सुबह
से रात तक भागते रहने के बाद एक इंसान की चाहत होती है एक अच्छी सी नींद. पूरे दिन
के बाद सबको अपने शरीर की डिस्चार्ज बैटरी को चार्ज करने के लिए भरपूर नींद लेनी
पड़ती है. लेकिन हम में से कितने लोग होते हैं जो कि सोने को उतना महत्व देते हैं
जो कि हमें अपनी नींद को देना चाहिए क्यों कि हम सबके पास पहले से ही इतना काम
होता है कि सोने को हम आखिरी विकल्प के रूप में रख देते हैं. क्या सच में हमारी
नींद हमारे लिए उतनी आवश्यक है? चिकित्सक आजकल हमारे शरीर पर ज्यादा सोने या न
सोने से क्या-क्या प्रभाव पड़ता है? यह जानने का प्रयास कर रहे हैं. आखिर हम अपनी
दिनचर्या के स्वाभाविक अंतराल पर सोने क्यों चले जाते हैं? चिकित्सकों का मानना है
कि सोते समय मानव शरीर की बाहरी गतिविधियां समाप्त हो जाती हैं और आंतरिक
गतिविधियां कम हो जाती हैं. लेकिन नींद विशेषज्ञ कहते हैं कि बिस्तर पर अपने साथ
तनाव लेकर न जाएं. बिस्तर सोने के लिए होता है न कि किसी समस्या का समाधान करने के
लिए. बिस्तर पर आपको तभी जाना चाहिए जब आप सोने के लिए पूरी तरह तैयार हों.
आज
पूरी दुनिया में अनिद्रा के शिकार लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. एक
नींद विशेषज्ञ कहते हैं कि आज हमारी प्रगति की गति जैसे-जैसे तेज होती जा रही है,
हमारा जीवन भी वैसे-वैसे ही व्यस्त होता जा रहा है. ऐसे में अनिद्रा हमें आधुनिक
जीवन शैली में उपहार में मिलती है. मनोचिकित्सकों के अनुसार अनिद्रा के कई कारण हो
सकते हैं.
यह
जरूरी नहीं है कि व्यक्ति को नींद की बीमारी अपने तनाव के कारण ही मिले. यह उसे
आनुवांशिक विरासत में भी मिल सकती है. ऐसी ही एक बीमारी का नाम नरकोलेप्सी यानी
निद्रसस्मार है. यह वंशानुगत बीमारी आमतौर पर किशोर वय के उत्तरार्ध मेें या
व्यस्क उम्र के शुरू में लग सकती है. इस रोग में अनिद्रा के विपरीत काफी नींद आती
है. हो सकता है कि दिन में बार-बार नींद के झटके आएं. रोगी चाह कर भी जाग नहीं
पाता. नींद के आगोश मेें चला जाता है. इस बीमारी का असर व्यक्ति की स्मरण शक्ति पर
भी पड़ता है और उसकी स्मरण शक्ति क्षीण हो सकती है.
अनिद्रा
अपने आप में एक आम बीमारी है. इसमें रोगी को नींद नहीं आती. कुछ डाक्टर व
मनोवैज्ञानिक इसका सबसे बड़ा कारण मनोवैज्ञानिक तनाव को ही मानते हैं. व्यक्ति दर
व्यक्ति इसका लक्षण व प्रभाव अलग-अलग हो सकता है. कुछ लोग जल्दी सो नहीं पाते. तो
कुछ लोग जल्दी जाग नहीं पाते तो कुछ लोग इसके लिए दवा का इस्तेमाल प्रारंभ कर देते
हैं. जब तक तनाव को खत्म नहीं किया जाता तब तक किसी भी गोली से समस्या हल नहीं की
जा सकती. नींद की गोली केवल अस्थाई आराम पहुंचा सकती है, लेकिन इसे बिना चिकित्सक
की सलाह के कभी न खाएं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सामान्य नींद की प्राप्ति के
लिए अभी तक ऐसी कोई दवा या विधि नहीं है, जिसमें स्वाभाविक नींद बिना किसी
कुप्रभाव के आ सके.
कुल
मिलाकर आज भी शोधकर्ताओं के लिए नींद एक रहस्य का विषय बनी हुई है. इसे जानने के
लिए दुनिया भर मेें कई जगह शोध कार्य जारी हैं. लेकिन अगर अभी आप को नियमित नींद
नहीं आती है, तो शीघ्र ही अपने डॉक्टर या किसी नींद विशेषज्ञ की सलाह लें. वास्तव
में सोने का संबंध हमारी जीवनशैली से पूरी तरह जुड़ा होता है. आदमी आज के दौर में
जितना अधिक व्यस्त होता जा रहा है उतना ही सुख चौन की नींद से वंचित होता जा रहा
है. एक सुखद नींद वास्तव में वो नींद है जो हमारी सारी थकान मिटा दे और सुबह उठने
के बाद हम एकदम तरोताजा महसूस करें. नींद हमारे शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क के विराम
के लिए भी बेहद जरूरी है. अच्छी नींद थकान तो मिटाती है साथ ही बीमार व्यक्ति के
स्वास्थ्य में तेजी से सुधार लाती है.
किंतु
जब से आदमी के जीवन में डिप्रेशन, हाइपरटैंशन और सिजोफ्रे निया जैसी मानसिक
बीमारियों ने घुसपैठ की है तब से अच्छी नींद से उसके फासले बढ़ गये हैं.
दुर्भाग्यवश अच्छी नींद आजकल लोगों को बहुत कम ही महसूस हो रही है. दूसरी ओर
रात-दिन लगातार काम करने या फिर बिना थकावट के भी जबरदस्ती सोने की कोशिश करना भी
आरामदायक नींद के मार्ग में बाधक है. अपनी जिंदगी को अव्यवस्थित करने के लिए हम
स्वयं ही जिम्मेदार हैं जरूरत से ज्यादा काम करना और सिगरेट शराब आदि व्यसनों को
शौक की बजाए अपनी आदत बना लेने से भी हम जिंदगी का सुख-चौन खो बैठे हैं. यदि हम
अपनी जिंदगी को सुव्यवस्थित करें और कुछ बेहद उपयोगी निर्देशों का अनुसरण करें तो अनिद्रा
जैसे रोगों से छुटकारा मिल सकता है. अच्छी नींद पाने के लिए निम्नलिखित निर्देशों
का पालन करने का सुझाव.
सोने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आप बहुत थके हुए नहीं हैं
यदि
आप दर्द महसूस कर रहे हैं, भूखे हैं, बहुत भारी भोजन ले चुके हैं या फिर पूरे दिन
के दौरान सुस्त और आराम में रहे हैं तो आपको सोने में मुश्किल होगी. यदि आप शाम को
ही झपकियां लेनेे लगते हैं तो रात को आपकी नींद बार-बार टूटेगी.
साधारण
व्यायाम (जैसे कि पैदल चाल) आप को तनाव मुक्त और थका हुआ अनुभव करने में मदद करते
हैं. व्यायाम भले ही हल्का हो, मगर नियमित रूप से किया जाये तो काफी कारगर सिद्ध
हो सकता है.
अपनी
दिनचर्या को योजनाबद्ध कीजिए और अच्छी आदतें डालिये. आदतें सोने में आप की मदद कर
सकती हैं.
गर्म
पेय, गर्म स्नान और एक अच्छी किताब (ज्यादा रोमांचक न हो) निद्रा के लिये काफी
लाभदायक है.
अपने
आहार के प्रति सतर्कता बरतें. काफी, कोका कोला, चाय और चाकलेट सभी में इद्रियों को
उद्दीप्त करने वाली कैफीन होती हैै. अत: इनसे बचें.
अपने
बिस्तर को लेकर यह सुनिश्चित करें कि वह न तो बहुत ज्यादा नरम हो और न ही ज्यादा
सख्त.
ताजी
हवा और बहुत धीमी कर्णप्रिय ध्वनि नींद आने के लिये अच्छा वातावरण तैयार करती है.
यदि आपको हफ्तों से अच्छी नींद नही आई है या फिर
सुबह उठने के बाद आप थका हुआ महसूस करते हैं, तो अपने डाक्टर का दिखाइये.
कुल मिलाकर इस ओर ध्यान मत दीजिए कि आप कितना सोते हैं, बल्कि इस ओर ध्यान दीजिए कि आप कितना अच्छा सोते हैं. अच्छी नींद चाहे पांच घंटे की हो या दस घंटे की, आपके अच्छे स्वास्थ्य के लिये बेहद अच्छी होती है.
डा. गौरव गुप्ता,
मनोचिकित्सक, तुलसी हेल्थ केयर नई दिल्ली