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एक्यूट किडनी इंजरी

सब केटगॉरी : सेहत  Mar,03,2020 12:34:59 PM
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�एक्यूट किडनी इंजरी

किडनी की कार्यप्रणाली के अचानक क्षीण होने की स्थिति को एक्यूट किडनी इंजरी नामक रोग कहते हैं. जब किडनी में समुचित रूप से रक्तसे रक्तसंचार नहीं होता, तो उस स्थिति को एक्यूट किडनी इंजरी कहा जाता है. यदि शुरूआती दौर में इसका उपचार किया जाए, तो इस रोग से छुटकारा मिल सकता है.

किडनी में समुचित रूप से रक्तसंचार न होने के कई कारण है. जैसे कई दवाएं ऐसी होती है, जिनमें विषैले तत्व पाए जाते हैं. जब ये विषैले तत्व किडनी से गुजरते हैं, तब गुर्दो को नुकसान पहुंचाकर इन्हें क्षतिग्रस्त कर सकते हैं. जिन्हें ज्यादा खतरा है-मधुमेह (डाइबिटीज) से ग्रस्त रोगियों को. जो लोग क्रॉनिक किडनी डिजीज से ग्रस्त हों. ऐसे व्यक्तिजो ह्रदय रोगों से ग्रस्त हों और जिनका ब्लड प्रेशर अनियंत्रित रहता हो या खासकर ऐसे उम्रदराज व्यक्ति जिनकी एंजियोग्राफी या हाई सर्जरी हुई हो.

क्रॉनिक किडनी डिजीज-देश में क्रॉनिक किडनी डिजीज सीकेडी का प्रसार बढ़ता जा रहा है. क्रॉनिक किडनी डिजीज के तीन सबसे बड़े कारणों में डाइबिटीज, ग्लोमेरूलोनैफ्राइटिस व हाई ब्लड प्रेशर को शुमार किया जाता है. इस रोग के बारे में जानने से पहले गुर्दे किडनी के कार्यों को जानना जरूरी है. क्रॉनिक किडनी डिजीज के अंतर्गत उन स्थितियों में शामिल किया जाता है. जो आपके गुर्दे को क्षतिग्रस्त करती हैं. इस कारण गुर्दो की कार्यक्षमता कम हो जाती है. यदि क्रॉनिक किडनी डिजीज गंभीर हो जाता है, तब आपके शरीर में नुकसानदेह तत्व अधिक मात्रा में इक्टठे हो जाते है. इस स्थिति में व्यक्ति अस्वस्थ महसूस करता है. वह हाई ब्लडप्रेशर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हो सकता है. यही नहीं, क्रॉनिक किडनी डिजीज के कारण ह्रदय व रक्तवाहिनियों से संबंधित रोग होने का खतरा भी बढ़ जाता है. शीघ्र निदान डायग्रोसिस व उचार से गुर्दा रोग को और अधिक बिगडऩे से रोक जा सकता है. जब क्रॉनिक किडनी डिजीज बढ़ता है, तो इससे अचानक गुर्दे खराब भी हो सकते है. इस स्थिति में पीडि़त व्यक्तिको जीवित रहने के लिए डाइलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरी पड़ती है.

जांच:-

क्रॉनिक किडनी डिजीज का पता ग्लोमेरूलर फिल्टरेशन रेट जीएफआर नामक जांच से चलता है. पेनकिलर्स या एंटीबॉयटिक दवाओं का सेवन डॉक्टर के परामर्श से ही करें. स्वचिकित्सा(सेल्फ मेडिकेशन) से बचें. किडनी संबंधी तकलीफ होने पर शीघ्र ही डॉक्टर से परामर्श लें.

किडनी में बेहतर है बचाव-

जब गुर्दे काम करना बंद कर देते है. तब शरीर में ये लक्षण उत्पन्न होते है. हाथों और पैरों में सूजन हो जाती है. रक्तचाप ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है. हड्डियों में दर्द होता है. कमजोरी मिचली और उल्टी महसूस होती है. रोग के बढ़ जाने पर सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है. उनींदान महसूस होता है. किन्हीं गंभीर स्थितियों में पीडि़त व्यक्तिकाम या बेहोशी में जा सकता है. रोगी की जान पर बन आ सकती है. शरीर में रक्तकी कमी होना. उपर्युक्तलक्षणों में से कई लक्षण बहुत अस्पष्ट होते हैं. ये लक्षण इतनी धीमी गति से बढ़ते हैं कि रोगी अक्सर इनकी तरफ ध्यान नहीं दे पाते और सही समय पर समुचित इलाज नहीं हो पाता.

रोकथाम :

कुछ सुझावों पर अमल कर आप गुर्दा या किडनी संबंधी बीमारियों से बच सकते हैं.

पर्याप्त मात्रा में पदार्थ लें:-

स्वस्थ्य लोगों को रोजाना दो से चार लीटर तक पानी व तरह पदार्थ ग्रहण करने चाहिए. इसके विपरीत जो लोग गुर्दे के विकारों से ग्रस्त हैं, उन्हें पानी व अन्य तरल पदार्थों का सेवन गुर्दा रोग विशेषज्ञ नेफ्रेालॉजिस्ट के परामर्श से करना चाहिए. पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थो को ग्रहण करने से गुर्दो को शरीर से सोडियम, यूरिया और अन्य नुकसानदेह पदार्थो को बाहर निकालने में मदद मिलती है.

प्रोटीन कम ले

जब गुर्दे कमजोर हो जाते है, तब शरीर में यूरिया व अन्य नुकसानदेह तत्वों का स्तर बढऩे लगता है. इस स्तर को कम  करने के लिए प्रोटीन का सेवन कम कर देना चाहिए. प्रोटीन, पनीर, दालों, फलियों, सोयाबीन और मांसाहारी खाद्य पदार्थो में पाया जाता है.

नमक का सेवन कम करें:-

विभिन्न खाद्य व पेय पदार्थो के जरिये शरीर में रोजाना 5 ग्राम एक छोटी चम्मच तक नमक पहुंचना चाहिए. इससे ज्यादा नमक न लें. खाद्य पदार्थों में अलग से नमक नहीं डाले.

धूम्रपान से परहेज:-

धूम्रपान गुर्दों से रक्तके प्रवाह को धीमा कर देता है. जब गुर्दे में कम रक्तपहुंचता है, तो ये सही ढंग से कार्य नहीं कर पाते. धूम्रपान गुर्दे के कैंसर के खतरे को भी 50 प्रतिशत तक बढ़ा देता है.

शराब का सेवन कम करें:-

बहुत ज्यादा शराब पीने से गुर्दो को शरीर से विषाक्तपदार्थों को बाहर निकालने के लिए अधिक कार्य करना पड़ता है.

रक्त चाप पर निगरानी रखें:-

कई लोगों को लगता है रक्तचाप ब्लड प्रेशर का अनियंत्रित रहना सिर्फ दिल के लिए ही नुकसानदेह है. सच तो यह है कि उच्च रक्तचाप गुर्दे की बीमारी का एक मुख्य संकेत हो सकता है. यदि आपका ब्लडप्रेशर अधिक है तो गुर्दे की पूरी जांच कराएं, जीवन शैली में परिवर्तन लाएं, यदि आवश्यक हो तो, अपने रक्तचाप को कम करने के लिए डाक्टर के परामर्श से दवा का सेवन करें.

खुद को फिट रखें:-

सप्ताह में कम से कम पांच बार धूमना साइकिल चलाना या तैराकी जैसे सामान्य तीव्रता वाले व्यायाम करें. योग विशेषज्ञ के परामर्श से योगासन-प्रणायाम करें.

उपचार के विकल्प:-

अगर गुर्दे पूरी तरह से खराब  हो गए हों, तब भी डाइलिसिस और गुर्दा प्रत्यारोपण की मदद से पीडि़त व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं.

हीमोडाइलिसिस:-

इस पद्धति में गुर्दा रोगी का रक्तडाइलिसिस मशीन के द्वारा साफ कर रोगी को वापस घर भेज दिया जाता है. यह प्रक्रिया एक सप्ताह में 2-3 बार 3-4 घंटे के लिए की जाती है.

गुर्दा प्रत्यारोपण:-

उपुक्तदाता डोनर से गुर्दा खराब हो चुके रोगी के अंदर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है. जीवन को बनाए रखने के लिए एक गुर्दा ही पर्याप्त होता है इस लिए रोगी और दाता दोनों स्वस्थ जीवन जीते है.

-डॉ. सुदीप सिंह सचदेव, नेफ्रोजिस्ट, नारायणा सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम



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