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राष्ट्रीय मिर्गी दिवस 17 Nov 2020 :मिर्गी से पीडि़त महिलाएं दे सकती हैं स्वस्थ बच्चे को जन्म

सब केटगॉरी : स्वास्थ्य  Nov,17,2020 04:09:04 PM
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राष्ट्रीय मिर्गी दिवस 17 Nov 2020 :मिर्गी से पीडि़त महिलाएं दे सकती हैं स्वस्थ बच्चे को जन्म

मिर्गी मस्तिष्क के विकार की एक बहुत पुरानी और चौथी सबसे आम बीमारी है, जिसे दौरे पडऩा या आक्रामक व्यवहार जैसे लक्षणों से पहचाना जाता है। मरीज की स्थिति पेचीदा है या वह कुछ हद तक इस बीमारी से ग्रस्त है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मस्तिष्क की कोशिकाओं से अचानक, असामान्य तरीके से और जरूरत से ज्यादा हुए इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज की वजह से मस्तिक का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है। मिर्गी की बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को, महिला या पुरुष में से किसी को भी हो सकती है। लेकिन महिलाएं इस बीमारी की वजह से ज्यादा प्रभावित होती हैं।

मिर्गी की बीमारी के उपचार को लेकर कई तरह के रूढि़वादी विचारों के बावजूद यह एक मिथक ही है कि इस बीमारी से पीडि़त महिलाएं गर्भधारण नहीं कर सकतीं या मां नहीं बन सकतीं। हालांकि यह एक बेहद पेचीदा स्थिति भी होती है। एक तरफ  मिर्गी की बीमारी से पीडि़त कोई महिला अगर गलती से अचानक गर्भधारण करने के बाद मिर्गी के उपचार के लिए दी गई दवाएं समय पर नहीं खाती है या उन्हें खाना ही बंद कर देती है, तो गर्भपात हो सकता है।

दूसरी तरफ  गर्भावस्था के दौरान मिर्गी के उपचार की दवाइयां खाते रहने से भी गर्भ में पल रहे बच्चे के मानसिक विकास पर प्रभाव पडऩे की आशंका बनी रहती है, क्योंकि ये कई तरह के ब्रेन डिफैक्ट्स से जुड़ी होती हैं और इसलिए ये गर्भ में विकसित हो रहे भ्रूण पर बुरा असर डाल सकती हैं। इसलिए अगर मिर्गी की बीमारी से पीडि़त कोई महिला मां बनना चाहती है, तो उसे सबसे पहले अपने न्यूरो सर्जन से सलाह लेनी चाहिए और योजनाबद्ध तरीके से गर्भधारण की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए, क्योंकि कुछ महिलाओं में गर्भधारण के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलावों, दवाओं के डोज में बदलाव या इस तरह के अन्य कारणों के चलते प्रेग्नेंसी दौरान भी दौरे पडऩे की संभावना बनी रहती है।


गर्भावस्था के दौरान पडऩे वाले दौरे का असर


यह भी देखने में आया है कि कुछ गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मिर्गी के उपचार की दवाएं लेते रहने के बावजूद दौरे पड़ते हैं, जो उनके साथ-साथ उनके गर्भ में पल रहे बच्चें के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन अगर इस स्थिति को सही तरीके से नियंत्रित किया जाए, तो खतरा न के बराबर रह जाता है। यहां तक कि मिर्गी की बीमारी से पीडि़त होने के बावजूद गर्भवती हुईं 90 प्रतिशत महिलाएं पूरी तरह स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। हालांकि गर्भावस्था के दौरान मिर्गी के दौरे या उद्वेग को नियंत्रित करना एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम भी है और यह भी महत्वपूर्ण है कि इस दौरान बेहोश होने या शरीर में ऐंठन होने की स्थिति को पैदा ही ना होने देने का लक्ष्य तय किया जाए, क्योंकि अगर ऐसा होता है तो इसके चलते पैदा होने वाली शारीरिक या मानसिक पीड़ा की वजह से गर्भ में पल रहे भ्रूण को नुकसान होने या कुछ मामलों में गर्भपात हो जाने की आशंका भी बनी रहती है। कुछ मामलों में अपरिपक्व प्रसूति या प्रीमैच्योर बर्थ भी हो सकती है। इसलिए अगर गर्भावस्था के दौरान दौरा पड़ता है, तो महिलाएं तुरंत अपनी गाइनोकॉलजिस्ट और न्यूरोसर्जन को इसकी जानकारी दे, ताकि अगर जरूरत हो, तो वो आपकी दवाओं में कुछ बदलाव कर सकें।


पहले से प्रेग्नेंसी प्लान करें


ऐसे मामलों में यह जरूरी है कि गर्भधारण का प्रयास करने से पहले ही आप अपने न्यूरो सर्जन से बात करें और उनसे राय लें, ताकि डॉक्टर यह मूल्यांकन कर सके कि आप अपनी बीमारी को सही तरीके से नियंत्रित कर पा रही हैं कि नहीं और क्या गर्भधारण करने से पहले आपके ट्रीटमेंट में किसी तरह का बदलाव की जरूरत है। सबसे जरूरी बात यह है कि आप उद्वेग को नियंत्रित रखने वाली अपनी सभी दवाइयां बेहद नियमित रूप से उतनी ही मात्रा में खाती रहें, जितनी डॉक्टर ने आपको बताई है और अपनी मर्जी से कोई भी मेडिसिन खाना बंद न करें और अगर कोई आपातकालीन स्थित पैदा होती है या किसी तरह का कोई कन्फ्यूजन है, तो तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाएं।

 

डॉ.सुमित सिंह
डायरेक्टर, न्यूरोलॉजी

अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम

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