंग कर उन्हें तैयार करना है, जिससे इस क्षेत्र की प्रगति और विकास की तरफ काम किया जा सके।

एआईओएस के अध्यक्ष, डॉक्टर महिपाल एस. सचदेव ने बताया कि, “आयुषमान भारत स्कीम की शुरुआत के साथ, दामों में गिरावट ने इलाज को बुरी तरह से प्रभावित किया है। सीजीएचएस, डीजीएचएस जैसे सरकारी पैनल ने एक दशक पहले जो सर्जरी के रेट निर्धारित किए थे, उन्हें आजतक नहीं बदला गया है। इसके अलावा, स्वास्थ बीमा एजेंसियों द्वारा दिया जाने वाले वेतन को पहले से भी कम कर दिया गया है। लोगों और मटीरियल कॉस्ट के बढ़ने के साथ, इस देश में ऑपथैल्मोलॉजी का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। आप इतने कम दामों में आधुनिकता की मांग नहीं कर सकते हैं। यह ऑपथैल्मोलॉजी के अभ्यास को नामुंकिन और मुश्किल बना रहा है।

इस टेक्नोलॉजी को जमीनी स्तर पर उपलब्ध कराना और अस्पतालों में ऑपथैल्मोलॉजिस्ट्स व टेक्नीशियन्स को उचित ट्रेनिंग देना, हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। कार्यक्रम में, विभिन्न सत्रों के जरिए लोगों तक आधुनिक टेक्नोलॉजी पहुंचाने के तरीकों पर भी चर्चा की गई। ऑपथैल्मिक डिसॉर्डर के इलाज में नए तरीकों के साथ न सिर्फ फास्ट रिकवरी संभव है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर हो जाती है। अच्छी बात यह है कि इलाज के इन विकल्पों के साथ, मरीज की कमजोर दृष्टि में बहुत जल्दी सुधार लाया जा सकता है।

एआईओएस की महासचिव, डॉक्टर नम्रता शर्मा ने बताया कि, “बढ़ते इनपुट कॉस्ट और घटते वेतन के साथ आईकेयर संबंधी सुविधाओं के बुरे समय को देखते हुए, एआईओएस का मानना है कि, ‘मेक इन इंडिया’ एकमात्र ऐसा विकल्प है, जिसकी मदद से ऑपथैल्मोलॉजी के क्षेत्र में सुधार लाया जा सकता है। सभी उपकरणों को भारत में तैयार किए जाने के साथ, ऑपथैल्मिक सेटअप के लिए फंड जुटाना संभव हो सकता है, जो वर्तमान के हालात के साथ बिल्कुल संभव नहीं है। एआईओएस इन इंडस्ट्री, संस्थानों और लोगों को बढ़ावा देने के लिए हर संभव कोशिश करेगा।

मेक इन इंडिया पर सरकार की जरूरत के साथ, कॉन्फ्रेंस में उपस्थित प्रतिनिधि ऑपथैल्मिक देखभाल से संबंधित सरल व स्वदेशी थेरेपीज के तरीकों के बारे में बताएंगे और उचित सलाह भी देंगे। उनके द्वारा दी गई सलाह को भविष्य में स्वर्ण मानक के रूप देखा जाएगा।

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