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ब्रेनस्टेम की माइक्रोसर्जरी ने 12 वर्षीय लड़के की जान बचाई

सब केटगॉरी : सेहत  Oct,08,2020 03:19:48 PM
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ब्रेनस्टेम की माइक्रोसर्जरी ने 12 वर्षीय लड़के की जान बचाई

 नई दिल्ली: वाराणसी निवासी 12 वर्षीय रुद्र पांडे के ब्रेन स्टेम से जुड़े घातक ट्यूमर को आर्टेमिस अस्पतालगुरूग्राम में सफलतापूर्वक निकाला गया। ब्रेन स्टेम या मस्तिष्क स्तंभजिसे आमतौर पर चौथे वेंट्रिकल के नाम से भी जाना जाता हैऑपरेशन के लिए एक बहुत ही नाजुक हिस्सा होता है। बावजूद इसकेएडवांस माइक्रोसर्जिकल प्रक्रिया की मदद से ट्यूमर को पूरी तरह निकाला गया। लड़के को गंभीर सिरदर्द के साथ चलते हुए लड़खड़ाने की समस्या भी होती थीजिसके बाद वाराणसी में जांच की रिपोर्ट से उसते मस्तिष्क के पीछे की ओर एक बड़े ट्यूमर का पता चला। लड़के को लगभगसाल से यह  समस्या आ रही थी। 

गुरूग्राम स्थित आर्टेमिस अस्पताल के अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस के न्यूरोसर्जरी चीफ, डॉ. आदित्य गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि, “गहन जांच से पता कि लड़के के ब्रेन स्टेम में नॉन-कैंसरस ट्यूमर विकसित हो गया था। लड़के के माता-पिता को तत्काल माइक्रोसर्जरी की जरूरत के बारे में समझाया गया। चूंकिट्यूमर का स्थान बहुत नाजुक थाइसलिए हर फैसला बहुत सोच-समझकर ही लिया जा सकता था।एडवांस माइक्रोसर्जरी प्रक्रिया के साथ ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाला गया। चूंकिट्यूमर नॉन-कैंसरस था इसलिए मरीज को रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी जैसे उपचारों की बिल्कुल आवश्यकता नहीं थी और अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।

सर्जिकल विशेषज्ञता और एडवांस टेक्नोलॉजी की उपलब्धता के साथसबसे गंभीर और नाजुक ट्यूमर का भी इलाज संभव है। इस प्रकार की प्रक्रियाओं में किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं होता है और परिणाम भी अच्छे होते हैं। लगभग 50 प्रतिशत ब्रेन ट्यूमर नॉन-कैंसरस होते हैं और यदि इनका इलाज सावधानी से किया जाए तो न सिर्फ बेहतर परिणाम मिलते हैंबल्कि मरीज फिर से पूरी तरह से सामान्य हो जाता है।

 डॉ. आदित्य गुप्ता ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि, “मरीज पर इलाज का अच्छा असर हुआ और वह जल्द ही पूरी तरह ठीक हो गया। सर्जरी के 2 घंटों में उसे होश आ गया जिसके बाद वह अगले दिन से सामान्य रूप से चल पा रहा था। चूंकिअब उसे चलने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी इसलिए उसे तुरंत ही डिस्चार्ज कर दिया गया। ऐसे मामलों मेंसमय पर सर्जरी करना जरूरी होता है क्योंकि इलाज में देर करने से मरीज की जान का खतरा रहता है। कई बार माता-पिता सर्जरी को लेकर सहज महसूस नहीं करते हैंजिसके कारण वे इलाज के लिए दूसरे विकल्प चुनते हैं। यही गलती मरीज की सेहत पर भारी पड़ जाती है। स्थिति को अच्छे से समझते हुए रुद्र के माता-पिता ने सर्जरी के लिए तुरंत मंजूरी दे दी। सर्जरी के बाद मरीज को अस्पताल से अगले दिन ही डिस्चार्ज कर दिया गया। फॉलो-अप एमआरआई से ट्यूमर के कोई संकेत नहीं मिले और चूंकिट्यूमर नॉन-कैंसरस था इसलिए मिनिमली इनवेसिव सर्जरी से ट्यूमर को हमेशा के लिए निकाल दिया गया।

-डॉ. आदित्य गुप्ता 

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