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स्वास्थ्य सुलझन - डॉक्टर अखिलेश यादव वरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन, जॉइंट रिप्लेसमेंट, सेंटर फॉर नी एंड हिप केयर, गाज़ियाबाद

सब केटगॉरी : सेहत  Sep,21,2020 01:29:56 PM
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स्वास्थ्य सुलझन - डॉक्टर अखिलेश यादव वरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन, जॉइंट रिप्लेसमेंट, सेंटर फॉर नी एंड हिप केयर, गाज़ियाबाद

1.   मेरा नाम आशा है। मैं 32 वर्षीय कामकाजी महिला हूं। दरअसल कुछ समय से मेरे जोड़ों में झनझनाहट, दर्द और जकड़न की समस्या हो रही है। इसके कारण मेरा उठना-बैठना मुश्किल हो गया है। कृपया कोई सुझाव दें।

ये सभी लक्षण ऑस्टियोआर्थराइटिस की ओर इशारा करते हैं। यह एक प्रकार की गठिया की समस्या हैजो एक या ज्यादा जोड़ों के कार्टिलेज के खराब होने के कारण होती है। कार्टिलेज प्रोटीन जैसा एक तत्व है जो जोड़ों के बीच कुशन का काम करते हैं। सबसे पहले आप हड्डी के किसी अच्छे डॉक्टर से परामर्श लें। डॉक्टर बीमारी की पहचान और चरण के अनुसार उचित इलाज की सलाह देगा। शुरुआती चरणों (0-2 चरण) में किसी खास इलाज की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस दौरान समस्या को केवल एक्सरसाइज और फिजिकल थेरेपी से ठीक किया जा सकता है। इस प्रकार की थेरेपी में किसी प्रकार के मेडिकेशन की आवश्यकता नहीं होती है। समस्या बढ़ने पर मेडिकेशन या सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है इसलिए लापरवाही न दिखाएं।

 

2.   मेरा नाम आयूष है और मेरी उम्र 28 वर्ष है। कुछ दिनों पहले बच्चे के साथ खेलते वक्त मैं घुटनों के भल गिर पड़ा। मोच के कारण घुटने में लगातार दर्द और सूजन बनी हुई है। यहां तक कि स्प्रे से भी कोई लाभ नहीं मिल रहा। कृपया कोई समाधान बताएं।

आपकी मोच गंभीर है जिसके कारण आपको दर्द और सूजन से राहत नहीं मिल रही है। 2-3 दिन आप घरेलू उपायों की मदद से मोच ठीक करने की कोशिश करें। इसके लिए दिन में 3-4 बार 15-20 मिनट तक घुटने की बर्फ से सिकाई करें। इससे दर्द और सूजन में आराम मिलता है। बर्फ को किसी कपड़े में बांधकर ही सिकाई करें। इसके अलावा आपके लिए आराम करना बेहद जरूरी है। हर उस काम से बचें जिसमें घुटना मुड़ता हो। 15-20 मिनट के लिए घुटने पर हल्दी का लेप लगाने से भी लाभ मिलेगा। ऐसा करने के बाद भी लाभ न मिले तो तुरंत हड्डी के किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें।

 

3.   मेरा नाम रूपा है। मेरी उम्र 30 वर्ष है। मैं जब भी बैठने वाले काम करती हूं तो उठते वक्त मेरे घुटनों में दर्द होने लगता है। दर्द के कारण मुझे हर काम में समस्या होती है। ऐसा क्यों हो रहा है और इससे छुटकारा कैसे पाया जा सकता है?

नियमित जीवन में छोटी-छोटी चीजें घुटने का दर्द दे सकती हैं। मंदिर में बैठना हो, भजन करना हो, सामूहिक भोजन करना हो, घर के कामकाज करना हो या आपस में बातें करनी हों-इन सभी कामों में घुटने मोड़कर ही बैठना पड़ता है। यहां तक कि भारतीय शैली के शौचालय में भी घुटने के बल बैठना पड़ता है। बैठने के इस तरीके में घुटने पर दबाव पड़ता है, जिससे कम उम्र में ही घुटने खराब होने की आशंका बढ़ती है। आपको अपने बैठने का तरीका बदलना चाहिए। समस्या को हल्के में न लें क्योंकि धीरे-धीरे आपका चलना-फिरना तक दूभर हो सकता है। इस समस्या से बचने का सबसे अच्छा तरीका व्यायाम है। व्यायाम से जोड़ों की मांसपेशियां मजबूत रहती हैं, उनका लचीलापन बना रहता है और जोड़ों को उनसे सपोर्ट भी मिलता है। वजन कम होने से जोड़ों पर दबाव भी कम पड़ता है। इसके अलावा, विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में शरीर को मिलना चाहिए। पैर मोड़कर बैठने से बचें, आलथी-पालथी मार कर नहीं बैठें। लंबे समय तक खड़े होने से बचें।

 

4.   मेरा नाम अनुराग है और मैं 26 वर्षीय इंजीनियर हूं। मुझे दौड़ना-भागना और खेलना-कूदना काफी पसंद है। बावजूद इसके मेरे घुटनों में अभी से दर्द की समस्या होने लगी है। भागते वक्त ऐसा लगता है जैसे मेरे घुटने के कप टूट जाएंगे। ऐसा क्यों है और इसका समाधान क्या है?

आपको रनर्स नी यानी कि पैटेलोफेमोर पेन सिंड्रोम की समस्या हो गई है, जो घुटनों के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण होती है। जो लोग बहुत ज्यादा कसरत करते हैं, उनके घुटने की मांसपेशियां कमज़ोर होने लगती हैं जिसके कारण घुटनों में दर्द उठता है। लेकिन आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि कुछ अभ्यासों से न सिर्फ इस समस्या की रोकथाम की जा सकती है बल्कि इसका इलाज भी संभव है। ऐसे में आपको ज्यादा से ज्यादा आराम करने की आवश्यकता है। बर्फ को किसी कपड़े में लपेटकर 2-3 दिन घुटनों की अच्छे से सिकाई करें। इसके अलावा आप क्रीप बैंडेज यानी कि गर्म पट्टी भी बांधकर रख सकते हैं। यदि बावजूद इसके समस्या में राहत नहीं मिल रही है तो आप किसी अच्छे डॉक्टर या फिजियो थेरेपिस्ट से परामर्श ले सकते हैं।

 

5.   मेरा नाम शालू है। मेरी उम्र 38 साल है। दरअसल, मेरे घुटनों में अक्सर दर्द बना रहता है। हल्का चलने पर ही दर्द शुरू हो जाता है। क्या यह गठिया के लक्षण हैं? इससे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?

अगर घुटने में दर्द और जकड़न हो और चलने-फिरने पर घुटनों में आवाज़ आए तो गठिया की शुरुआत हो चुकी है। इसके बढ़ने पर घुटनों को मोड़ने में कठिनाई होती है। घुटने में विकृतियां भी हो सकती हैं।

घुटने की दिक्कतों की जल्द शुरुआत का एक और कारण मोटापा और खराब पोषण है। करीब 90 प्रतिशत भारतीय महिलाओं में विटामिन डी की कमी है जो बोन मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है। समस्या से छुटकारा पाने के लिए व्यायाम करें, सैर करें और वजन को संतुलित रखें। इसके साथ ही अस्पताल जाकर समस्या की जांच कराएं। वर्ना आपकी लापरवाही आप पर भारी पड़ सकती है।

 

6.   मेरा नाम सिद्धार्थ है और मैं 22 साल का हूं। 20 की उम्र से मुझे पीठ दर्द की समस्या है। यह दर्द गर्दन से होते हुए पीठ के निचले हिस्से तक पहुंच जाता है। ज्यादा देर बैठनेखड़े रहनेचलने आदि से पीठ में बहुत दर्द होता है। मुझे बताएं कि बिना मेडिकेशन के इस दर्द से छुटकारा कैसे पाऊं?

हालांकिपीठ दर्द की समस्या कम उम्र के लोगों को कम परेशान करती हैलेकिन लाइफस्टाइल की गलत आदतों के कारण युवा भी इस समस्या का शिकार बनते हैं। आपको अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाने की जरूरत है। अच्छा खानपानअच्छी नींदउठने-बैठने का सही पॉस्चरसही पॉस्चर में काम करनाएक्सरसाइज आदि से इस समस्या से बचा जा सकता है। हालांकि आपकी समस्या गंभीर हैइसलिए आपके लिए डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है। पहले यह जानने की कोशिश करें कि कहीं आप सर्वाइकल का शिकार तो नहीं हैं। इसके अलावाहर दिन धूप में कम से कम आधा घंटा बैठें और पीठ की सिकाई करें। मल्टी विटामिन टैब्लेट्स के सेवन से भी दर्द में राहत मिल सकती है।

7.    मेरा नाम कशिश है और मैं अभी 32 साल की हूं। मुझे रनर्स नी की समस्या है, जिसके इलाज के लिए दवाइयां और फिजियोथेरेपी चल रही है। डॉक्टर का कहना है कि मेरी समस्या में सुधार हो रहा है लेकिन मुझे ऐसा नहीं लग रहा है। दरअसल मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या इसके लिए सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है?

जी हां, समस्या में कोई सुधार नहीं होने पर अंतिम विकल्प सर्जरी का ही बचता है लेकिन आपको इस वक्त सकारात्मक सोच बनाए रखने की आवश्यकता है। यदि आपके डॉक्टर को समस्या में सुधार नज़र आ रहा है तो जाहिर है उन्होंने उचित जांच के बाद ही ऐसा बोला होगा। इसलिए आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन फिर भी आपको कोई कमी महसूस हो रही है तो अपने डॉक्टर से बिना हिचकिचाए बात करें। आपको उन सभी चीजों का पालन करना है जिसकी आपके डॉक्टर ने आपको सलाह दी है। इसके साथ ही ज्यादा से आराम करें और घुटनों पर कोई ज़ोर न डालें।

 

8.    मेरा नाम शिवा है। मेरी उम्र 35 साल है। मेरा सारा काम कंप्युटर पर होता हैइसलिए ज्यादा देर बैठने से मेरी रीढ़ में दर्द होने लगता है। इसके कारण मुझे काम करने में परेशानी होती है। इससे छुटकारा पाने का उपाय बताएं।

इस उम्र में हड्डियों की समस्या शुरू होना एक सामान्य समस्या हैविशेषकर कंप्युटर पर काम करने वालों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। आप एक ही स्थिति में कई घंटों तक बैठे रहते हैं इसलिए आपकी हड्डियों में दर्द होता है। शरीर की मुद्रा में कोई बादलाव नही होने पर डिस्क की नसों पर दबाव पड़ने लगता हैजिससे दर्द तीव्र हो जाता है। दर्द से बचाव के लिए काम के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेकर बॉडी स्ट्रेच करें। आगे और पीछे की ओर झुकने वाली एक्सरसाइज करें और साथ ही बैठने का पॉस्चर सही रखें। दर्द से बचाव के लिए सही आहार और पानी का ज्यादा सेवन जरूरी है। इसके अलावा समय मिलने पर पीठ में गुनगुने तेल से मालिश कराएं। हल्के हाथों से की गई ये मालिश आपको दर्द से राहत दिलाएगी।

 

9.   मेरा नाम तेज है। मेरी उम्र 28 साल है। जब मैं भारी चीजे उठाता हूं या एक्सरसाइज़ करता हूं तो मेरे जोड़ों में दर्द होने लगता है। कभी यह दर्द हल्का होता तो कभी तेज़ हो जाता है। इस दर्द का क्या कारण है और इससे छुटकारा पाने का तरीका क्या है?

आप जिन लक्षणों का ज़िक्र कर रहे हैं वे एवैस्कुलर नेकरोसिस की बीमारी की ओर इशारा करते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें बोन टिशू मरने लगते हैं जिसके कारण हड्डियां गलने लगती हैं। बीमारी का समय पर निदान और इलाज जरूरी है अन्यथा एक समय के बाद जब बीमारी गंभीर हो जाती है तो हड्डियां पूरी तरह गलने लगती हैं। इसके बाद आपको गंभीर आर्थराइटिस की बीमारी हो सकती है।

 

10.            मेरा नाम तोशी है और मैं 41 वर्षीय हाउसवाइफ हूं। 1 साल पहले मेरा नी इंप्लान्ट किया गया था जो कि मेटल का था। दरअसल मुझे मेटल से एलर्जी है जिसके कारण यह इंप्लान्ट सफल नहीं रहा और मुझे अभी से समस्या आ रही है। डॉक्टर ने दोबारा इंप्लान्ट की सलाह दी है। ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए?

हालांकि, मेटल के बारीक कण समय के साथ निकलने लगते हैं और खून में मिलकर मरीज को परेशान करते हैं लेकिन आपका इंप्लान्ट उम्मीद से कहीं कम चला। इसका कारण आपकी एलर्जी हो सकती है। हालांकि, आपको घबराने की आवश्यकता है नहीं क्योंकि अब गोल्डन नी इंप्लान्ट भी चलन में आ चुके हैं। इसकी कीमत नॉर्मल इंप्लान्ट से 10-15 हज़ार ही ज्यादा है इसलिए आपको इससे भी कोई समस्या नहीं होगी। गोल्डन नी का इंप्लांट सोने का नहीं बल्कि इसका कलर गोल्डन होता है। यह कोबाल्ट मटीरियल का बना होता है और इस पर टाइटेनियम नाइट्राइड की कोटिंग सात बार चढाई जाती है। इससे एलर्जी का खतरा न के बराबर है। यह लंबा चलता है, मजबूत होता है और हर उम्र के मरीजों में इस्तेमाल किया जा सकता है।



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