क्या है सीओपीडी
क्रानिक आब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (सीओपीडी) को हम हिंदी में कालादमा भी कहते है। इसमें फेफड़े में एक काली तार बन जाती है। यह अस्थमा के दमा से अलग होता है। अस्थमा एलर्जी प्रकार का रोग होता है जोकि वंशागत और पर्यावरण कारकों के मेल द्वारा होता है। फेफड़े का खतरनाक रोग है। इसमें इतनी खांसी आती है कि फेफड़ा बढ़ जाता और रोगी चलने लायक नहीं रहता। यहां तक कि मुंह से सांस छोड़ना उसकी मजबूरी बन जाती है। इस रोग का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान है। गांव में जहां लकड़ी पर खाना बनता है उन स्थानों की अधिकतर महिलाएं सीओपीडी की चपेट में रहती हैं।
कैसे पहचानें
सीओपीडी के प्राथमिक लक्षण पहचानना काफी आसान है। अगर दो महीने लगातार बलगम वाली खांसी आती है और यह पिछले दो साल से हो रहा हो तो समझ लीजिए कि आपको डॉक्टर से तुरंत मिलने की जरूरत है। खांसी के सामान्य सिरप और दवाएं इसमें कारगर नहीं होंगी। जांच के बाद ही आपको दवाएं लेनी होंगी। सीओपीडी के लक्षण 35 साल की उम्र के बाद ही नजर आते हैं।
धूप में करें मालिश
इसका एक बहुत सरल इलाज है। जाड़े की गुनगुनी धूप में बैठकर पूरे शरीर की मालिश करें। यही इस रोग का व्यायाम और इलाज है। चिकित्सकीय परामर्श पर दवा अवश्य लें लेकिन अपने से भूलकर भी स्टेरॉयड समूह की दवाएं कभी नही लेनी चाहिए। साथ ही गांवों में लकड़ी जलाकर भोजन बनाने से भी बचना चाहिए। हो सके तो गैस या स्टोव का प्रयोग करें।
सावधानियाँ
सीओपीडी का मुख्य उपचार रिस्क फैक्टर को रोकना है। रिस्क फैक्टर जैसे चूल्हे का धुआँ, धूल और प्रदूषण आदि से बचना जरूरी है।
o धूम्रपान तुरंत छोड़ दें।
o अगर आपके घर में पेस्ट कंट्रोल या रंग का काम हो रहा है, तो इससे दूर रहें।
o ज्यादा प्रदूषण में बाहर न निकलें।
o किचन में उठने वाले धुएँ और मसालों की गंध से दूर रहें। बत्ती वाले केरोसिन के स्टोव का उपयोग न करें।
o पौष्टिक खाना