नई दिल्ली: भारत के शिक्षा क्षेत्र में समस्याओं और उपलब्ध अवसरों के बारे में चर्चा और एक्सपर्ट ओपीनियन के लिए प्रथम टेस्ट प्रेप ने एजुकेशन लीडर्स कनफ्लुएंस 2020 (ईएलसी-20) का आयोजन किया।
ईएलसी-20 के मंच ने, भारतीय शिक्षा व्यवस्था के भविष्य के लिए आवश्यक मुद्दों पर गहन चर्चा का अवसर प्रदान किया है। 3 मुख्य कार्यक्रमों में से पहला कार्यक्रम यानी कि उद्घाटन सत्र ‘दी प्रिंसिपल राउंड टेबल’ आज सफलतापूर्वक शुरू किया गया।
इस चर्चा में विभिन्न स्कूलों के प्रख्यात प्रधानाचार्यों का समूह शामिल रहा, जिन्होंने अपने ज्ञान के भण्डार से इस कार्यक्रम को सफल बना दिया। यह लाइव सेशन श्री सौरभ नन्दा, अंतरराष्ट्रीय शिक्षक द्वारा संचालित किया गया। श्री सौरभ नन्दा छात्र काउंसलिंग और मेंटरोरिंग का एक बड़ा अनुभव रखते हैं। यह सत्र मुख्य रूप से ‘भारतीय स्कूलों में मिश्रित अध्ध्यन का भविष्य’ नाम के विषय पर केंद्रित था।
प्रथम टेस्ट प्रेप के प्रबंध निदेशक, श्री अंकित कपूर ने बताया कि, “भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एजुकेशन सिस्टम है, जो दूसरे स्थान पर आने की कगार पर है। बावजूद इसके इसे विशेषकर स्कूल स्तर की शिक्षा में वैचारिक नेतृत्व की कमी का सामना करना पड़ रहा है। नीति निर्माण, अनुकूलन और कार्यान्वयन के बीच के अंतर को लेकर हम भारतीय शिक्षा के असल मुद्दों और दृष्टिकोण को हाइलाइट करने के लिए एक उचित मंच प्रदान करने का उद्देश्य रखते हैं।”
भारत में अध्ध्यन की प्रक्रिया लगातार बदल रही है। यह अब डिजिटल की तरफ कदम बढ़ा रही है। यह बदलाव न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में देखने को मिल रहा है।
न्यु एरा पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या, श्रीमती वन्दना चावला ने बताया कि, “जिस तेजी से टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है, उस हिसाब से यह शिक्षा पाठ्यक्रम से हमेशा आगे रहेगा। हमें लगातार सुधार के साथ यह सीखने की जरूरत है कि ‘क्या पढ़ाया जा रहा है और वक्त की मांग क्या है’ के बीच के अन्तर को कैसे कम किया जा सकता है। कोरोना काल में अचानक आए बदलावों ने हमें एहसास कराया कि यह स्थिति आसानी से नहीं ठीक होने वाली है इसलिए जो वक्त के अनुसार बदलना जानता है वही आगे बढ़ सकता है। हर चुनौती के साथ एक अवसर भी जुड़ा होता है। कोरोना काल में ऑनलाइन टीचिंग ने हमें यह अच्छे से सिखा दिया है।”
इस ऑनलाइन सत्र में बहुत से लोग उपस्थित रहे, जिन्होंने भविष्य में ऐसे कई और कार्यक्रम लाने के लिए हमें प्रेरित किया।
एचआरडीसी के दिल्ली पब्लिक स्कूल सोसाइटी की एक्जीक्युटिव डायरेक्टर, श्रीमती वनिता सेहगल ने बताया कि, “पारंपरिक और मॉडर्न शिक्षा का मिश्रण, हमारे छात्रों को नई चुनौतियों का सामना करना और दुनिया को जीतना सिखाएगा। इसलिए हमारे लिए इसे समझना और दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है, जो छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करता है।”
श्री टी प्रेमकुमार के शब्दों के साथ सहमति दिखाते हुए प्रथम टेस्ट प्रेप ने कहा कि, स्त्रोत चाहे कुछ भी हो लेकिन हर व्यक्ति को निरंतर रूप से सीखते रहना चाहिए। हर व्यक्ति में बेहतर बनने और सफलता की चोटी तक पहुंचने के लिए सीखने की चाह होना जरूरी है।
इंडियन एजुकेशन स्कूल कुवैत के प्रधानाचार्य, श्री टी. प्रेमकुमार ने बताया कि, “मिश्रित शिक्षा मुझे यह समझाने में सहायक रही कि पूरी दुनिया एक कक्षा है और शिक्षा स्कूल या विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं है। प्रथम टेस्ट प्रेप ने इस महामारी के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं लगाईं, जिसमें न तो गुणवत्ता की कोई कमी रही और न ही जानकारी की। सभी सत्र बेहद इंटरेक्टिव थे और इसके शिक्षकों ने ऑफलाइन शिक्षा को ऑनलाइन में बदलकर पूरी संरचना में सुधार किया है। यह न केवल छात्रों के लिए बल्कि शिक्षकों के लिए भी समान रूप से फायदेमंद रहा।”
भारत फेस-टू-फेस लर्निंग का इतिहास रखता है, इतने पुराने कॉन्सेप्ट में बदलाव करना आसान नहीं है। यह अंतर बढ़ता जा रहा है। यह एक बड़ी चिंता का विषय है इसलिए इस सत्र में कई ऐसे मुद्दों पर विस्तार में चर्चा की गई।