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“टेक्नोलॉजी की कमी के कारण भारत में रीढ़ के ट्यूमर का इलाज आज भी एक बड़ी चुनौती: डॉ. आदित्य गुप्ता

सब केटगॉरी : स्वास्थ्य  Dec,08,2020 01:27:24 PM
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“टेक्नोलॉजी की कमी के कारण भारत में रीढ़ के ट्यूमर का इलाज आज भी एक बड़ी चुनौती: डॉ. आदित्य गुप्ता


नई दिल्ली: मेरठ के युवा पेशेवर ने स्पाइनल कॉर्ड की कॉम्पलेक्स सर्जरी के बाद परिवार के साथ खुशी से दिवाली मनाई। सर्जरी न होने पर मरीज की जान तक जा सकती थी। कुछ समय से मरीज आदित्य बंसल के हाथ-पैर बार-बार सुन्न पड़ रहे थे। उसने कई स्थानीय अस्पतालों में जांच कराई, जहां उसकी गर्दन की एमआरआई रिपोर्ट से रीढ़ में नॉन-कैंसरस ट्यूमर का पता चला। मरीज और उसका परिवार इस खबर से पूरी तरह बिखर चुका था। इस बीमारी की मुश्किलों से परेशान होकर उन्होंने डॉ. आदित्य गुप्ता के पास जाने का फैसला किया।
आर्टेमिस अस्पताल के अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस में न्यूरोसर्जरी और साइबरनाइफ सेंटर के निदेशक, डॉ. आदित्य गुप्ता ने केस के बारे में बात करते हुए कहा कि, “मरीज की रीढ़ के गहन परीक्षण से पता चला कि ट्यूमर उसकी रीढ़ के सर्वाइकल हिस्से में था, जिसके कारण कमजोरी, हाथ-पैरों का सुन्न पड़ना और धीरे-धीरे संतुलन में गड़बड़ी जैसी समस्याएं होने लगी थीं। इस प्रकार के ट्यूमर को इंट्रामेड्युलरी ट्यूमर के नाम से जाना जाता है, जिन्हें निकालना सबसे मुश्किल होता है। कुछ मामलों में सर्जरी के बाद मरीज के हाथ-पैर हमेशा के लिए कमजोर पड़ सकते हैं। ट्यूमर के आकार, स्थान और मरीज की हालत के आधार पर, उसे नॉन-इनवेसिव साइबरनाइफ प्रक्रिया की सलाह दी गई। सौभाग्य से, हम ट्यूमर निकालने में सफल रहे। सर्जरी के तुरंत बाद मरीज अपने हाथ-पैर आराम से चला पा रहा था और हल्के सपोर्ट के साथ चलने में भी समर्थ था।”
हालांकि, पारंपरिक सर्जरी भी एक विकल्प है, लेकिन इसमें पैरालिसिस का खतरा रहता है। छोटे ट्यूमर के केस में इस विकल्प की सलाह कभी नहीं दी जाती है। ऐसे में साइबरनाइफ एक प्रभावी विकल्प माना जाता है, जिसमें कोई खतरा नहीं होता है। टीम ने केवल आधे घंटे में सर्जरी पूरी कर ली। केवल एक सेशन में ही मरीज को सभी समस्याओं से निजात मिल गई। जब ट्यूमर बढ़ता है तो वह रीढ़ को धीरे-धीरे प्रभावित करता रहता है। मरीजों में ट्यूमर की गंभीरता उसके स्थान और प्रकार पर निर्भर करती है। इसके आम लक्षणों में पीठ दर्द, हाथों-पैरों का सुन्न पड़ना, चलने में मुश्किल, कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता, सर्दी और गर्मी का बहुत ज्यादा असर पड़ना, मल में समस्या और कमजोर मांशपेशियां आदि शामिल हैं। ट्यूमर कैंसरस हो या नॉन-कैंसरस, पीठ दर्द इसका सबसे आम और सबसे पहले दिखने वाला लक्षण है। डॉक्टर गुप्ता ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि, “टेक्नोलॉजी की कमी के कारण भारत में रीढ़ के ट्यूमर का इलाज आज भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। रीढ़ एक संवेदनशीन हिस्सा है, जो रेडिएशन की केवल सीमित मात्रा को ही सहन कर सकता है। ऐसे में, साइबरनाइफ स्पाइनल ट्यूमर के इलाज का एक बेहतरीन विकल्प है। साइबरनाइफ एक अनोखा रोबोटिक सिस्टम है, जो हाई-प्रिसीजन सर्जिकल प्रक्रिया उपलब्ध कराता है।”  


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