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करोना से दिल के मरीज विशेष सावधानी बरतें

सब केटगॉरी : सेहत  Sep,17,2020 12:05:50 PM
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करोना से दिल के मरीज विशेष सावधानी बरतें

कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया डरी हुई है, जहां अबतक लाखों लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोगों का अभी भी इलाज चल रहा है। ऐसे समय में जब दिल की बीमारियां देश में तेजी से बढ़ रही हैं और मृत्यु का एक प्रमुख कारण बनी हुई हैं। एक अनुमान के अनुसार विश्वस्तर पर, हर साल 20 करोड़ से भी ज्यादा लोगों में सीएडी की पहचान होती है और अबतक 2 करोड़ लोगों की जान जा चुकी है जिसके अनुसार इस बीमारी की मृत्युदर 10 प्रतिशत है। भारत में, हर साल 35 लाख लोगों की मौतों के साथ लगभग 6 करोड़ लोग किसी न किसी प्रकार की दिल की बीमारी से ग्रस्त हैं। दुनिया भर के देशों की तुलना में भारत में दिल के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है, जो लगातार बढ़ रही है। इन आंकड़ों के अनुसार, हर रोज लगभग 9000 मरीजों की देश में मौत हो जाती है। वर्तमान में, आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञ बाईपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी, दवाइयों और इमरजेंसी ट्रीटमेंट पर ज्यादा जोर देते हैं, जिसके कारण वे हार्ट अटैक और हृदय रोगों के मूल कारण को नहीं समझ पाते हैं। यदि डाइट, एक्ससाइज, योगा और स्ट्रेस मैनेजमेंट आदि की मदद से इन बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है, तो हम दिल की बीमारियों के मामलों में कमी लाने की तरफ आसानी से काम कर सकते हैं। ऑप्टिमम मेडिकल मैनेजमेंट के साथ योगा और डाइट आधारित जीवनशैली की मदद से हृदय रोगों में कमी लाई जा सकती है।
कारण:
 हिन्दुस्तानी लोग अपने परम्परागत सिद्धांत ‘इलाज से परहेज बेहतर’ को भूलने लगे हैं और इसी कारण हृदय रोगों के कारणों से भी मुख मोड़ रहे हैं। यह स्थिति सरकार के उदासीन रवैये, हृदय संभाल सम्बंधी उचित शिक्षा न उपलब्ध कराने एवं हृदय रोग विशेषज्ञों के रवैये के कारण उत्पन्न हुई है जिन्होंने रोग की रोकथाम की अपेक्षा अधिक ध्यान दवाईयों एवं बाई पास सर्जरी और एंजियोप्लास्टी जैसे विकल्पों की तरपफ दिया। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि लोगों ने दिल की बीमारी एवं बाई पास सर्जरी को स्टेटस सिम्बल बना लिया - 1. ट्राईग्लिसराइडस का उच्च स्तर, 2. मोटापा, 3.घी/तेल का अत्याध्कि सेवन, 4. दूध दूध से निर्मित पदार्थों का अत्याधिक सेवन, 5. मधुमेह, इंन्सुलिन दवा का अप्रभावी होना, 6. तनाव एवं शहरीकरण, 7. जानकारी एवं जागृति का अभाव, 8. अच्छी क्वालिटी के कोलेस्ट्रॉल की कमी, 9. संकरी धमनियां एवं 10. उच्च रक्तचाप आदि।
लक्षण :
एन्जाईना आम तौर से तब होता है जब हृदय को सामान्य से अधिक काम करना पड़ता है, जैसे शारीरिक अभ्यास या भावावेश में. इससे सीने, बांह, गले, पीठ या जबड़े में दबाव, तनाव या दर्द होने लगता है। पतली हो गई धमनी के कारण हृदय की मांसपेशी के हिस्से को पर्याप्त मात्रा में खून और उसके द्वारा ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। आराम या कई विशेष दवाओं की मदद से हृदय द्वारा खून की मांग फिर से सामान्य हो जाती है और दर्द चला जाता है। इस प्रकार हृदय को स्थायी हानि नहीं होती। दिल का दौरा पड़ने से जहाँ पर धमनी पतली होती है, वहाँ पर एक थक्का (क्लॉट) बन जाता है। इस कारण हृदय की मांसपेशी के प्रभावित भाग को ऑक्सीजन नहीं मिलती और वह भाग बेजान हो जाता है। हृदय के खून पम्प करने की शक्ति कम हो जाती है और सीने में दर्द हो जाता है। यह आराम के साथ खत्म नहीं होता। दिल के दौरे के संकेतों में सांस की कमी, पसीना आना, कमजोरी या चक्कर आना भी हो सकते हैं।
निदान:
यदि समय रहते दिल की स्थिति का सही-सही पता चल जाए तो बाईपास व एजियोंप्लास्टी से बचा जा सकता है या उसे कराया जा सकता है और यह काम यानी दिल का हाल बताने का काम आर.जी.सी.आई. करती है। दिल की जांच के लिए आज कई तरह की मशीनें व तकनीकें मौजूद हैं। ऐसी ही एक मशीन है-रयलिस्टिक जियोमीट्रिक कार्टोग्रापिफक इमेजिंग यानी आर. सी. जी. आई। यह कार्डियों वैस्कलर मैपिंग की एक ऐसी ही जांच सुविधा हैै जिसमें बगैर किसी चीर फाड़ व दर्द के, दिल की नाड़ियों  की जांच की जाती है। अब लोगों को हृदय रोग आपरेशन पर होने वाले खर्चों की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि हृदय रोग का ईलाज अब बिना आपरेशन के संभव है। इसके लिये एक्सटरनल काउंटर पल्सेशन (ई सी पी) नाम की तकनीक हृदय रोगियों के लिये एक बहुमूल्य साबित हो सकती है। यह एक हाई तकनीक उपचार प्रणाली हे जिसमें सम्पूर्ण इलाज एक पूर्णतः कम्प्यूटराइज्ड मशीन से किया जाता है। यह उपचार प्रणाली एक नान इन्वेसिव (बिना सर्जरी) सरल, सुगम व आसान तरीका है जो बहुत असरदार भी है, और बहुत सुरक्षित भी. इसमें ना तो अस्पताल में दाखिल होना पड़ता है, ना बेहोशी करनी पड़ती है और न ही दवाएं  खानी पड़ती है। ई सी पी उपचार प्रणाली पूरी तरह दर्द व पीड़ा रहित है और इसमें केवल कंफ्रेसिव कफ्स के बांधने का प्रैशर मालूम पड़ता है। ई सी पी उपचार प्रणाली बहुत आरामदायक है जिसकी उपचार प्रक्रिया के दौरान में रोगी पढ़ सकता है, संगीत सुन सकता है और नींद भी ले सकता है। सबसे बड़ी बात है कि जहां बाईपास सर्जरी या एंज्योप्लास्टी फेल हो जाए या जहां इसके बाद पुनः ब्लोकेज अवरोध हो जाए या रोगी बाईपास सर्जरी या एंज्योप्लास्टी के बाद पुनः ब्लोकेज से बचना चाहे तो ऐसे रोगी को ई सी पी उपचार प्रक्रिया बाईपास सर्जरी या एंज्योप्लास्टी के बाद भी करवानी चाहिए।

 

  डा. एस.एस. सिबिया

  निदेशक
  सिबिया मेडिकल सेंटर
  लुधियाना

    

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