केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री, डॉक्टर
हर्ष वर्धन ने एक दस्तावेज ज़ारी किया है, जिसमें उन्होंने
आयूष और योग के आधार पर कोविड19 के संक्रमण की रोकथाम और बिना लक्षण वाले कोरोना
मामलों के साथ हल्के मामलों के उपचार संबंधी दिशा-निर्देशों के बारे में बताया है।
अपने दस्तावेज के समर्थन में उन्होंने संस्थानों के प्रभावशाली नामों का ज़िक्र भी
किया है। वे स्वीकार करते हैं कि ये प्रयोगसिद्ध साक्ष्य पर आधारित हैं, जिसका अर्थ है कि ये साक्ष्य एकात्मक हैं और पूरी तरह व्यक्तिगत अनुभवों
पर आधारित हैं। आर्युवेदा को मॉडर्न मेडिसिन का मूल मानते हुए उन्होंने खुद आयूष
को इतिहास करार दिया।
विज्ञान की मांग
1. गैर-संघर्ष
स्थितियों में दावे की पुनरावृत्ति
2. डबल ब्लाइंड
कंट्रोल स्टडी
आईएमए ने केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री, जो मॉडर्न मेडिन के डॉक्टर हैं, से निम्नलिखित
सवालों के जवाब मांगे हैं:
1. क्या उपरोक्त
मानदंडो के आधार पर कोविड19 के मरीजों पर किए गए अध्ध्यनों को लेकर किए गए दावों
के लिए कोई संतोषजनक सबूत हैं? यदि
हां, तो सबूत कमज़ोर हैं, मध्यम हैं या
मजबूत हैं? ये सबूत पब्लिक डोमेन पर होने चाहिए और
वैज्ञानिक जांच-पड़ताल के लिए उपलब्ध होने चाहिए।
2. गंभीर प्रकार
का कोविड19 हाइपरइम्यून को दर्शाता है या कमज़ोर इम्यूनिटी को दर्शाता है?
3. क्या इस दावे
और उसके मंत्रालय के समर्थक खुद को कोविड19 की रोकथाम और उपचार में डबल ब्लाइंड
कंट्रोल स्टडी के लिए स्वयं सेवकों के रूप में आधीन करने के लिए तैयार हैं?
4. अबतक उनके साथ
काम करने वाले कितने मंत्रियों ने इन दिशा-निर्देशों के तहत अपना इलाज करवाने का
फैसला लिया?
5. आयूष मंत्रालय
को कोविड देखभाल और नियंत्रण सौंपने से उन्हें क्या रोक रहा है?
आईएमए चाहता है कि केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री इन सभी सावलों के पुख्ता जवाब
दें। यदि उनके पास जवाब नहीं हैं, तो वे
दवाइयों को ड्रग्स का नाम देकर राष्ट्र और भोले-बाले मरीजों को धोखा दे रहे हैं।