बहुत से लोगों के लिए किसी नई चीज के साथ
एक्सपेरिमेंट करना थोड़ी देर का खेल होता है और इसका कोई खास मानसिक या मेडिकल असर
नहीं होता. इस स्थिति को सब्सटेंस यूज कहा
जाता है. लेकिन दूसरे कई लोगों में सब्सटेंस यूज बेहद हानिकारक हो सकता है. ऐसे कई
केस आगे चलकर खतरनाक मोड़ ले सकते हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है- शराब और ड्रग्स
का सेवन. एक शोध के अनुसार 30 प्रतिशत युवा शराब के नशे में दुर्घटना का शिकार हो
जाते हैं.
सब्सटेंस यूज की चार अवस्थाएं होती हैं-
नई चीज के साथ एक्सपेरिमेंट और इसके
प्रभाव- शराब और ड्रग्स जैसे पदार्थ मौके, हालात और मनोरंजन के लिए शुरु किए जाते
हैं खासकर दोस्तों के बीच या फिर किसी पार्टी में इसकी अक्सर शुरुआत होती है.
आनंद पाने के लिए इसका नियमित तौर पर
इस्तेमाल- लोग मनोरंजन के लिए तथा तनाव को दूर भगाने के लिए इसका नियमित इस्तेमाल
शुरू कर देते हैं और ड्रग्स का तो कुछ नशा ही ऐसा होता है कि ये बार-बार लोगों को
इसका सेवन करने के लिए उकसाता है.
इसके दुरुपयोग से खतरनाक परिणाम- पीडि़त
के आचरण में बदलाव दिखना शुरु हो जाता है. सामाजिक तौर पर भी उसके मान की क्षति
होने लगती है.
बार-बार इसके सेवन से आदी हो जाना- कई बार इसका सेवन करते समय इंसान अपने होशहवास इस कदर खो बैठता है कि पीते समय उसको शराब या ड्रग्स की मात्रा का पता ही नहीं चलता. इसलिए कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक परेशानियां उत्पन्न होने लगती हैं. आज तो नान मेडिकल ड्रग्स लेने का चलन दिन-दोगुनी और रात-चौगुनी तरक्की कर रहा है. शुरु में तो सब्सटेंस अब्यूज को केवल किशोर और युवाओं तक ही सीमित समझा जाता था, लेकिन अब तो बचपन में ही बच्चे इन सब के आदी होते जा रहे हैं और अपनी संस्कृति और विचारों के खिलाफ उनका गैरजिम्मेदाराना रवैया बढ़ता ही जा रहा है. कम उम्र में ही इन सबका सेवन करने से स्वास्थ्य, मानसिक, सामाजिक कार्यप्रणाली पर दुष्प्रभाव पड़ता है
डा. गौरव गुप्ता, मनोचिकित्सक व निदेशक,
तुलसी हेल्थ केयर, नई दिल्ली