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कॉम्बिनेशन थेरेपी से नोएडा स्कूल टीचर के चौथे चरण के स्तन कैंसर का सफल इलाज

सब केटगॉरी : स्वास्थ्य  Oct,09,2020 04:36:09 PM
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कॉम्बिनेशन थेरेपी से नोएडा स्कूल टीचर के चौथे चरण के स्तन कैंसर का सफल इलाज

दिल्ली/एनसीआर, 8 अक्टूबर 2020: चौथे चरण के कैंसर का इलाज बेहद मश्किल होता है, जिसमें मरीज के ठीक होने की संभावना लगभग न के बराबर होती है। लेकिन 53 वर्षीय रुचि धवन ने स्तन कैंसर के इस खतरनाक चरण वाले कई मरीजों को एक नई उम्मीद दी है। अक्टूबर 2010 में नोएडा से पूर्व स्कूल टीचर में चौथे चरण के स्तन कैंसर का पता चला था। यह कैंसर मरीज के दाएं स्तन में था, जो स्तन के साथ शरीर के अन्य अंगो तक फैल चुका था।

डॉक्टरों का मानना था कि महिला की जिंदगी ज्यादा से ज्यादा 2 महीनो की रह गई है। चूंकि, एडवांस स्टेज में सर्जरी करना संभव नहीं होता है इसलिए रुचि को कीमोथेरेपी, हार्मोनल थेरेपी और टार्गेटेड थेरेपी आदि जैसी कई थेरेपियों पर रखा गया। हालांकि, 2014 और 2019 में कैंसर की स्थिति पहले जैसी हो गई लेकिन इतने सालों तक बीमारी को कहीं हद तक नियंत्रण में रखा गया। अगस्त 2020 की हालिया रिपोर्ट से पता चला कि कैंसर पूरी तरह खत्म हो चुका है।

पटपड़गंज और वैशाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की ऑन्कोलॉजी निदेशक, डॉक्टर मीनू वालिया ने केस की जानकारी देते हुए कहा कि, मरीज जब जांच के लिए अस्पताल आई, तो उसमें अंतिम चरण के स्तन कैंसर का पता चला। कैंसर दाएं स्तन में था और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल चुका था, जिसके कारण सर्जरी करना बिल्कुल भी संभव नहीं रह गया था। इसलिए टीम ने सर्जरी के बजाय विभिन्न थेरेपियां करने का फैसला किया। रुचि का पहला निदान 10 साल पहले हुआ था और अब कैंसर पूरी तरह खत्म हो चुका है। सभी थेरेपियों को उनके प्रभाव के आधार पर शुरू किया गया। अब मरीज एक सुखी और खुशनुमा जीवन जी रही है। उसने फिर से पढ़ाना शुरू कर दिया है और घर के कामों को भी सामान्य रूप से पूरा कर पाती है। यह मामला यह दर्शाता है कि नई व एडवांस टेक्नोलॉजी और थेरेपी के सही चुनाव के साथ डवांस चरण के कैंसर को भी ठीक किया जा सकता है। हालांकि, बेहतर परिणामों और बीमारी की शुरुआती पहचान के लिए निरंतर रूप से समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिए।

भारत में, स्तन कैंसर के कई मामले चौथे चरण में पता चलते हैं, जिसे बीमारी का अंतिम चरण माना जाता है। इस चरण में कैंसर पहले ही शरीर के अन्य अंगों तक फैल चुका होता है। चौथे चरण के कैंसर में मरीज की जीवनदर केवल 5 सालों की होती है, जो किसी भी व्यक्ति के लिए बेहद दुखदायी है। इस चरण में, बीमारी को ठीक नहीं किया जा सकता है, सिर्फ उसे और गंभीर होने से रोका जा सकता है। हालांकि, इलाज की तुलना में रोकथाम हमेशा ही एक बेहतर विकल्प माना जाता है।

मरीज रुचि धवन ने बताया किमेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई, जब डॉक्टरों ने बताया कि मुझे चौथे चरण का कैंसर है, जो शरीर के अन्य अंगो तक फैल चुका है। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। यह खबर बच्चों को बताने में मुझे बहुत मुश्किल हुई कि उनकी मां ज्यादा वक्त तक नहीं जीने वाली है। हालांकि, मेरा परिवार इलाज के दौरान मेरे साथ ढाल बनकर खड़ा रहा। मुझे डॉक्टर मीनू वालिया और उनके इलाज पर पूरा विश्वास था। इन सभी चीजों ने मुझे बीमारी से लड़ने का साहस दिया। मेरे पति हर वक्त मेरे साथ खड़े रहे और हर जरूरी डॉक्टर के पास लेकर गए। चूंकि, कोरोना काल में काम वाली बाई घर नहीं आ सकती है इसलिए मैं ही घर के सारे काम कर रही हूँ, जिसमें मुझे कोई समस्या नहीं हो रही है। वर्तमान में, मैं म्युजिक और कुकिंग के 3 यूट्यूब चैनल चला रही हूँ।

डॉक्टर मीनू वालिया ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि, मेरी सभी महिलाओं के लिए सलाह है कि वे अपने शरीर को लेकर सजग रहें, नियमित रूप से खुद से जांच करें, समय-समय पर स्क्रीनिंग कराएं और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। सभी डॉक्टर महिलाओं को 40 की उम्र के बाद अपने स्तनों में आए बदलावों पर ध्यान देने और नियमित रूप से मैमोग्राफी कराते रहने की सलाह देते हैं। इस प्रकार बीमारी का निदान समय पर हो सकता है, जो बेहतर इलाज के लिए बेहद जरूरी है।

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