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मदिरापान से छुटकारा : मनोचिकित्सा द्वारा

सब केटगॉरी : सेहत  Mar,03,2020 12:45:00 PM
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�मदिरापान से छुटकारा : मनोचिकित्सा द्वारा

एक बहुत ही लोकप्रिय उक्ति है ‘पहले आदमी शराब पीता है फिर शराब, शराब को पीती है और आखिर में शराब आदमी को पी जाती है’. हमारे जीवन से जुड़ी कई ऐसी आदतें है जिनसे पीछा छुड़ाना हमारे लिये कभी-कभी नामुमकिन सा हो जाता है. भले ही हम यह बात अच्छी तरह से जानते हों कि वो आदत हमारे लिये जानलेवा भी हो सकती है. शराब पीना भी ऐसी ही एक आदत है. यह वो आदत है जो आदमी के शरीर और दिमाग को ही खोखला नहीं करती, बल्कि उसके कैरियर और पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को भी बुरी तरह से प्रभावित करती है. यह आदत इतनी भयानक है कि ज्यादा बढऩे से ब्रेन डेमेज, शारीरिक असक्षमता या फिर मौत का भी कारण बन सकती है. आज हमारे देश में हजारों ऐसे अनिल होगें जो अपनी एक बुरी आदत के पीछे अपने साथ-साथ अपने परिवार, व्यवसाय और अपनी सामाजिक जिंदगी को तबाह कर के रख देते हैं. ऐसे लोगों के शरीर में ऐसे रसायन विकसित हो जाते हैं, जिनकी वजह से एक बार शराब पीने के बाद वे बार-बार शराब पीने को मजबूर होते हैं. इस रसायन का नाम है टेट्राहाइड्रो आइसोक्वीनोलिन. ऐसी बात नहीं है कि आदतन शराब पीने वाले लोग इसके दुष्परिणामों से अवगत नहीं होते मगर शराब उन्हे शारीरिक और मानसिक रूप से इस कदर अपना गुलाम बना लेती है कि वे अपना अच्छा बुरा सोचने की ताकत खो देते हैं. मगर इस आदत से पीछा छुड़ाना असंभव नहीं है। आज देश में विभिन्न स्वास्थ्य एवं चिकित्सा केंद्र इस आदत से पीछा छुड़ाने में लोगों की मदद कर रहे हैं. शराब जैसी बुरी आदतों से पीछा छुड़ाना बहुत आसान है बस जरूरत है तो कुछ सावधानियां बरतने की, योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की और पारस्परिक सहयोग की. व्यक्तिकई कारणों से शराब पीने की आदत को अपनाता है. जैसे थकान मिटाने के लिये तनाव या गम को हल्का करने के लिये, बुरी संगत में रहकर या फिर इसे सामाजिक प्रतिष्ठा का सूचक मानकर. व्यक्ति शराब पर निर्भर हुआ नहीं कि उसे तरह-तरह की बीमारियां घेर लेती है जैसे मेंटल ब्लाक आउट, याददाश्त खोना, क्रानिक गैस्ट्रिक, पैरानाइया, अवसाद, दृष्टिभ्रम, गुर्दे कमजोर पडऩा आदि. मगर इस आदत को छुड़वाने के लिये यदि योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाये, तो कुछ भी मुश्किल नहीं है.

अगर किसी व्यक्तिमें नीचे दिए गए लक्षण नजर आते हैं तो उसे शराब की लत हो सकती है. ये लक्षण व्यक्ति विशेष में अलग-अलग हो सकते हैं. घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, एवं बहुत उत्सुकता महसूस होना, बात बात पर गुस्सा आना, तनाव एवं मानसिक थकावट, सिर में तेज दर्द होना. पसीना निकलना, खासकर हथेलियों और पैर के तलवे से. जी मिचलाना और भूख कम लगना. शरीर में ऐंठन और मरोड़ होना. फैसला लेने में कठिनाई, कुछ याद रखने मे परेशानी, नींद न आना. रोगी को 5-7 दिनों तक के लिये दाखिला दिया जाता है तथा इस अवधि के दौरान उसकी चिकत्सीय जांच, समुचित देखभाल और अन्य सर्वेक्षण किये जाते है. इस चिकित्सा से मिले उपचार के बाद रोगी को अपने अंदर एक अभूतपूर्व परिवर्तन का एहसास होता है. इसके अलावा रोगियों के साथ व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से निरंतर परामर्श किया जाता है और उनकी मानसिक समस्याओं का गहराई से अध्ययन करते हुये उन्हें दूर करने का हर संभव प्रयास किया जाता है. चिकित्सकीय प्रक्रिया भले ही 5 से 7 दिन तक चले लेकिन कुल मिलाकर यह एक लम्बा कार्यक्रम है अत: 100 फीसदी तत्काल सुधार की अपेक्षा नहीं करनी चाहिये क्योंकि व्यक्ति को शराब से पीछा छुड़ाने में कुछ वक्त लग सकता है.

इस आदत से पीछा छुड़ाने के लिये रोगी के साथ-साथ उसके परिजनों का भी समान योगदान अपेक्षित होता है. अक्सर देखा गया है कि शराब पीने वाले ज्यादातर लोग परिजनों की उपेक्षा के शिकार होते है और इसका मुख्य कारण है उनके परिजनों का व्यवहार उनके प्रति सही नहीं होता है. ऐसा कर वे उन्हे शराब पीने से रोकने की बजाय उन्हे और प्रेरित करते हैं. ऐसे परिजनों की कुछ निर्देश देना चाहते है. शराब को छुपाने और फेंकने का प्रयास न करें क्योंकि रोगी को इस बात का पता चलने पर वह क्रोधवश गलत कदम उठायेगा. रोगी को शराब न पीने पर भाषण या उपदेश मत दें. यह याद रखें कि रोगी इसके परिणामों से भलि-भांति अवगत है. उसके साथ शराब पीने या उसे प्रेरित करने की गलती न करें. साथ ही रोगी की उपेक्षा करने या उससे दूर-दूर रहने की बजाय उसके साथ और अधिक सहानुभूति रखिये. शराब छोडऩा बहुत ही आसान है बस जरूरत है, तो पारस्परिक सहयोग और समझबूझ की. न्यूरोसाइक्रेटिक सेंटर जैसे चिकित्सा केंद्रों का इस समस्या पर प्रभावशाली ढंग से कार्य करना देश के लिये एक अच्छा संकेत है. अगर ऐसे चिकित्सा केंद्र इसी तरह से प्रभावशाली ढंग से कार्य करते रहे, तो भविष्य में शराब कभी किसी अनिल का हंसता खेलता घर नहीं उजाड़ पायेगी.

     -डा. गौरव गुप्ता मनोचिकित्सक तुलसी हेल्थ केयर, नई दिल्ली


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