वर्तमान युग प्लास्टिक का है. प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जिसमें एक या एक से अध्कि पॉलिमर सबसटांसेस आवश्यक तत्व के रूप में मौजूद रहते हैं. अंतिम अवस्था में यह ठोस रूप ले लेता है. टिकाउपन के गुण की वजह से ही प्लास्टिक इतना लोकप्रिय हुआ. कुछ प्लास्टिक में बर्बादी का प्रतिरोध् करने की विशेषता होती है यानी किसी भी तरह यह खराब न हो.
सच तो यह है कि अध्किांश तरह के प्लास्टिक ऐसे प्राकृतिक संसाध्नों से तैयार किए जाते हैं जिनको दुबारा तैयार नहीं किया जा सकता यानि रिन्यू नहीं किया जा सकता. अब दिक्कत यह है कि पहले ही ढेर सारे कूड़े-करकट की व्यवस्था करना मुश्किल हो रहा था अब प्लास्टिक के कबाड़ ने इसमें और इजापफा ही किया है. आज तकरीबन सारे के सारे प्लास्टिक सिंथेटिक पॉलीमर्स से तैयार किए जा रहे हैं. कुछ पॉलीमर्स मसलन-बायोपॉलीमस यानी कार्बोहाइड्रेटस् और प्रोटीन्स् प्रकृति में पाए जाते हैं. बायोपॉलीमर्स का व्यावसायिक रूप से बड़े पैमाने पर उत्पादन पहले ही शुरू हो चुका है और प्लास्टिक बनाने में इस्तेमाल करने के लिए यह उपलब्ध् रहता है.
स्टार्च-बेस्ड बायोप्लास्टिकस कापफी महत्वपूर्ण रहते हैं. केवल इसलिए नहीं कि वे कम खर्चीले बायोपॉलिमर्स हैं बल्कि इसलिए भी ये महत्व रखते हैं कि इनको सिंथेटिक पॉलीमर्स को तैयार करने की सभी विध्यिों द्वारा बनाया जा सकता है. स्टार्च-प्रोटीन से बने जो प्लास्टिक के डिब्बें और थैलियां पफास्टपफूड सेन्टरस में इस्तेमाल की जाती है उनको इकट्टòा करके पास्तुरीकरण के बाद पशुचारे में बदल दिया जा सकता है.
कोलाजन एक ऐसा प्रोटीन है जो स्तनधरियों में प्रचुरता से पाया जाता है. जिलेटिन एक तरह का ‘डी-नेचर्ड’ कोलाजन है जिसका उपयोग दवा या विटामिन की कैप्सूल बनाने में किया जाता है. इसके अलावा इसका उपयोग औद्योगिक इकाइयों में काम आने वाले उपकरणों के निर्माण तथा पफोटोग्रापफी में भी किया जाता है. कैसीन का उत्पादन व्यावसायिक स्तर पर ज्यादातर गाय के दूध् ;मलाई अलग किए हुएद्ध से किया जाता है और इसका उपयोग चिपकाने वाले पदार्थों तथा अन्य उत्पादों पर सुरक्षा परत चढ़ाने के लिए होता हैं. सॉय प्रोटीन तथा जेन ;भुट्टðे से प्राप्तद्ध ये ऐसे प्रोटीन हैं जो वनस्पतियों में प्रचुरता से पाए