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फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम ने कुपोषण मुक्त गुरुग्राम बनाने के लिए भागीदारी शुरू की

सब केटगॉरी : स्वास्थ्य  Mar,12,2021 09:31:14 PM
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फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम ने कुपोषण मुक्त गुरुग्राम बनाने के लिए भागीदारी शुरू की

गुरुग्राम। गुरुग्राम में जागरूकता बढ़ाने और कुपोषण मुक्त बनाने के प्रयास के तहत फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने एक नि:शुल्क हेल्थ कैंप का आयोजन किया जिसमें एनीमिया और संबंधित डिसआॅर्डर के इलाज के लिए एक परिचर्चा कार्यशाला का भी आयोजन किया गया।सरकार के पोषाहार अभियान के तहत क्षेत्र के प्रमुख अस्पताल द्वारा उठाया गया यह एक और जन केंद्रित कदम है।

हेल्थ कैंप का उद्घाटन डॉ. यश गर्ग, आईएएस, उपायुक्त, जिला गुरुग्राम और श्री प्रशांत पंवार, आईएएस, अतिरिक्त जिला आयुक्त, गुरुग्राम की मौजूदगी में किया गया। इस शिविर में 250 से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और सीबीसी जांच कराई। इन सभी को स्वस्थ जीवन जीने के तरीके बताए गए। आंगनबाड़ी के सभी कार्यकर्ताओं को क्षेत्र में कुपोषण से निपटने और इसके प्रबंधन के लिए 7 दिन का प्रशिक्षण भी दिया गया।

यह अभियान स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की पहल के लिए महिलाओं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सकारात्मक रूप से प्रोत्साहित करने को लेकर था। ये प्रशिक्षित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने संबंधित क्षेत्र के बच्चों को प्रशिक्षित करेंगे कि उचित पोषाहार लेते हुए कैसे स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है। दरअसल, देश की एक तिहाई महिलाएं एनीमिया यानी रक्तअल्पता की शिकार हैं और मौजूदा स्थिति को बदलने में संपन्न खानपान की अहम भूमिका होती है। इस सत्र में ट्रेनिंग आॅफ ट्रेनर्स (टीओटी) पर जोर दिया गया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कुपोषण मिटाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं और स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में योगदान कर सकती हैं।

आंगनबाड़ी की लगभग 40 फीसदी कार्यकर्ताओं में एचबी (एनीमिक) के निम्न स्तर की पहचान हुई है और इनमें से गुरुग्राम और आसपास के क्षेत्रों की 56 फीसदी शहरी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में ही एचबी का अनुकूल स्तर पाया गया है। अग्रिम पंक्ति में होने के कारण इन महिलाओं को समाज से कुपोषण मिटाने के सामाजिक कार्यो के लिए आत्मनिर्देशित, प्रेरित और समर्पित होना पड़ेगा।

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में हीमाटोलॉजी, हीमेटो—आॅन्कोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट विभाग के निदेशक तथा प्रमुख डॉ. राहुल भार्गव ने कहा, 'जागरूकता के अभाव के कारण ज्यादातर महिलाएं इन बीमारियों के शुरुआती लक्षणों की अनदेखी कर देती हैं। यह बताना बहुत जरूरी है कि ये बीमारियां पूरी तरह से साध्य हैं। इन मरीजों में कम हीमोग्लोबिन, श्वेत रक्त कण की कम मात्रा और कम प्लेटलेट्स होती हैं इसलिए अक्सर उन्हें कमजोरी, थकान, लगातार बुखार का अनुभव होता है या शरीर में रक्तस्राव के धब्बे (लाल या नीले रंग का धब्बा) पाए जाते हैं।


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