मेरठ,17फरवरी, 2021: मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड को प्रभावित करने वाली न्यूरोलॉजी संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों को देखते हुए देश के अग्रणी स्वास्थ्य प्रदाता संस्थान मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल पटपड़गंज, नई दिल्ली ने आज एक संवाद सत्र का आयोजन किया। इस सत्र का मकसद लोगों को यह बताना था कि मस्तिष्क और रीढ़ संबंधी किसी बीमारी में भी अब ऐसे आधुनिक उपचार उपलब्ध हैं जिनमें बहुत कम सर्जरी (मिनिमली इनवेसिव) की जरूरत होती है।
मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, पटपड़गंज में न्यूरो सर्जरी के डॉ. अमिताभ गोयल ने इस मौके पर संबोधित किया और टीयर—3 शहरों के लोगों में मस्तिष्क और रीढ़ संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों की जानकारी दी। इस बात पर भी जोर दिया गया कि न्यूरोलॉजिकल समस्याएं सभी उम्र के लोगों में बढ़ रही है। डॉ. अमिताभ गोयल ने मेरठ में न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से पीड़ित दो मरीजों के सफल इलाज और अब स्वस्थ जीवन जीने का जिक्र करते हुए कहा कि समय पर इलाज कराने का बहुत महत्व होता है।
साबिया अंसारी को चेहरे के बाईं तरफ सिहरन और बाईं तरफ ही टिनिटस (कान के अंदर आवाज गूंजना) की शिकायत थी। इसी कारण पिछले छह महीने से जब—तब उन्हें अचानक सिरदर्द होने लगता था। वह तब तक इन लक्षणों को टालती रहीं, जब तक कि उनका सिरदर्द और कान में आवाज गूंजने की शिकायत तेज नहीं हो गई। मेरठ के स्थानीय अस्पताल में पूरी जांच कराने के बाद पता चला कि उनके मस्तिष्क में एक जटिल ट्यूमर है और फिर उन्हें मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज, नई दिल्ली जाने को कहा गया।
डॉ. अमिताभ गोयल ने कहा, 'ऐसे ट्यूमर को निकालना सबसे ज्यादा जोखिमपूर्ण होता है क्योंकि कुछ मामलों में सर्जरी के बाद मरीज के सभी अंगों में स्थायी रूप से विकलांगता भी हो सकती है। ट्यूमर के आकार और मौजूदगी के स्थान तथा मरीज की बिगड़ती हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने एंडोस्कोपी रेट्रोमैटॉयड क्रेनियोटॉमी की सलाह दी। ब्रेनस्टेम में ट्यूमर तक पहुंच बनाने के लिए इस प्रक्रिया में कान के पीछे कीहोल जितना एक छोटा सा छेद किया गया। यह एक सुरक्षित और बहुत कम सर्जरी वाला इलाज है जो सफल रहा और हमारी टीम ने ट्यूमर निकाल दिया। आॅपरेशन के बाद मरीज पूरे होशो—हवास में थी और खाना भी खाने लगी थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई।'
सर्जरी कुशलता और आधुनिक टेक्नोलॉजी की बदौलत सबसे जटिल मामलों में भी अब बहुत कम जोखिम के साथ संवेदनशील ट्यूमर निकाले जा सकते हैं और सफल इलाज हो सकते हैं । ब्रेन ट्यूमर के 50 फीसदी मामले कैंसर—मुक्त होते हैं और यदि सही इलाज किया जाए तो सफलता दर बढ़ने के साथ ही मरीज पहले की तरह सामान्य जीवन जी सकता है।
मेरठ के ही विकास अग्रवाल को कमर (लोअर बैक) दर्द था और पिछले दो महीने से उनके दोनों पैरों का रेडिएशन हो रहा था। इससे उन्हें दर्द से तत्काल ही आराम मिल पाता था। लेकिन यह दर्द न सिर्फ धीरे—धीरे बढ़ने लगा, बल्कि उन्हें चलने—फिरने में भी दिक्कत आने लगी।
डॉ. गोयल ने बताया, 'मरीज की एमआरआई रिपोर्ट से पता चला कि उसकी कमर के हिस्से वाली रीढ़ में डिस्क खिसक गई थी। उन्हें माइक्रोस्कोपिक डायसेक्टोमी प्रक्रिया अपनाने की सलाह दी गई। प्रभावित डिस्क और नसों को देखने के लिए अच्छे माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करते हुए विकृत डिस्क को सर्जरी के जरिये सफलतापूर्वक निकाल लिया गया। मरीज का दर्द घटने के साथ ही वह तेजी से रिकवरी करने लगा। अब उसे दर्दनिवारक दवाइयां लेने की जरूरत भी नहीं रह गई थी। मरीज की जिंदगी आश्चर्यजनक रूप से बदल चुकी थी।
पीठ या गर्दन के दर्द की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। शुरू में ही उपचार से दर्द खत्म हो सकता है और बहुत कम समय में ही समस्या की असल वजह पता चल जाती है। शुरुआती डायग्नोसिस और उचित इलाज से सर्जरी के खतरे को टाला जा सकता है और मरीज को पीठ दर्द और रीढ़ की समस्या के बगैर बेहतर जीवन जीने में मदद मिलती है।