मेरठ: दिल्ली के पटपड़गंज स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का नाम उत्तर भारत के लीडिंग हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स में आता है. दिल्ली के इस मशहूर अस्पताल ने अब मेरठ में अपनी हीमेटोलॉजी ओपीडी सेवा शुरू की है. यानी अब खून की समस्याओं से जुड़े सभी तरह के मरीज यहां एक्सपर्ट डॉक्टर से परामर्श ले सकेंगे.
मेरठ में मैक्स मेड सेंटर पर हर महीने के बुधवार को जा सकेंगे. दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे के बीच यहां डॉक्टर बैठा करेंगे. अगर किसी को भी खून से जुड़ी कोई दिक्कत है तो ऐसे मरीज यहां जाकर स्पेशलिस्ट डॉक्टर से परामर्श ले सकेंगे.
मैक्स अस्पताल पटपड़गंज हमेशा मरीजों को ध्यान में रखते हुए इस तरह के कदम उठाता रहता है जिससे मरीजों व उनके परिजनों को राहत दे. मेरठ में हीमेटोलॉजी की ओपीडी शुरू करना भी उसी मिशन का एक हिस्सा है. इस ओपीडी के शुरू होने से मेरठ व आसपास के इलाके के लोगों को दूसरे शहरों में नहीं जाना पड़ेगा.
इस ओपीडी की शुरुआत मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज में हीमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. निवेदिता ढींगरा की उपस्थिति में की गई. डॉक्टर निवेदिता हेमेटोलॉजिकल डिसऑर्डर वाले मरीजों को पिछले दो दशकों से देख रही हैं और बेहतर इलाज मुहैया करा रही हैं.
इस मौके पर डॉक्टर निवेदिता ने कहा, ‘’ ब्लड कैंसर के ज्यादातर कैस जैसे कि ल्यूकेमिया, लिम्फोमास और मल्टीपल मायलोमा को अब कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, टारगेटेड थेरेपी से ठीक किया जा सकता है. कुछ मामलों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट करके मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं. इन बीमारियों के लक्षणों के बारे में जागरूकता की कमी के चलते अक्सर इलाज या तो देरी से होता है या फिर गलत तरह से होता है. खून से जुड़ी समस्याओं का पता लगाने के लिए पेरिफेरल स्मीयर टेस्ट के साथ कंप्लीट ब्लड काउंट का टेस्ट कराने से रोग का पता लगाने व आगे के इलाज में काफी फायदा मिल सकता है.’’
स्टडी से पता चलता है कि ब्लड कैंसर के मामले में भारत का पूरी दुनिया में तीसरा नंबर आता है. भारत से आगे अमेरिका और चीन है. देश के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर ये केस काफी भार बढ़ाते हैं. हालांकि, हीमेटोलॉजी के इलाज से जुड़ी नई-नई तकनीक आने से काफी फायदा मिला है.
डॉक्टर निवेदिता ढींगरा ने आगे बताया, ‘’हमारे देश में हर साल ब्लड कैंसर के लाखों केस आते हैं और हर गुजरते साल के साथ ये बढ़ते ही जा रहे हैं. ब्लड कैंसर के ज्यादातर केस के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक बेहतर ट्रीटमेंट ऑप्शन है. जहां कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी भी फेल हो जाते हैं उन मामलों में बीएमटी काफी असरदार साबित होता है. फिलहाल, दो तरह के बोन मैरो ट्रांसप्लांट उपलब्ध हैं- ऑटोलोगस और एलोजेनिक ट्रांसप्लांट. एक बीएमटी में मरीज के स्टेम सेल्स का उपयोग किया जाता है, जबकि दूसरी प्रक्रिया में किसी डोनर के स्टेम सेल्स का यूज होता है.’’
डॉक्टर ढींगरा ने खून से जुड़ी समस्याओं को लेकर फैले भ्रम पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, ‘’ एक मिथक ये है कि एनीमिया के सभी मामले आयरन की कमी के कारण होते हैं, लेकिन हकीकत ये नहीं है. विटामिन बी 12 और फोलिक एसिड की कमी के कारण भी एनीमिया हो सकता है. वंशानुगत हेमोलीटिक एनीमिया और थैलेसीमिया, ब्लड कैंसर, अप्लास्टिक एनीमिया और अन्य पुरानी बीमारियों जैसे कि क्रोनिक किडनी रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस, या रुमेटीइड गठिया के साथ-साथ कई अन्य कारणों से भी हो सकता है.’’