लाइफ स्टाइल बदल कर बचा जा सकता है इनफर्टिलिटी की समस्या से
सब केटगॉरी : सेहत
Sep,21,2020 11:45:50 AM
इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे दंपती शारीरिक और मानसिक तनाव की स्थिति में पहुंच जाता है। अक्सर देखा गया है कि ऐसे मामलों में या तो स्पर्म की मात्रा कम होती है या स्पर्म की सक्रियता बहुत कम रहती है। लिहाजा ऐसे स्पर्म महिला पार्टनर के अंडाणु को गर्भाधान के लिए सक्षम बनाने में विफल रहते हैं। लेकिन अब विज्ञान और टेक्नोलॉजी की तरक्की ने असंभव को भी संभव बना दिया है। ऐसी चिकित्सा समस्या से जूझ रहे दंपतियों के लिए अब कारगर समाधान उपलब्ध हो गए हैं।
हाल ही में हुए शोध अनुसंधानों के नतीजों से ज्ञात हुआ है कि पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या लगातार कम होती जा रही है, जिसका कारण बदलती जीवनशैली, प्रदूषण एवं कीटनाशकों का बढ़ता इस्तेमाल का सेवन माना जा रहा है। शोधों से यह भी पता चला चलता है कि पचास के दशक की तुलना में आज पुरुषों के शुक्राणुओं में लगभग पचास फीसदी की गिरावट आई है। वास्तव में नि:संतान दंपतियों की संख्या में तेज वृद्धि देखी जा रही है, क्योंकि इनफर्टिलिटी के कारण पुरुष अपनी पत्नी को गर्भवती बनाने में असमर्थ होते हैं। गर्भनिरोधक उपाय आजमाए बगैर एक साल तक यौन संबंध बनाने पर भी जब गर्भ नहीं ठहरता है तो इसे इनफर्टिलिटी स्थिति मान लिया जाता है। महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर खान-पान, धूम्रपान, वजन, तनाव, व्यायाम आदि जीवन शैली से जुडी आदतों के साथ ही उनकी उम्र भी एक बड़ी भूमिका अदा करती है। वास्तव में देखा जाए, तो स्वस्थ बच्चे को जन्म देने की महिलाओं की क्षमता पर उम्र का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। आजकल महिलाएं करियर पर ज्यादा ध्यान देती हैं। उन्हें देरी से मां बनने की जोखिम के बारे में ज्यादा पता नहीं है। ऐसे में उन्हें प्रजनन से जुड़ी कईं समस्याओं से जूझना पड़ता है।
अब इनफर्टिलिटी से निजात पाने के लिए कई उपयोगी उपचार उपलब्ध हैं। अगर जांच में शुक्राणुओं की संख्या कम पायी जाती है तो इसे बढ़ाने के लिए शुरूआती दौर में तीन महीने दवाई/इंजेक्शन का कोर्स दिया जाता है तथा पुन: शुक्राणुओं की जांच की जाती है। यदि दवाई/इंजेक्शन कोर्स के पश्चात भी शुक्राणुओं की मात्रा में बढ़त नहीं होती है तो उन पुरुषों को बिना समय गंवाए तुरंत डॉक्टर की सलाहनुसार अत्याधुनिक तकनीक जैसे आई.यू.आई.,आई.वी.एफ. या इक्सी आदि को अपनाना चाहिए, जिससे जल्द से जल्द संतान प्राप्ति की ओर बढ़ा जा सके।
शराब का बहुत ज्यादा सेवन किया जाए, तो यह प्रजनन क्षमता घटा सकता है। यह एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ाती है और उससे एफएसएच का स्राव कम करता है। इससे अजन्मे बच्चे के लिए जोखिम पैदा हो सकती है। शराब से पुरुषों में भी शुक्राणुओं की संख्या प्रभावित होती है। ऐसे में यदि कोई दंपती परिवार बढाना चाहते हैं, तो उन्हें शराब का सेवन कम कर देना चाहिए।
तनाव बांझपन का प्रमुख कारण तो नहीं है प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। जो दंपती किसी भी तरह के तनाव या मनोवैज्ञानिक दबाव से जूझ रहे हैं, उन्हें सही परामर्श लेना चाहिए।
पर्यावरण या अपने काम के कारण अगर आप किसी भी तरह के कीटनाशकों या प्रदूषकों के सम्पर्क में आ रहे हैं, तो यह भी प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। इसके अलावा ये गर्भपात या जन्मजात विकृतियों का कारण भी बन सकते हैं। जीवन शैली में कुछ बदलाव और स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों का चुनाव कर प्रजनन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
खान-पान प्रजनन क्षमता बढाने में मुख्य भूमिका अदा करता है और अंडाणु बनने की प्रक्रिया को बेहतर बनाता है। संतुलित और पौष्टिक भोजन सामान्य स्वास्थ्य के लिए जरूरी है और समस्त शारीरिक गतिविधियों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। हमें अनाज, फाइबर युक्त भोजन, फल, सब्जियां, प्रोटीन जैसे फलियां, टोफू, सूखे मेवे आदि खाने चाहिए। जंक फूड और ट्रांस फैट, अधिक वसा वाली चीजों से दूर रहना चाहिए।
डा.योगिता परिहार
आई वी एफ एक्सपर्ट
इंदौर