नई दिल्ली/एनसीआर, 12 जनवरी, 2021: मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, वैशाली में विशेषज्ञों द्वारा सही समय पर अपनाई गई उपचार प्रक्रिया ने 42 साल के एक युवक की जान बचा ली जिसे डायबिटीज की एक आयुर्वेदिक गोली अटक जाने के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया था। यह गोली सांस नली में जाकर फंस गई थी और मरीज के फेफड़े पर शामत आ गई थी।
दुबई में कारोबारी यह मरीज गाजियाबाद में अपने दोस्त से मिलने जा रहा था, इसी दौरान उसने करीब 1.5 सेमी की गोली निगली थी। हालांकि यह गोली सांस नली में अटक गई थी जिससे उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी और वह खांसने लगा। जब तक वह अपने दोस्त के घर पहुंचता तब तक उसे सांस लेना बहुत मुश्किल हो गया था। उसके मित्र ने उसका कष्ट महसूस किया और उसका ब्लड आॅक्सीजन लेवल जांचा तो पाया कि यह 70 फीसदी ही रह गया था जबकि किसी भी स्थिति में 90 फीसदी से कम का लेवल बहुत कम माना जाता है।
मरीज को आनन—फानन में करीब 3 बजे मैक्स हॉस्पिटल वैशाली लाया गया जहां इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों ने मरीज को होश में लाया और पल्मोनोलॉजी टीम को सचेत किया। पल्मोनोलॉजी के मुख्य कंसल्टेंट डॉ. शरद जोशी और पल्मोनोलॉजी के ही कंसल्टेंट डॉ. अंकित भाटिया के नेतृत्व में मेडिकल टीम ने सांस नली का प्रवाह परखने के लिए सीने की हाई—रिजोल्यूशन कंप्यूटेड टोमोग्राफी (एचआरसीटी) शुरू की और इसके बाद 30 मिनट की ब्रोन्कोस्कोपी प्रक्रिया अपनाते हुए सुरक्षित तरीके से गोली बाहर निकाल ली। मरीज को दूसरी ब्रोन्कोस्कोपी देने के बाद पुष्ट हो गया कि सांस की नली में अब गोली का कोई अंश अटका हुआ नहीं है इसलिए अगले ही दिन उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
इस असाधारण केस के बारे में डॉ. जोशी ने बताया, 'टोमोग्राफी से पता चला कि मरीज की मुख्य श्वास नली के बाईं ओर 1.5 सेमी की कोई चीज अटकी हुई है, इसी सांस नली से हवा फेफड़े तक पहुंचती है। इस वजह से सांस ली गई हवा पूरी तरह से अवरुद्ध हो गई थी और बाएं फेफड़े ने काम करना बंद कर दिया था। इसी कारण मरीज के शरीर में आॅक्सीजन का लेवल भी कम हो गया था। हमने उस गोली को निकालने के लिए 30 मिनट की फ्लेक्सीबल ब्रोन्कोस्कोपी प्रक्रिया अपनाई। इससे सिल्वर रंग वाली एक बड़ी आयुर्वेदिक गोली निकाल ली गई।'
डॉ. अंकित भाटिया ने आगे कहा, 'बच्चों की सांस नली अटकने की घटनाएं आम होती हैं लेकिन किसी वयस्क में यह घटना दुर्लभ थी जिसमें सांस नली अवरुद्ध हो जाने के कारण फेफड़ा भी काम करना बंद कर चुका था। ऐसे मामलों में तत्काल उपचार शुरू हो जाना चाहिए क्योंकि जरा भी देरी सांस नली में छेद होने, संक्रमण होने और कई मामलों में मौत का खतरा भी बढ़ा सकती थी। इस मामले में यदि तत्काल उपचार शुरू नहीं होता तो मरीज की जान पर खतरा हो सकता था। लोगों को बड़ी गोलियां निगलते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि स्वास्थ्य सुधारने वाली गोली जानलेवा भी हो सकती है।
ऐसे मरीजों की जान बचाना एक बड़ी चुनौती हो सकती है इसलिए मरीजों को बड़ी गोलियां निगलते समय सतर्क रहना बहुत जरूरी है। डॉक्टर छोटी गोलियां लेने की ही सलाह देते हैं या फिर मरीज को गोलियां चूरकर या कैप्सूल खाली कर अंदर का तत्व सेवन करने की सलाह दी जाती है। ऐसी गोलियां निगलने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए ताकि किसी तरह की आपात स्थिति उत्पन्न न होने पाए।