पानीपत, 17 सितंबर 2020: मैक्स अस्पताल शालीमार बाग, नई दिल्ली में 37 वर्षीय आदमी के चेहरे से 3 किलो का ट्यूमर निकाला गया। यह ट्यूमर एक व्यस्क मानव के सिर के आकार जितना बड़ा था। इस सर्जरी को पूरा होने में लगभग 11 घंटों का समय लगा, जिसके लिए मरीज के जबड़े और गालों की हड्डी को निकालना पड़ा। चेहरे के कार्यों और सुंदरता को बरकरार रखने के लिए पुनर्निमाण सर्जरी की गई।
ट्यूमर के आकार को कम करने के लिए मरीज को सर्जरी से पहले 3 हफ्तों में 2 कीमोथेरेपी से गुज़रना पड़ा। चूंकि, कीमोथेरेपी का ट्यूमर पर शायद ही कोई प्रभाव पड़ रहा था इसलिए इसके अन्य अंगो में फैलने की संभावना ज्यादा थी। कोविड महामारी के कारण सर्जरी का समय भी चुनौतीपूर्ण था। रोगी का ऑपरेशन किया गया और सर्जनों ने कैंसरस ट्यूमर को एक बार में ही निकाल दिया जिसका वजन कुल 3 किलो और गहराई 8 सेंटिमीटर थी।
37 वर्षीय महेंदर (बदला हुआ नाम), सालों से तम्बाकू का सेवन करता आ रहा था। उसे अस्पताल में चहरे में एक विशाल ट्यूमर के साथ भर्ती किया गया था। यह ट्यूमर चेहरे के बाईं ओर पूरी तरह फैल चुका था। कैंसर ट्यूमर मरीज के चेहरे की बाईं ओर लटका हुआ था, जिससे न सिर्फ अत्यधिक खून बह रहा था बल्कि उसमें मृत कोशिकाओं का थक्का भी बन चुका था। ट्यूमर का आकार इतना बड़ा होने के कारण महेंदर को अपना मुंह खोलने में, खाना खाने और यहां तक कि सिर को घुमाने में भी अत्यधिक कठिनाई हो रही थी। शरीर में पोषण की कमी के कारण पिछले कुछ महिनों में उसका वजन भी कम हो गया था।
शालीमार बाग स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सर्जिकल ऑनकोलॉजी सलाहकार, डॉक्टर सौरभ गुप्ता ने बताया कि, “इस साल की शुरुआत में मरीज को बीमारी के लक्षण नज़र आने लगे थे। मरीज सौभाग्यशाली था कि ट्यूमर का आकार इतना बड़ा होने के बावजूद वह अन्य अंगो तक नहीं फैला था। मरीज की हालत को देखते हुए हमने जल्द से जल्द सर्जरी करने का फैसला किया। ऑपरेशन में देर करने से कैंसर ट्यूमर दूसरे अंगो जैसे कि हड्डियों, फेफड़ों, लिवर आदि तक फैल सकता था। केवल सर्जरी की मदद से ही कैंसर ट्यूमर को निकालना संभव था।”
यह सर्जरी एक बड़ी सफलता रही, जहां मरीज की पूरी रिकवरी के बाद उसे 11वें दिन अस्पातल से डिस्चार्ज कर दिया गया। मरीज अबतक 3 महीनों की कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी पूरी कर चुका है। वह अब बिना किसी समस्या के सबकुछ खा पाता है और बोलने व रोज़ की गतिविधियां भी सामान्य रूप से कर पा रहा है।
ग्लोबेकैन इंडिया 2018 के हालिया आंकड़ों के अनुसार, 2018 में कैंसर के 9 लाख मामलों के साथ हरियाणा भारत में तीसरा स्थान रखता है। वहीं पहले व दूसरे स्थान पर केरल और मिजोरम हैं। राज्य में कैंसर के कुल मामलों में 30% मामले ओरल कैंसर के हैं। 9.3% मृत्युदर के साथ, हरियाणा में ओरल कैंसर भारत का दूसरा सबसे घातक कैंसर माना जाता है।
इस मामले में ट्यूमर को एक बार में ही निकाला जाना था। यही नहीं, मरीज फिर से सामान्य रूप से बोल और खा सके और उसका चेहरे पहले जैसा दिखे इसके लिए पुनर्निमाण सर्जरी करना भी आवश्यक था। इन सभी चीजों ने मिलकर मामले को बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया था।
गाज़ियाबाद के वैशाली स्थित, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के ऑनकोलॉजी रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के एसोसिएट निदेशक, डॉक्टर विपिन बठवाल ने बताया कि, “मरीज के चेहरे और गर्दन के पुनर्निमाण के लिए हमने उसकी बाईं ओर के सीने और दाहिनी जांघ की त्वचा और मांसपेशियों का इस्तेमाल किया। फिर पूरी सावधानी के साथ उसके चेहरे की आकृति को तैयार किया जिससे सर्जरी के बाद उसका चेहरा सामान्य दिखे और हावभाव में भी कोई समस्या न हो। यह केस बेहद पेचीदा था, इसमें कोई शंका नहीं है। मरीज की जान बचाने के लिए हमने कोई कसर नहीं छोड़ी और हमें खुशी है कि अब वह पूरी तरह ठीक है और सभी काम आसानी से कर पा रहा है।”