ग्वालियर, जुलाई 2023: थोरेसिक सर्जरी के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में काफी तरक्की हुई है, जिससे थोरेसिक से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित मरीजों के डायग्नोज और इलाज में काफी राहत मिली है. इसी बात को लोगों के सामने रखने के मकसद से मैक्स अस्पताल वैशाली, गाजियाबाद के डॉक्टरों ने आज एक जन जागरूकता सत्र आयोजित किया और मैक्स वैशाली में हुई सफल सर्जरी की जानकारी दी गई.
इस मौके पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में थोरेसिक एंड रोबोटिक थोरेसिक सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर प्रमोज जिंदल मौजूद रहे. उनके साथ 4 ऐसे मरीज भी रहे जिनके थोरेसिक से जुड़ी समस्याओं का सफलता के साथ इलाज किया गया. ये मामले दर्शाते हैं कि कैसे थोरेसिक से जुड़े केस में सर्जरी का कितना लाभ मिला है, फिर चाहे वो बंदूक की गोली की चोटों से लेकर फेफड़ों की बीमारियों तक कोई भी समस्या हो. इस मौके पर डॉक्टरों ने रोबोटिक सर्जरी के उपयोग पर भी ध्यान केंद्रित किया जिसने ऐसे मरीजों को बेहतर से बेहतर परिणाम मिलते हैं.
59 वर्षीय मर्दान सिंह जब मैक्स अस्पताल वैशाली में भर्ती कराए गए तब उन्हें गंभीर सांस की समस्या हो रही थी और सूखी खांसी थी. गहन जांच पड़ताल की गई. सीटी स्कैन में फेफड़ों के बुल्ले और न्यूमोथोरैक्स का पता चला. मरीज की टैल्क प्ल्यूरोडेसिस के साथ वीडियो असिस्टेड थोरोस्कोपिक सर्जरी (VATS) बुलेक्टोमी की गई. चेस्ट के ट्यूब हटाने के बाद ऑपरेशन के छठे दिन मरीज को छुट्टी दे दी गई. इस केस में जटिल फेफड़ों की बीमारी को वीएटीएस प्रक्रियाओं के जरिए बहुत ही सही तरीके से ठीक किया गया.
23 वर्षीय वैभव को मैक्स वैशाली के इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया गया था, उन्हें सांस में तकलीफ थी और हाइपोटेंशन था. कई गोलियां लगने के बाद उनकी ये स्थिति हुई थी. जांच में पता चला कि मरीज को हीमोथोरेक्स के साथ बाएं ऊपरी लोब फेफड़ों का संक्रमण है और ये काफी गंभीर था. इसे देखते हुए एक बाएं ऊपरी लोब फेफड़े की लोबेक्टोमी की गई, जिससे एक सफल सर्जरी हुई. इसके बाद मरीज को पांचवें दिन छुट्टी दे दी गई. इससे पता चलता है कि इस तरह के मामलों में थोरेसिक सर्जरी कितनी कारगर है.
69 वर्षीय मरीज सुरेश पांडे को छाती की नली और एम्पाइमा थोरेसिक के जरिए लगातार एयर लीक के बाद भर्ती कराया गया था. फेफड़ों के डेकॉर्टिकेशन और ब्रोन्कोप्लुरल फिस्टुला के बंद होने के बाद, मरीज को क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के लिए मेडिकल हेल्प दी गई और सर्जरी के नौवें दिन उनकी छुट्टी हो गई.
इसके अलावा 44 वर्षीय भरत सिंह को सड़क दुर्घटना में सीने में चोट लगी थी और उनकी पसली टूट गई थी और उनके फेफड़ों में चोट लगी थी. इस मामले में VATS गाइडेड टूटी पसलियों को फिक्स किया गया और हेमोथोरैक्स को सफलता से मैनेज किया गया. मरीज की हालत में सुधार हुआ और सर्जरी के बाद पांचवें दिन छुट्टी दे दी गई.
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में थोरेसिक एंड रोबोटिक थोरेसिक सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर प्रमोज जिंदल ने इन केस के बारे में बताया, ''इन मामलों की सफलता दिखाती है कि जटिल और मुश्किल स्थितियों में सर्जरी के जरिए किस तरह बेहतर परिणाम पाए जा सकते हैं. विशेष रूप से, रोबोटिक सर्जरी तकनीकों के उपयोग से सटीक और शानदार केयर मिली है. रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम से सर्जनों की निपुणता बढ़ी है, बेहतर विज़ुअलाइज़ेशन मिला है और मिनिमली इनवेसिव तरीके से मरीजों को बेहतर इलाज मिला है. इन तकनीक की मदद से डॉक्टरों को जटिल से जटिल मामलों में भी सटीकता के साथ इलाज करने में मदद मिली है, साथ ही इससे अस्पताल में मरीज को कम रहना पड़ता है, दर्द कम होता है और तेजी से रिकवरी होती है.''
मैक्स हॉस्पिटल वैशाली में रोबोटिक सर्जरी तकनीकों के उपयोग के साथ इन जटिल थोरेसिक मामलों में बेहतर परिणाम वाली सर्जरी की गई हैं. यहां सर्जनों, नर्सों और मेडिकल प्रोफेशनल्स की समर्पित टीम है जो थोरेसिक सर्जरी (वक्ष सर्जरी) को सफल बनाती है और मरीजों को हर संभव देखभाल प्रदान करती है.