इलाजयोग्य कैंसर के सभी मामलों में अकेले 35 फीसदी मामले उत्तर प्रदेश से, ओरल कैंसर के सर्वाधिक मामले इसी राज्य में
सब केटगॉरी : स्वास्थ्य
Feb,12,2021 01:38:02 PM
मेरठ, 8 फरवरी, 2021: ओरल कैंसर के बढ़ते मामलों के बारे में विस्तार से जानकारी देने और ओरल कैंसर की उपचार पद्धति में आई प्रगति का महत्व बताने के लिए मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल पटपड़गंज ने आज संवाद सत्र का आयोजन किया। मेरठ के 57 वर्षीय मरीज संजय मारवाह का उदाहरण देते हुए इस सत्र में उपस्थित लोगों को उन आधुनिक उपचार पद्धतियों के बारे में बताया गया, जिनसे सिर और गर्दन के कैंसर के परिणामों में सुधार आया है। इस तरह के मामलों में कई नई उपलब्धियों के बारे में भी बताया गया।
मरीज संजय को पिछले साल बाएं गाल (बकल म्यूकोस) में दर्दनाक अल्सर के साथ मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज, नई दिल्ली लाया गया था। उनकी आवाज बदल गई थी और खाने में उन्हें बहुत दिक्कत आ रही थी, इसलिए उन्हें बायोप्सी जांच कराने और रोग के चरण की जांच कराने की सलाह दी गई। दर्द बढ़ता ही जा रहा था और जांच रिपोर्ट से पता चल गया था कि ट्यूमर पूरे मुंह और गर्दन की नली तक इस स्थिति तक फैल गया था कि उसे ठीक करना मुश्किल हो गया था।
सबम्यूकस फाइब्रोसिस (इस ट्यूमर से मुंह नहीं खुल पाता है) बनने के कारण भी ट्रिस्मस (मुंह खुलना पूरी तरह बंद हो जाना) की स्थिति बनने लगी थी, जिससे मरीज को खाने में दिक्कत आने लगी थी। अत्याधुनिक अस्पतालों में भी सही समय पर उपचार उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीज कई महीनों से पीड़ा के इस दौर से गुजर रहा था और उसकी स्थिति दिन—ब—दिन बदतर होती जा रही थी। डॉक्टरों की टीम ने इस केस को तत्काल अपने हाथ में लिया और ट्यूमर का स्थिति—निर्धारण और रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी का निर्णय लिया।
मुंह के कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू का सेवन माना जाता है लेकिन इस तरह के 90 फीसदी मामलों से उबरा जा सकता है। भारतीय चिकित्सा शोध परिषद के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीआरपी) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, कैंसर के तीन में से एक मामले बीमारू राज्यों से ही आते हैं। देश में 2018 में दर्ज किए गए कैंसर के कुल मामलों (22.5 लाख) में 7.5 लाख मामले बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के थे जबकि अकेल उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक 4.6 लाख मामले दर्ज किए गए।
ग्लोबाकैन डेटा 2020 के अनुसार, मुंह का कैंसर दूसरा सबसे आम कैंसर है और महिलाओं की तुलना पुरुषों में अधिक है। दुनिया में मृत्यु का छठा सबसे बड़ा कारण ओरल कैंसर ही है और इनमें उत्तर प्रदेश में ही 35 फीसदी मौत के मामले सामने आते हैं।
मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, पटपड़गंज, नई दिल्ली में हेड एंड नैक सर्जिकल ओन्कोलॉजी के डॉ. सौरभ अरोड़ा ने कहा, 'इस तरह के फाइब्रोसिस मामलों का कैंसर में बदलने की दर 10 फीसदी से अधिक है और ऐसी स्थिति में मरीज की हालत बहुत बिगड़ चुकी होती है। चूंकि मरीज और उनके परिवार के लोग बीमारी को लेकर थोड़ा घबरा गए थे, उन्हें सर्जरी के लिए मनाया गया। मरीज के ट्यूमर और गर्दन की नलियों का सफल आॅपरेशन हो गया तो इसके बाद अंगों के सुचारू कार्य करने और सुंदरता बनाए रखने के लिए रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी की गई। उसे नियमित रूप से डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया और आॅपरेशन के जरिये ट्यूमर निकाल कर उसकी आवाज और निवाला निगलने की स्थिति सामान्य की गई। मुंह के छाले की शुरुआती पहचान कर लेने से न सिर्फ बीमारी (जैसाकि इस मरीज के साथ हुआ) का सफल परिणाम निकल सकता है, बल्कि हाई रिस्क वाले किसी भी मरीज को अपने मुंह की कैविटी के प्रति सावधान रहना चाहिए और तुरंत इसकी जांच करानी चाहिए।'
जानलेवा बीमारी का मुख्य कारण तंबाकू (चबाने वाला और धूम्रपान वाला तंबाकू) का सेवन माना जाता है, इसलिए इस तरह के मामलों में किसी तरह के तंबाकू सेवन से छुटकारा पाना बहुत जरूरी है। इस सत्र का उद्देश्य लोगों को स्वस्थ आदतें अपनाने और नियमित चेक—अप कराने के लिए जागरूक करना भी था। डॉक्टरों ने इस बात पर जोर दिया कि यदि किसी के मुंह में तीन हफ्ते से ज्यादा समय तक ओरल कैविटी के मामले में सफेद दाग या अल्सर की शिकायत है तो उसे तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'जागरूकता के अभाव में लोग अक्सर शुरुआती लक्षणों की अनदेखी कर देते हैं और बीमारी के एडवांस स्टेज में पहुंंच जाने के बाद ही अस्पताल पहुंचते हैं। कैंसर के इलाज के बारे में समझना और जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है और लाइफस्टाइल में सुधार लाने और आत्मपरीक्षण करने के तौर—तरीके जानना भी बहुत जरूरी है। बेहतर और आधुनिक तकनीकों की उपलब्धता के कारण शुरुआती लक्षणों के बारे में जानकारी बढ़ाने से लक्षणों की अनदेखी नहीं होगी और न ही बीमारी को पहचानने में देरी होगी। जल्दी नहीं भरने वाले मुंह के छाले, खाना निगलने में कठिनाई और दर्द, बार—बार मुंह में होने वाले लाल या सफेद निशान जैसे सामान्य लक्षणों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। इस तरह के लक्षणों की अनदेखी से गांठ बढ़ सकती है और यह असाध्य ट्यूमर में बदल सकता है जो कैंसर का कारण बन जाता है।'