पेल्विक ट्युबरक्लोसिस : सही समय पर जांच और उपचार जरूरी
सब केटगॉरी : स्वास्थ्य
Sep,18,2020 05:32:37 PM
हिसार : आज बांझपन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, इसका प्रमुख कारण पेल्विक ट्युबरक्लोसिस है। यह एक साइलमेंट डिसीज है, कईं महिलाओं में इसके लक्षण 10-20 वर्ष तक दिखाई नहीं देते हैं। भारत में 25-30 प्रतिशत महिलाओं में बांझपन का कारण पेल्विक (जेनाइटल) में टी.बी. का संक्रमण है। इसके कारण अंडाश्य, गर्भाश्य और फैलोपियन ट्युब्स प्रभावित होते हैं। महिलाओं में ही नहीं पुरु षों में भी यह बांझपन का प्रमुख कारण है। इंदिरा आई वी एफ की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रक्षिता का कहना है कि जब टीबी करने वाले बैक्टीरिया, जेनाइटल ट्रैक्ट पर आक्रमण करते हैं, तो यह जेनाइटल ट्युबरक्लोसिस का कारण बन जाता है जिसे पेल्विक टीबी भी कहते हैं, जो अधिकतर महिलाओं को युवावस्था में प्रभावित करती है और अक्सर जिसका पता बांझपन के कारणों का पता लगाने के दौरान चलता है। अगर यह रोग पहले फेफड़ों को प्रभावित करता है तो इसका डायग्नोसिस आसान होता है, लेकिन अगर बैक्टीरिया सीधे प्रजनन तंत्र के अंगों को प्रभावित करते हैं, तो इसका पता लगाना मुश्किल होता है और यह बांझपन का कारण बन सकता है।
जिन महिलाओं को किसी भी प्रकार की टीबी होती है उनमें से 30 प्रतिशत महिलाओं में पेल्विक टीबी विकसित हो जाती है, इनमें से 5-10 प्रतिशत को हाइड्रो सलपिनगिटिस हो जाता है, जिसमें ट्युब्स में पानी भर जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप बांझपन की समस्या हो जाती है। टीबी के बैक्टीरिया फैलोपियन ट्यूब्स को प्रभावित करते हैं, अगर फैलोपियन ट्यूब्स गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो प्रारंभिक स्तर पर इसका उपचार करना जरूरी है वरना गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं हो जाती हैं। फैलोपियन ट्यूब के ब्लॉक होने पर निषेचन असंभव हो जाता है जिससे बांझपन की समस्या हो जाती है। डॉ. रक्षिता बताती है कि इसका सही समय पर जांच और उपचार जरूरी है ताकि रोग को गंभीर और जटिल होने से बचाया जा सके और टीबी के जल्द डायग्नोसिस, दवाईयों और सर्जरी के द्वारा उचित उपचार के द्वारा गर्भधारण करने की संभावना को बढ़ाया जा सकता है।
कई बार एडवांस ट्युबरक्लोसिस से पीडि़त महिलाओं में सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। सर्जरी के पश्चात् लगभग एक वर्ष तक एंटीमायक्रोबियल थेरेपी दी जानी चाहिए ताकि बैक्टीरिया के संक्रमण को पूरी तरह समाप्त किया जा सके। अगर कोई संदेह है, कि बैक्टीरिया पूरी तरह नष्ट नहीं हो पाए हैं तो यह थेरेपी दो या अधिक वर्षों तक भी दी जा सकती है। जो महिलाएं पेल्विक टीबी के कारण बांझपन की समस्या से जूझ रही हैं उनके लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) ही एकमात्र विकल्प है, लेकिन आईवीएफ की प्रक्रिया भी तभी सफल हो पाएगी, अगर गर्भाश्य की अंदरूनी पर्त नष्ट न हुई हो।
-Dr.Rakshita