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गरीबी पर कुपोषण का कहर

सब केटगॉरी : सेहत  Mar,02,2020 03:19:01 PM
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�गरीबी पर कुपोषण का कहर

आज कुपोषण विकासशील देशों की प्रमुख समस्या है, यह अनेक रोगों को जन्म देती है. आदमी को कमजोर कर किसी काम लायक नहीं छोड़ती. इससे गरीबी पनपती है और इससे कुपोषण का शिकंजा कसता ही जाता है. विश्व बैंक ने भारत को कुपोषण की गंभीर स्थिति के बारे में चेतावनी दी है. बैंक ने कहा है कि उत्पादकता, बीमारी और मौत के आधर पर कुपोषण से होने वाले नुकसान का आंकलन किया जाए तो भारत को हर साल कम से कम दस अरब डालर का नुकसान हो रहा है. विश्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत ने स्वास्थ्य के क्षेत्रा में कापफी उन्नति की है, लेकिन इसके बावजूद कुपोषण भारत में एक संकट बना हुआ है. भारत में चार वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों की कुल आबादी में से आध्े कुपोषण के शिकार हैं. इसी तरह भारत में पैदा होने वाले 30 प्रतिशत नवजात शिशुओं का वजन कम होता है और 60 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी होती है.

अक्सर देखा गया है कि कुपोषण के शिकार लोग संक्रामक रोगों की चपेट में जल्दी आते हैं, उसका प्रभाव उन पर कापफी दिनों तक बना रहता है और पूर्ण रूप से स्वस्थ होने में वे प्रायः अपेक्षाकृत अध्कि समय लगाते हैं. कुछ लोगों का अवलोकन यह भी है कि बार-बार संक्रामक रोगों की चपेट में आने वाले व्यक्ति अंत में कुपोषण के शिकार हो जाते हैं.

गरीबों में कुपोषण तथा संक्रमक और उनका परस्पर प्रभाव अध्कि देखने को मिलता है. यह जानना असंभव सा लगता है कि इन दोनों में से पहले किसका आक्रमण हुआ. प्रतीत होता है कि गरीबों को सताने के लिए इन दोनों ने भी कुचक्र रच रखा है. पूर्ण स्वस्थ लाभ के लिए आवश्यक है कि इस कुचक्र को विपफल किया जाए. नवजात शिशु जब तक अपनी मां का स्तनपान करता रहता है तब तक वह प्रायः स्वस्थ रहता है, लेकिन ज्यों ही उसे ऊपर का खाना खिलाना प्रारम्भ करते हैं तो उसके शरीर में रोगाणु कभी भोजन तो, कभी पेय जल के माध्यम से प्रवेश करने लगते हैं . दस्त, कुकुरखांसी, यक्ष्मा तथा अन्य बीमारियों के संक्रमण के कारण शिशु कुपोषण का शिकार हो जाता है. जो बच्चे प्रोटीन के

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