महिलाएं आमतौर पर अपने परिवार के सदस्यों की जरूरतों को अधिक प्राथमिकता देती हैं और खुद की जरूरतों पर ध्यान नहीं दे पाती हैं, खासतौर पर माताएं। एक मां का ध्यान अपने बच्चों में ही लगा रहता है। जिसकी वजह से अधिकतर भारतीय महिलाओं में आहार संबंधी कमियों की उच्च प्रतिशत देखी गई है। ऐसे मामले भी हैं जहां महिलाएं अपने सपने के फिगर को हासिल करने के लिए डाइटिंग करने लगती हैं, जो कई बार उनके लिए अस्वास्थ्यकर साबित होता है।
स्वस्थ महिला तो स्वस्थ बच्चे का जन्म
कई अध्ययनों और शोधों ने साबित किया है कि स्वस्थ महिलाओं के हष्ट-पुष्ट शिशु पैदा होने की अधिक संभावना होती है। ये बच्चे ही आगे चलकर स्वस्थ वयस्क बनते हैं। महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति उनके जीवन की गुणवत्ता का केंद्र है। आज यह साबित हो चुका है कि महिलाओं के पोषण स्तर में सुधार का प्रभाव शिशु के जन्म और बच्चे की लंबाई के तौर पर दिखाई देता है। लड़कियों की किशोरावस्था में ही पोषण सुधार शुरू करना होगा। खराब स्वास्थ और बीमारियों से बचाव के लिए पौष्टिक आहार का सेवन जरूरी है।
महिलाएं समझें अपनी डाइट को
महिलाओं की आहार संबंधी आवश्यकताएं पुरुषों से भिन्न होती हैं, खासकर जब उनका शरीर वयस्क होता है। यौवन के आगमन के साथ महिलाओं में शारीरिक और हार्मोनल संरचना में बदलाव के साथ अलग-अलग पोषण की आवश्यकता होती है। अक्सर यह देखा गया है कि महिलाओं को आमतौर पर पुरुषों की तुलना में कम कैलोरी की आवश्यकता होती है, लेकिन उन्हें आवश्यक खनिज और पोषक तत्वों की अधिकता चाहिए होती है। महिलाओं की हेल्दी डाइट के लिए सभी विटामिन लेना जरूरी है।
एक मध्यम कार्यभार वाली महिला को प्रतिदिन के आहार में 2230 कैलोरी ऊर्जा, 55 ग्राम प्रोटीन, 25 ग्राम वसा, 600 मिलीग्राम कैल्शियम, 21 मिलीग्राम आयरन, 10 मिलीग्राम जिंक, 2.0 मिलीग्राम विटामिन बी 6, 40 मिलीग्राम विटामिन सी और सबसे आवश्यक विटामिन बी 12 है।
एनीमिया से बचाव के लिए करें पोषणयुक्त आहार का सेवन
भारत में हर दूसरी महिला एनिमिया से पीड़ित है, जहां हर तीसरी महिला का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) कम है। कई नीतियों और योजनाओं के बाद भी महिलाओं का पोषण आज भी बेहद खराब है। शरीर में आयरन की कमी से एनीमिया हो सकता है और रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर नीचे गिर सकता है। त्वचा, बाल और नाखूनों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए शरीर को आयरन की भी आवश्यकता होती है। इसकी कमी बेवजह ही थकान और सेहत की कई समस्याओं के रूप में सामने आता है। इसकी कमी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर डालती है, नतीजन संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। मां में आयरन की कमी बच्चे में अस्थि रोगों को बढ़ावा देती है।
आयरन की कमी को दूर करने के लिए खुराक में विटामिन सी और बी-12 को भी शामिल करें। ये तत्व आयरन अवशोषित करने में मददगार होते हैं। नट्स, बींस, हरी पत्तेदार सब्जियां, डेरी उत्पाद, अंडे का पीला भाग, चीज़, ऑरेंज जूस, सालमन फिश आदि में आपको आयरन की भरपूर मात्रा मिलती है।
कैल्शियम से दूर होगी हड्डियों की समस्या
महिलाओं में कैल्शियम की कमी एक आम समस्या बन गई है। इसकी वजह बदलती जीवनशैली और खराब डाइट है। आज के दौर की महिलाएं फास्टफूड का ज्यादा सेवन करती हैं, जिसके कारण बढ़ती उम्र के साथ उनकी हड्डियों में विभिन्न प्रकार की समस्याएं पैदा होने लगती हैं। पीरियड्स, प्रेग्नेंसी और मीनोपॉज के समय शरीर में कैल्शियम की कमी सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। अक्सर देखा गया है कि 30 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते महिलाएं कमजोर हड्डियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, गठिया, रीढ़ की हड्डी में दर्द व जकड़न या कमर दर्द आदि जैसी कई समस्याओं से घिर जाती हैं। उन्हें 12-13 की उम्र से ही कैल्शियम का भरपूर सेवन करना चाहिए, जिससे बाद की समस्याओं से बचा जा सके।
विटामिन डी, शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा करता है। धूप विटामिन डी का सबसे बड़ा स्त्रोत है, जो हड्डियों को मजबूत बनाती है। दूध व दूध से बने पदार्थों को डाइट में शामिल करें। पालक, पुदीना, बीन्स और ब्रोकली में कैल्शियम की भरपूर मात्रा मौजूद होती है। स्वस्थ शरीर के लिए सभी मौसमी फल जरूरी होते हैं, लेकिन संतरे और कीनू में कैल्शियम भरपूर मात्रा में मौजूद होता है।
अंकुरित अनाज
अंकुरित अनाजों में काफी मात्रा में फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो कई बीमारियों से रक्षा करते हैं। ये हड्डियों के घनत्व को बढ़ाते हैं, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम हो जाता है। ये हॉट फ्लेशेज, मीनोपॉज, पीरियड्स के समय होने वाली तकलीफों और स्तन कैंसर के खतरे को भी कम करते हैं। अंकुरित अनाज में काफी मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं, जो डीएनए को नष्ट होने से बचाते हैं और बुढ़ापे के लक्षणों को रोकते हैं। ये कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में बहुत उपयोगी हैं। ये मिनरल और विटामिन के अच्छे स्रोत भी हैं। एक प्याला अंकुरित अनाज खाने से शरीर की प्रतिदिन की 25 प्रतिशत मिनरल और विटामिन संबंधी जरूरतों की भरपाई हो जाती है, इसलिए महिलाओं को हर सुबह या शाम को इसका सेवन अवश्य करना चाहिए।