लैमिनेक्टॉमी और लंबर फ्यूजन जैसी पुराने
चलन वाली स्पाइनल सर्जरी बेहद मुश्किल और दर्दनाक होती है. यह तकनीक एक अत्यधिक
कुशल विशेषज्ञ की मांग करती है. लेकिन टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ, आज स्पाइनल
नेविगेशन टेक्नोलॉजी ने इलाज की पूरी प्रक्रिया को बदल कर रख दिया है. आज सभी
न्यूरोसर्जन, गंभीर और मुश्किल स्पाइनल सर्जरी के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल करते
हैं. इमेज आधारित इस टेक्नोलॉजी ने स्पाइनल सर्जरी को बेहद आसान बना दिया है, जहां
सर्जन बेहतर विजुअल्स (समस्या वाली जगह के दृश्य) के साथ बिल्कुल सटीक सर्जरी कर
पाते हैं, जो पुरानी तकनीक के साथ बिल्कुल भी संभव नहीं है.
स्पाइनल नेविगेशन टेक्नोलॉजी क्या है?
नेविगेशन सिस्टम का कैमरा मरीज की रीढ़ को
स्कैन करके साफ विजुअल्स देता है.
इमेज-आधारित यह टेक्नोलॉजी सटीक स्पाइनल सर्जरी के लिए इन विजुअल्स का इस्तेमाल
करती है. इसका विशेष सॉफ्टवेयर मरीज की रीढ़ का 3डी मॉडल तैयार करता है, जिसकी मदद
से सर्जन इंप्लान्ट के नंबर, साइज और जगह सहित सर्जरी की पूरी प्लानिंग आसानी से
कर पाता है. जिस प्रकार ऑटोमोबाइल में जीपीएस सिस्टम काम करता है, उसी प्रकार
सर्जन मरीज की सर्जरी वाली जगह को अच्छे से देख पाता है, जिससे सर्जरी करना आसान
हो जाता है. मिनिमली इनवेसिव होने के कारण, स्पाइन नेविगेशन टेक्नोलॉजी की मदद से
मुश्किल से मुश्किल सर्जरी जल्दी, सटीक तरीके और आसानी से पूरी हो जाती है.
नेविगेशन टेक्नोलॉजी के क्या-क्या फायदे
हैं?
जिस प्रकार आज जीपीएस की मदद से कहीं भी
आसानी से पहुंचा जा सकता है, बिल्कुल उसी प्रकार से 3 डी इमेज-गाइडेड सर्जरी ने स्पाइन की सर्जरी में क्रांति ला दी
है. नेविगेशन सिस्टम के साथ इस्तेमाल की जाने वाली इस मिनिमली इनवेसिव स्पाइन
सर्जरी के कई फायदे हैं, जिससे ये मरीज और डॉक्टर दोनों के लिए लाभकारी साबित हुई
है. यह नेविगेशन सिस्टम मुश्किल से मुश्किल स्पाइन सर्जरी में सर्जन को असिस्ट
करने का काम करता है. पुराने चलन वाली स्पाइन सर्जरी की प्रक्रिया में सर्जरी वाले
स्थान को जांचने और इंप्लान्ट की प्रक्रिया के लिए बार-बार कई एक्स-रे करने पड़ते
हैं, क्योंकि इसमें सर्जिकल नेविगेशन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. वहीं, यह
आधुनिक तकनीक बार-बार एक्स-रे करने की जरूरत को खत्म करने के साथ रेडिएशन एक्सपोजर
को भी कम करती है. चूंकि, इसमें इंप्लान्ट की जगह और आकार को पहले से प्लान किया
जा सकता है, इसलिए इसमें समय की बचत होने के साथ किसी प्रकार की गलती की कोई
गुंजाइश नहीं रहती है. इसके अलावा, इमेज गाइडेंस मुश्किल मामलों में सर्जन के
आत्मविश्वास को बढ़ाने का काम करता है. जो मरीज पहले ही ऑपरेशन करा चुके हैं,
खासकर उनके मामलों में यह संभावित रूप से बदली हुई एनाटॉमी के सुधार में कारगर
साबित हुई है.
यह एडवांस टेक्नोलॉजी किसके लिए लाभकारी
है?
सभी प्रकार की स्पाइनल सर्जरी में इमेज-गाइडेंस
टेक्नोलॉजी की मांग बढ़ती जा रही है. स्पाइनल फ्यूजन सर्जरी घावों, डीजेनेरेटिव
डिस्क डिजीज, टेढ़ी रीढ़ या आर्थराइटिस में होने वाले दर्द को कम कर देती है.
स्पाइनल फ्यूजन सर्जरी कराने वाले मरीजों का दर्द कम हो जाता है और सुधार के साथ
रोजमर्रा के काम करने में आसानी होती है.
नेविगेशन असिस्टेड सर्जरी कैसे कि जाती
है?
सर्जरी से पहले, ओटी में मरीज का प्री-ऑपरेटिव सीटी स्कैन किया जाता है और इन दृश्यों को नेविगेशन कंप्युटर में डाउनलोड किया जाता है. सॉफ्टवेयर इन दृश्यों की मदद से रीढ़ का एक वर्चुअल 3डी मॉडल तैयार करता है. रेजिस्ट्रेशन नाम की प्रक्रिया में सर्जन स्मार्ट उपकरणों की मदद से 3डी मॉडल को मरीज की असल एनाटॉमी से मैच करता है.रेजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, नेविगेशन कैमरा सर्जरी वाली जगह पर स्मार्ट उपकरणों के मूवमेंट और स्थान को ट्रैक करता है. इससे मिलने वाले दृश्य 3डी मॉडल पर बिल्कुल साफ दिखाई देते हैं. उपकरणों के सटीक स्थान को देख पाने के कारण सर्जन आसानी से सर्जरी पूरी कर पाता है. इस प्रकार रीढ़, नसों और धमनियों के आसपास अतिरिक्त डैमेज की संभावना नहीं रहती है. स्पाइनल फ्यूजन में, सर्जन 3डी मॉडल को पेडिकल स्क्रूज के स्थान, लंबाई और डाइमीटर की प्लानिंग के लिए भी इस्तेमाल कर सकता है. इसके बाद सर्जन उपकरणों को नेविगेट करता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी स्क्रूज को प्लानिंग के अनुसार इंप्लान्ट किया गया है. इससे सर्जरी से संबंधित खतरे कम हो जाते हैं.एक सर्जिकल नेविगेशन को सर्जन के कौशन से नहीं बदला जा सकता है, लेकिन टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ सर्जन को इंप्लान्ट की प्रक्रिया पूरा करने में आसानी होती है. स्पाइन की सर्जरी में सही जगह को देख पाना आसान नहीं होता है, वहीं इस नई टेक्नोलॉजी की मदद से सब कुछ साफ दिखाई देता है
डॉ. अरविंद कुलकर्णी