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मैक्स हॉस्पिटल, साकेत के डॉक्टरों ने महिला के पेट से 15 किलो का विशाल कैंसरयुक्त ट्यूमर निकाला

सब केटगॉरी : स्वास्थ्य  Mar,01,2021 03:38:00 PM
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मैक्स हॉस्पिटल, साकेत के डॉक्टरों ने महिला के पेट से 15 किलो का विशाल कैंसरयुक्त ट्यूमर निकाला

आगरा, 27 फरवरी, 2021: एक अत्यंत जोखिमपूर्ण सर्जरी में मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, साकेत के डॉक्टरों ने आगरा की 48 साल की महिला का सफल आॅपरेशन कर उसके पेट में विशाल जानलेवा ट्यूमर निकाल लिया। सर्जरी करने से उनकी जान को खतरा देखते हुए कई अस्पतालों ने उनकी सर्जरी किए जाने से मना कर दिया था जिसके बाद वह मैक्स हॉस्पिटल, साकेत आई थीं।


एक प्रेस सम्मेलन के दौरान इस मरीज के केस पर फोकस करते हुए मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल में मैक्स इंस्टीट्यूट आॅफ कैंसर केयर में कंसल्टेंट, सर्जिकल आॅन्कोलॉजी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल आॅन्कोलॉजी डॉ. संजीव कुमार और चेयरमैन डॉ. हरित चतुर्वेदी ने कैंसर के बारे में विस्तार से जानकारी दी।


प्रमुख सर्जन डॉ. संजीव कुमार ने कहा, 'मरीज जब हमारे पास आई थी तो उसके पेट बहुत बड़ा नजर आ रहा था और उसे खाने—पीने और सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। हमारी पूरी टीम ने उसकी जांच करने के बाद पाया कि ट्यूमर इतना विशाल हो चुका था कि उसके पेट के समूचे इलाके को भर दिया था जिससे अन्य महत्वपूर्ण अंगों पर इसका दबाव पड़ रहा था। इसने मरीज की दोनों किडनियों को भी घेर लिया था। यह इतना विशाल था कि पेट में कोई जगह खाली नहीं बची थी।'


सर्जिकल ऑन्कोलॉजी तथा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ऑन्कोलॉजी के प्रधान सलाहकार डॉ। असित अरोड़ा ने मरीज का इलाज करने का निर्णय लेने के बारे में बताया, 'सर्कोमा की स्थिति में सर्जरी ही एकमात्र उम्मीद रह जाती है क्योंकि इसमें शरीर की अन्य गतिविधियां बंद पड़ जाती हैं। बहुत सोच—विचार करने के बाद हमने सर्जरी के जरिये ट्यूमर निकालने का फैसला किया और इतनी बड़ी सर्जरी को अंजाम देने में हमें कुल दस घंटे लग गए। हमें 52 सेमी तक फैले 15 किलो ट्यूमर के साथ मरीज की दाहिनी किडनी भी निकालनी पड़ी। ऐसा लगता था कि मां के गर्भ में छह माह का गर्भ पल रहा हो। मरीज ने सर्जरी के दौरान पूरा धैर्य रखा और जल्दी ही स्वस्थ हो गई।'


उन्होंने कहा “पेट में ट्यूमर होने के कारण अक्सर लक्षण स्पष्ट नहीं हो पाते हैं। शुरुआती जांच के लिए हमें कैंसर की प्रबल आशंका का भी ध्यान रखना चाहिए। उचित डायग्नोसिस और चरणबद्ध इलाज के लिए विस्तृत इमेजिंग और एंडोस्कोपी प्रक्रिया महत्वपूर्ण होती है।“ 

डॉ. अंकुर बहल, सीनियर कंसल्टेंट, मेडिकल आॅन्कोलॉजी ने कहा, 'कैंसर की बायोप्सी रोगनिदान में सबसे महत्वपूर्ण कदम है और मरीज के इलाज की प्रक्रिया तय करती है। रेट्रोपेरिटोनियल सर्कोमा में इम्युनोथेरापी से इलाज की प्रभावशीलता बढ़ाते हुए प्रबंधन में आश्चर्यजनक बदलाव आया है और साथ ही साइड इफेक्ट भी कम होता है। हालांकि लिपोसर्कोमा के ज्यादातर मामलों में सर्जरी के बाद रेडियेशन ही कराना पड़ता है।'

डॉ. शुभम जैन, कंसल्टेंट, सर्जिकल आॅन्कोलॉजी, ब्रेस्ट एंड थोरेसिस आॅन्कोलॉजी आगरा की ओपीडी में हर महीने तीसरे बुधवार को आते हैं। उन्होंने कहा कि व्यापक प्री—आॅपरेटिव वर्कअप और टेक्नोलॉजी की तरक्की के कारण इस तरह की बड़ी सर्जरी परिशुद्धता और विश्वास के साथ की जा सकती है।

सर्जरी की सफलता के बारे में डॉ. हरित चतुर्वेदी ने कहा, हमने अपने ट्यूमर बोर्ड में जब इस बारे में चर्चा की तो डॉ. संजीव ने सवाल किया, 'अगर हम नहीं कर पाएंगे तो कौन इस चुनौती को स्वीकार करेगा?' इसके बाद सब कुछ बदल गया। हमने अस्पताल के सभी विभागों का सहयोग मांगा। एनेस्थेसिया, इंटेंसिव केयर, पल्मो, नेफ्रो, कार्डियक विभागों के सहयोगी हमारी टीम से जुड़े। समझबूझ भरी योजना और सभी विभागों के 24 घंटे सहयोग से हमने इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। 

हम ईश्वर और मरीज के परिजनों के आभारी हैं जिन्होंने हम पर विश्वास किया।'

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मरीज पूजा गोस्वामी भी मौजूद थीं। उन्होंने बताया, 'जब मुझे कैंसर पीड़ित होने की जानकारी मिली तो मेरा आत्मबल बिल्कुल खत्म हो चुका था। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जाने के बाद तो मेरी स्थिति और बिगड़ती चली गई। मैं सारी उम्मीदें छोड़ चुकी थी क्योंकि हर अस्पताल में यही कहा गया कि यदि आॅपरेशन किया गया तो मेरी जान को बहुत बड़ा खतरा हो सकता है। इसके बाद मैं और मेरे परिवारवाले मैक्स इंस्टीट्यूट आॅफ कैंसर केयर आए जहां अत्यंत अनुभवी डॉक्टरों की टीम ने न सिर्फ मेरे केस को अच्छी तरह समझा बल्कि मेरा ट्यूमर निकालने पर भी सहमत हो गए। अब मैं स्वस्थ जीवन जी रही हूं। मुझे उम्मीद है कि यदि कैंसर के इलाज और नई टेक्नोलॉजी के बारे में लोग सजग हो जाएं तो ज्यादा से ज्यादा लोगों को फायदा मिलेगा और वे जल्द स्वस्थ होंगे।'





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