वैशाली, 09 दिसंबर, 2020: दुर्लभ लीओमायो सार्कोमा ट्यूमर से पीड़ित एक 35 वर्षीय महिला की मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, वैशाली में सर्जरी की गई। डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया और ट्यूमर को हटाने के बाद उसका पुनर्निमाण किया। यह एक असामान्य ट्यूमर था, जो रोगी के इन्फीरियर वेना कावा (पैरों और पेट के अंगों से हृदय तक रक्त ले जाने वाली शरीर की एक बड़ी नस), दाहिनी किडनी, दायीं मूत्रवाहिनी और आसपास की संरचनाओं से उसके लीवर तक में विकसित हुआ था। ट्यूमर दाहिने और बाएं पैर से खून बहने वाली नसों के जुड़ाव तक मध्य और निचले पेट के लगभग पूरे दायें हिस्से में फैल चुका था।
डॉक्टरों ने सर्जरी की मदद से 4 किलो के एक नवजात शिशु जितने बड़े ट्यूमर को सफलतापूर्वक हटाया। इस सर्जरी में 10 घंटे से भी अधिक समय लगा। एक ग्राफ्ट के जरिए बांयी किडनी और अंगों के बीच रक्त प्रवाह को बहाल किया गया।
वैशाली स्थित मैक्स हॉस्पिटल के मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंड एचपीबी सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर और हेड डॉ विवेक मंगला ने कहा, “मरीज को पिछले कुछ महीनों से दाहिने पैर में सूजन हो रही थी। सूजन लगातार बढ़ती जा रही थी, लेकिन महामारी के कारण डॉक्टर से मिलने में देरी हुई। उसकी हालत इस हद तक बिगड़ गई कि वह बिल्कुल भी नहीं चल पा रही थी और उसे स्ट्रेचर पर लाया गया। मूल्यांकन करने पर, हमने पाया कि मरीज के दाहिने पैर की गहरी नसों के लंबे हिस्से में एक थक्का (डीप वेनस थ्रोम्बोसिस) था। थ्रोम्बोसिस के कारण का पता लगाने के लिए आगे के मूल्यांकन करने पर एक बड़े, अपेक्षाकृत असामान्य ट्यूमर, लीओमायोसार्कोमा का पता चला। रोगी की स्थिति और ट्यूमर के आकार को ध्यान में रखते हुए, हमने ट्यूमर और थ्रोम्बस में हो रही वृद्धि को रोकने के लिए कीमोथेरेपी व एंटीकोआग्यूलेशन (ब्लड थिनर्स) शुरू करने का फैसला किया।“
सर्जिकल टीम द्वारा उसका पुनर्मूल्यांकन किया गया, जिसमें मेडिकल ऑन्कोलॉजी और हेमाटोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ विकास गोस्वामी, रेडियोलॉजी के प्रमुख कंसल्टेंट डॉ अभिषेक अग्रवाल, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी और हेपेटोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ सुभाषीश दास और सीनियर कंसल्टेंट और प्रभारी (वैस्कुलर और एंडोवास्कुलर सर्जरी) डॉ कपिल गुप्ता शामिल थे। इन्होंने सभी उचित सावधानी और सुरक्षा उपायों पर अमल करते हुए सर्जरी की योजना बनाई।
डॉक्टर मंगला ने अधिक जानकारी देते हुए कहा, “यह एक जटिल सर्जरी थी। ऑपरेशन के बाद की मुश्किलों को कम करने के लिए रक्त को पतला करने वाली दवाइयां दी गईं। मरीज की तेज रिकवरी को देखते हुए उसे सर्जरी के पहले हफ्ते में ही डिस्चार्ज कर दिया गया। चिकित्सा साहित्य और दिल्ली में इस अपेक्षाकृत असामान्य ट्यूमर के बहुत कम मामले दर्ज किए गए हैं इसलिए यह अपनी तरह का एकमात्र मामला है। बावजूद इसके हम अपने अनुभव और ज्ञान की मदद से सर्जरी में सफल रहे।“