शरीर में किसी भी प्रकार का विकार या विंकलांगता को ढ़ोना और समाज का सामना कर पाना मुश्किल होता है ये तो कोई विकलांग ही बता सकता है. विकल अंगों की अगर बात की जाए तो विकलांगता कई प्रकार की हो सकती है. पैरों और हाथों में पोलियों जैसे रोग हो जाने पर, सडक़ दुर्घटना में कई बार हाथ पैर कुचल जाने पर भी शरीर के कई अंग बेकार हो जाते हैं. कई बार ऐसे फै्रक्चर हो जाते हैं कि अंग खराब हो जाता है. कई अस्थि रोगों के कारण भी कई बार अंग निष्क्रिय होकर शरीर पर बोझ बन जाता है. लेकिन क्या अगर एक बार हाथ या पैर टूट जाए या विकारग्रस्त हो जाए तो क्या पीडि़त को हमेशा उससे जूझना होगा? नहीं, पहले तो ऐसा था भी कि हड्डियों के संक्रमण को ठीक करने के लिए परंपरागत तरीके का इस्तेमाल किया जाता था जो कि काफी कष्टदायक और समय नष्ट करने वाला हुआ करता था.
नई दिल्ली के पूसा रोड स्थिति बी एल कपूर हॉस्पिटल के वरिष्ठ अस्थि और इलिजारोव तकनीक विशेषज्ञ डा. अमर सरीन के अनुसार कई बार तो संक्रमण के कारण हाथ पैर काटने तक की नौबल आ जाती थी, लेकिन आज चिकित्सा ने जटिल से जटिल अस्थि रोगों का संक्रमण रहित इलाज करने में सफलता प्राप्त कर ली है. पिछले कुछ दशकों से चिकित्सा विज्ञान में इस तरह के रोगों का इलाज करने के लिए नई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिस कारण विभिन्न तरह के असाध्य व लाइलाज बीमारियों का भी इलाज संभव हो गया है और चिकित्सा के जिस क्षेत्र में सबसे अधिक विकास हुआ है वह है अस्थि रोग का क्षेत्र. अस्थि रोगों का संक्रमण रहित इलाज करने के लिए एक रूसी तकनीक इजात की गई है जिसका नाम है-इलिजारोव रिंग फ्क्सिेटर, जिससे कई तरह की विकलांगता से पूर्ण मूक्ति मिल जाती है. भारत सहित दुनिया के कई देशों में इस तकनीक का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा रहा है.
इस तकनीक के लाभ
जन्मजात पोलियों, अस्थि संबंधी अन्य रोग और दुर्घटनाओं के कारण छोटै तथा टेढ़े मेढ़े हाथ-पैरों को ठीक व सामान्य आकार में लाने के लिए भी इस तकनीक का इस्त