Sampreshan News| Home Page

पिछला नवीनीकरण :  Mar, 21, 2024 | 05:26 PM                     ☛ अंग्रेज़ी



    Twitter Email

हेपेटाइटिस : जागरुकता की कमी के कारण मृत्यु दर में लगातार वृद्धि ( विश्व हेपेटाइटिस दिवस – 28 जुलाई 2020 थीम- ‘फाइंड द मिसिंग मिलियंस’)

सब केटगॉरी : स्वास्थ्य  Sep,17,2020 05:19:45 PM
| Twitter | | |

हेपेटाइटिस : जागरुकता की कमी के कारण मृत्यु दर में लगातार वृद्धि ( विश्व हेपेटाइटिस दिवस – 28 जुलाई 2020 थीम- ‘फाइंड द मिसिंग मिलियंस’)


वैशाली: वायरल हेपेटाइटिस को हमारे देश से खत्म करना एक चुनौती भरा काम है इसलिए लोगों को हेपेटाइटिस, समय पर जांच, इलाज और उपलब्ध इलाजों के बारे में शिक्षित और जागरुक करना बेहद जरूरी है। भारत में, इससे पीड़ित लोगों की संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है, जहां अधिकतर मरीज इस बात से अपरिचित हैं कि उन्हें हेपेटाइटिस है।

 वायरल हेपेटाइटिस न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में चिंता का एक प्रमुख विषय बना हुआ है। डब्ल्युएचओ द्वारा साझा किए गए हालिया आंकड़ों के अनुसार, 29 करोड़ से भी ज्यादा लोग हेपेटाइटिस की बीमारी से ग्रस्त हैं लेकिन उन्हें इसके बारे में कोई खबर नहीं है। जागरुकता में कमी के कारण लोग जांच को महत्व नहीं देते हैं, जिसके कारण ऐसे मरीज अपनी जान गँवा बैठते हैं। विश्व हेपेटाइटिस दिवस 2020 के अवसर पर, जिसका थीम फाइंड द मिसिंग मिलियंस है, हम लोगों को बीमारी के बारे में जागरुक करने का उद्देश्य रखते हैं।

 वैशाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के गेस्ट्रोलॉजी और हेपेटोलॉजी विभाग के डायरेक्टर व हेडडॉक्टर प्रेमाशीष कर ने बताया कि, हालांकि, थोड़ी सावधानी बरतने से हम इस घातक बीमारी से बच सकते हैं। इसमें हेपेटाइटिस का टीका लगवाना, संक्रमित सुई या सिरिंज का इस्तेमाल न करना, संक्रमित व्यक्ति के साथ संभोग के दौरान गर्भनिरोधक का इस्तेमाल, इस्तेमाल की गई शेविंग ब्लेड या रेज़र का इस्तेमाल न करना आदि शामिल है। वायरल हेपेटाइटिस में मरीज को बुखार, कमज़ोरी, उल्टी, भूख न लगना, वजन कम होना, अस्वस्थ महसूस करना आदि समस्याएं होती हैं। इसके बाद पीलिया की समस्या होती है जहां पीलिया होते ही बुखार उतर जाता है। हालांकि, हेपेटाइटिस एक आम बीमारी है, फिर भी अधिकतर लोग इसमें और पीलिया में कोई फर्क नहीं समझते हैं। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि पीलिया और हेपेटाइटिस एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं।

 पीलिया लिवर को प्रभावित करने वाली बीमारी का संकेत देता है, जबकी हेपेटाइटिस खुद एक बीमारी है जो लिवर में सूजन की समस्या को दर्शाता है। डॉक्टर प्रेमाशीष ने आगे बताया कि, वायरल हेपेटाइटिस को हमारे देश से खत्म करना एक चुनौती भरा काम है। लोगों को हेपेटाइटिस, समय पर जांच, इलाज और उपलब्ध इलाजों के बारे में शिक्षित और जागरुक करना बेहद जरूरी है। जब हमारे देश में एचएवी टीका करण उपलब्ध होगा तो इसकी मदद से गर्भावस्था की दूसरी/तीसरी तिमाही में वायरल हेपेटाइटिस से ग्रस्त होने वाली महिलाओं की मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। वैश्विक एचबीवी प्रसार पर, पहले ही शिशु के टीका करण का विस्तार और प्रदर्शन किया जा चुका है।

 बीमारी का निदान लिवर फंक्शन टेस्ट के जरिए किया जाता है, जो हाइपरबिलिरुबिनेमिया के मिलाव और ट्रांसएमिनस में 3-5 गुना वृद्धि को दर्शाता है। वायरल हेपेटाइटिस के अधिकांश मरीज 4-6 हफ्तों में ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ लोगों में यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती है, जिसे एक्यूट लिवर फेलियर कहते हैं और इसमें जान का खतरा ज्यादा होता है।


-डॉ। प्रेमिश कर, निदेशक और एचओडी - गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी और हेपाटोलॉजी

Sampreshan|photo gallery
❱❱फोटो गैलरी